रविवार, 25 जून 2017

राष्ट्रपति चुनाव:राजेन्द्र प्रसाद के नाम है जीत का रिकार्ड

निर्विरोध राष्ट्रपति चुने जाने वालों में एक मात्र नीलम संजीव रेड्डी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
इस बार देश का राष्ट्रपति दलित समुदाय का होगा यह तो तय हो चुका है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए सियासी रणनीतियों के बावजूद ऐसी संभावना कम है कि देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के सर्वाधिक मत हासिल करने का रिकार्ड टूटे। यह रिकार्ड अभी तक बरकरार है।  
आगामी 17 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रमुख सियासी दलों के गठबंधन की ओर से चुनाव मैदान में उतारे गये उम्मीदवारों के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने के प्रयास में जुट चुके है और खुद प्रत्याशी भी राज्यों के दौरे करके निर्वाचित प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं। भले ही राजग व यूपीए के उम्मीदवार में कोई भी जीत हासिल करे, लेकिन यह तो तय ही माना जा रहा है कि के आर नारायण के बाद दूसरा राष्ट्रपति दलित समुदाय से ही होगा। यदि 1977 में एक मात्र निर्विरोध चुने गये नीलम संजीव रेड्डी को छोड़ दिया जाए, तो आजादी के बाद अभी तक सभी राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया के तहत ही चुने गये हैं। इस बार सत्ताधारी राजग के रामनाथ कोविंद के सामने यूपीए ने मीरा कुमार को मैदान में उतारा है। विपक्षी दलों द्वारा मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बाद इस बार एक बार फिर कुछ ऐसा ही होने जा रहा है, जो राष्ट्रपति चुनाव का इतिहास रहा है। मसलन वीवी गिरी के अलावा सभी निर्वाचित राष्ट्रपति सत्ताधारी दल की ओर से ही बने हैं। राजग के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को मिल रहे लगातार समर्थन भी कुछ इसी इतिहास की परंपरा के नतीजों का संकेत दे रहे हैं।
सर्वाधिक मतों का रिकार्ड कायम
देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को मिले अभी तक सर्वाधिक 99 प्रतिशत मतों का रिकार्ड कायम है। डा. राजेन्द्र प्रसाद को दूसरी बार 1957 में 464370 मतों में से 459698 यानि 99 प्रतिशत से अधिक मत हासिल हुए थे। हालांकि दो बार राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य हासिल करने वाले राजेन्द्र प्रसाद को पहले 1952 के चुनाव में करीब 84 प्रतिशत मत ही मिले थे। मसलन राष्ट्रपति के लिए अब तक हुए 14 चुनावों में कोई उम्मीदवार इस रिकार्ड को नहीं तोड़ पाया है। राजेन्द्र प्रसाद के बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ही ऐसे राष्ट्रपति रहे जो 98 प्रतिशत वोट लेकर रायसीना हिल पहुंचे थे। जबकि 1997 के चुनाव में आर नारायणन 95 प्रतिशत मत लेकर सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहले दलित समुदाय से निर्वाचित हुए थे। राजग के कार्यकाल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के ज्यादातर दलों की सहमति से 2002 में चुनाव मैदान में उतारे गये मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम को भी करीब 90 प्रतिशत ही वोट मिल सके थे। इसके अलावा देश के इतिहास में अभी तक केवल एक बार 1977 के चुनाव में ऐसा मौका आया जब राष्ट्रपति पद के लिए नीलम संजीव रेड्डी ही निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।

 भारत के राष्ट्रपति चुनाव की ऐसी रही तस्वीर
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वर्ष     कुल उम्मीदवार      विजेता़ वोट प्रतिशत            उपविजेता का वोट प्रतिशत
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1952     05            डा. राजेंद्र प्रसाद (83.8)                   केटी शाह (15.3)
1957       03             डा. राजेंद्र प्रसाद (99)                  एन नारायण दास (0.4)
1962      03            डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (98.2)    चौधरी हरि राम (1.1)
1967       17            जाकिर हुसैन (56.2)                    कोटा सुब्बाराव (42.4)
1969      15           वी. वी. गिरी (43)                         नीलम संजीव रेड्डी (37.5)
1974      02           फखरुद्दीन अली अहमद (80.2)     त्रिदीब चैधरी (19.8)
1977       01           नीलम संजीव रेड्डी (0)                 कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं
1982      02           ज्ञानी जैल सिंह (72.7)                  एच. आर. खन्ना (27.3)
1987      03           आर. वेंकटरमन (72.3)               वी. कृष्णा अय्यर (27.5)
1992      04           डा. शंकर दयाल शर्मा (65.9)       जी.जी. स्वेल (33.8)
1997     02           के. आर. नारायणन (95)               टीएन षेशन (5.0)
2002     02           एपीजे अब्दुल कलाम (89.6)        लक्ष्मी सहगल (10.4)
2007     02           प्रतिभा पाटिल (65.8)             भैरो सिंह शेखावत (34.2)
2012     02            प्रणब मुखर्जी (69.3)              पीए संगमा (30.7)
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