रविवार, 25 जून 2017

जल्द लांच होगी केन-बेतवा परियोजना

मंत्रालय में अंतिम तैयारी में है कैबिनेट नोट
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में सूखे और बाढ़ तथा जल संकट जैसी समस्या की चुनौती से निपटने की दिशा में मोदी सरकार की 9393 करोड़ रुपए की लागत वाली केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी अंतिम मंजूरी मिल चुकी है और इसके पहले चरण की शुरूआत जल्द होने की उम्मीद है। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इस योजना का फास्ट ट्रैक पर शुरू किया जाएगा।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार मोदी सरकार द्वारा नदियों को आपस में जोड़ने वाली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी परियोजना के पहले चरण की शुरूआत करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यूपी और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के लिए वरदान साबित होने वाली ऐतिहासिक मुहाने पर खड़ी केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को ‘हरित पैनल’ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय के बाद अब वन्यजीव एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी अंतिम मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना के पहले चरण की शुरूआत करने के लिए यूपी और मध्य प्रदेश के साथ मसौदे को साझा करने के बाद अब मंत्रालय में कैबिनेट नोट तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरणों में है, जिसे जल्द ही केंद्रीय कैबिनेट में ले जाया जाएगा। इस परियोजना के पूरा होने से बुंदेलखंड इलाके की 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और लोगों के लिए पेयजल की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। मसलन इससे मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में 15 लाख लोगों को पीने का पानी मिलने के साथ ही 70 लाख लोगों को इसका फायदा होगा। वहीं बिजली उत्पादन क्षमता को भी विकसित किया जा सकेगा। वन्य जीव बोर्ड की मंजूरी मिलने उत्साहित केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि सभी अड़चने खत्म होने से अस इस परियोजना को मॉडल परियोजना के रूप में तेजी के साथ आगे बढ़ाया जायेगा।
नहर और बांध का होगा निर्माण
मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना में 2953 मिलियन क्यूबिक मीटर जल की संकल भंडारण क्षमता और 221 किमी लंबी मुख्य नहर के साथ-साथ नौ हजार हेक्टेयर के जलाशय डूब क्षेत्र समेत 77 मीटर ऊंची दऊधनबांध के निर्माण की योजना भी है। इस बांध पर 78 मेगावाट क्षमता की दो विद्युत उत्पादन इकाइयां भी स्थापित होंगी। इनमें एक उत्पादन इकाई बांध पर और दूसरी दो किलोमीटर दूर बनने वाली सुरंग के पास स्थापित होगी। यहां से आने वाला पानी बरुआ सागर झील में मिलने के बाद बेतवा नदी में पहुंचेगा। परियोजना के दूसरे चरण में मध्य प्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम करेगा। इस परियोजना के जरिए उत्तर प्रदेश के 13.42 लाख की जनसंख्या के लिए पेयजल आपूर्ति करने हेतु 49 एमसीएम जल उपलब्ध कराया जाएगा और अतिरिक्त सिंचाइ्र के रूप में मध्य प्रदेश की मौजूदा सिंचाइ्र क्षमता में करीब 10 प्रतिशत बढ़ोतरी होने का दावा किया जा रहा है।
इन छह जिलों की पहले बुझेगी प्यास
मंत्रालय के अनुसार केन-बेतवा परियोजना के पहले चरण में मध्य प्रदेश के छत्तरपुर, टीकमगढ़ और पन्ना जिलों की 2.88 लाख हेक्टेयर के अलावा उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा और झांसी जिलों की 2.23 लाख हेक्टेयर यानि इन छह जिलों में 5.16 लाख हेक्टेयर की कृषि कमान क्षेत्र सिंचाई दायरे में सुविधा होगी। इस परियोजना के तहत 1700-1700 मिलियन घन मीटर पानी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलेगा। इस परियोजना से जहां मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ एवं पन्ना जिले की 3,69,881 हेक्टेयर भूमि, तो वहीं उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा व झांसी जिले की 2,65,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी। सूत्रों के अनुसार कृषि कमान क्षेत्र यानि सीसीए में वार्षिक करीब 6.36 हजार हेक्टेयर क्षेत्र के लिए सिंचाई सुविधा मुहैया होगी, जिसमें से मध्य प्रदेश की करीब 3.70 हजार हेक्टेयर और यूपी में करीब 2.66 हजार हेक्टेयर क्षेत्र शामिल होगा।
ये गांव होंगे प्रभावित
सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश के प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे, जिसमें पांच आंशिक रूप से और 7 गांव पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे। वहीं परियोजना से प्रभावित क्षेत्र व परिवारों के पुनर्वास और आर्थिक रूप से बसाने जिसमें प्रशिक्षण और कालोनियों के लिए भूमि प्रदान के लिए 213.11 करोड़ रुपए की वित्तीय आवश्यकता होगी। केंद्र सरकार इन परियोजनाओं में पेयजल के अलावा सिंचित भूमि, असिंचित भूमि, कृषि उत्पाद और उनके बाजार सहित देश की कृषि भूमि का विस्तृत अध्ययन को आधार बना रही है, ताकि लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी, फसलों की सिंचाई और रोजगार की समस्या से भी निजात मिलेगी।
फास्ट ट्रैक पर होगी परियोजना
केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर केंद्रीय मंत्री उमा भारती इतनी उत्साहित है कि उनका मंत्रालय इस केन-बेतवा परियोजना को फास्ट्र ट्रैक पर शुरू करने का ऐलान कर चुकी है। इस परियोजना के शुरू होने से मोदी सरकार की ऐसी 30 नदी जोड़ने वाली परियोजनाओं का मार्ग भी प्रशस्त हो जाएगा।

केन-बेतवा का रास्ता
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किलोमीटर उत्तर की ओर बढ़ने के बाद बांदा जिले में यमुना में मिलती है। बेतवा नदी मध्यप्रदेश के राससेन जिले से निकलकर 576 किलोमीटर बहने के बाद उत्तरप्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिलती है। इन दोनों की सहायक नदियों पर पहले से ही कई बांध बने हुए हैं।
राष्ट्रीय मॉडल तैयार
केंद्र सरकार ने इस परियोजना का राष्ट्रीय मॉडल भी पहले ही तैयार कर लिया है। राष्ट्रीय विकास अभिकरण नई दिल्ली द्वारा तैयार परियोजना के मॉडल को झांसी में राजघाट कालोनी स्थित नदी बेतवा परिषद कार्यालय प्रांगण में जन मानस के अवलोकनार्थ रखा गया है। मॉडल तैयार करते समय हालांकि जल संसाधन मंत्रालय और संबन्धित विभाग ने परियोजना का शिलान्यास को नए साल में शुरूआत करने की उम्मीद जताई थी, लेकिन इसमें विलंब हुआ और अब कहीं जाकर इस परियोजना को शुरू करने का रास्ता प्रशस्त हुआ है।
26June-2017

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