मंगलवार, 20 जून 2017

संसद के मानसून सत्र में पेश होगा गंगा कानून!


नमामि गंगे में देरी के कारणों की समीक्षा   
.पी. पाल. नई दिल्ली।
नमामि गंगे मिशन में तेजी लाने और गंगा सहायक नदियों की स्वच्छता के साथ अविरल निर्मल धारा को सुनिश्चित करने के लिए गंगा कानून के मसौदे का अध्ययन करने के बाद उसे जल्द ही अंतिम रूप देकर पहले केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी के लिये रखा जाएगा और इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित कराने का प्रयास होगा।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने अपने मंत्रालय की तीन साल की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि नमामि गंगे मिशन में कुछ देरी जरूरत हुई है, लेकिन गंगा के किनारों और घाटों की सूरत बदलने लगी है। गंगा के तटों की मजबूती और आधुनिकीकरण के साथ घाटों के सुधार और अन्य कार्यो को लेकर पिछले साल जुलाई में शुरू की गई करीब 300 परियोजनाओं का नतीजा सामने आने लगा है। उन्होंने कहा कि जस्टिस मालवीय गिरधर समिति द्वारा गंगा अधिनियम का मसौदा तैयार करके जो रिपोर्ट  सौंपी है उसमें गंगा को गंदा करने वालों और उसमें प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी प्रावधान शामिल करने की सिफारिश की गई है। इस मसौदे का अध्ययन युद्धस्तर पर चल रहा है जिसे जल्द ही अंतिम रूप देकर कैबिनेट के समक्ष ले जाया जाएगा। हालांकि गंगा अधिनियम के मसौदे पर सुश्री भारती ने कहा कि उनका मंत्रालय अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों से चर्चा करेगा और यह प्रक्रिया शीघ्र ही पूरी हो जाएगी और उनका ऐसा प्रयास है कि संसद के आगामी मानसून सत्र में गंगा कानून से संबन्धित विधेयक को पेश करके इसे पारित करा लिया जाए। उन्होंने कहा कि गंगा की धारा को अविरल, निर्मल और स्वच्छ किनारा साकार करने में कम से कम दस साल का समय लगने का अनुमान है, लेकिन ऐसा नहीं है कि नमामि गंगे मिशन के नतीजे नहीं रहे हैं, कई जगहों पर गंगा की सूरत बदली है।
कानपुर के उद्योगों पर जल्द चर्चा
सुश्री उमा भारती ने कहा है कि उनके मंत्रालय तथा उत्तर प्रदेश के उच्च अधिकारियों का दल कानपुर चमड़ा उद्योग के कारखानों को स्थानांतरण करने के मुद्दे पर व्यापक चर्चा करेगा और उम्मीद है कि जल संसाधन मंत्रालय तथा उत्तर प्रदेश के अधिकारी अगले सप्ताह इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करके आगे की रणनीति तय करेंगे। उनका कहना है कि गंगोत्री से गंगा सागर तक कानपुर का हिस्सा सबसे गंदा और प्रदूषित है, जो नमामि गंगे मिशन में एक बड़ी चुनौती है, लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री की यहां के चमड़ उद्योग को स्थानांतरित करने की नीति इस चुनौती से निजात दिला सकेगी।
नदियों के -प्रवाह की रिपोर्ट
उमा भारती ने कहा कि मंत्रालय ने गंगा नदी के -प्रवाह की रिपोर्ट प्राप्त कर ली है और इसका अध्ययन किया जा रहा है। इस रिपोर्ट में देश की सभी नदियों के लिए एक समान -प्रवाह स्तर की अनुशंसा की गई है। पंचेश्वर परियोजना के संबंध में जल संसाधन मंत्री ने कहा कि इस परियोजना में पर्यटन की असीमित संभावनाएं है, जिसका उपयोग इस परियोजना से निर्वासित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए किया जाएगा। असम की माजूली नदी द्वीप परियोजना को भी जनता सक्रिय भागीदारी से लागू किया जाएगा। वहीं उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा गंगा की गाद-निकासी की मांग का भी उल्लेख किया और इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि जल संसाधन मंत्रालय के सचिव ने हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर प्रस्तुति दी है और उम्मीद है कि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
जैव प्रौद्योगिकी का अध्ययन
उमा भारती ने कहा कि 200 इंजीनियरिंग विद्यार्थियों को गंगा नदी की जैव प्रौद्योगिकी अध्ययन के लिए नामांकन किया गया है। सुश्री भारती ने कहा कि प्रत्येक समूह में दो विद्यार्थी तथा नेहरू युवा केन्द्र और गंगा विचार मंच के स्वयंसेवक शामिल होंगे प्रत्येक समूह गंगा की 25 किलोमीटर लंबाई के क्षेत्र का अध्ययन करेगा। इससे संबंधित रिपोर्ट आगामी सितम्बर-अक्टूबर तक आने की संभावना है। ये विद्यार्थी स्थानीय लोगों से बातचीत करेंगे, ताकि स्थानीय लोगों के जीवन पर गंगा नदी के सामाजिक प्रभाव का अध्ययन किया जा सके।
20JUne-2017 

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