मंगलवार, 6 जून 2017

भू-जल की समस्या से ऐसे निपटेगी सरकार

मास्टर प्लान का अध्ययन करेगी सचिवों की समिति
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में भूजल के गिरते स्तर तथा आधे से ज्यादा राज्यों में भूजल में घुले जहर से संदूषित पानी पीने को मजबूर लोगों में फैलती बीमारी को लेकर केंद्र सरकार ने की मेगा योजना तैयार की है, जिसमें भूजल तथा वर्षा जल संचय को कृत्रिम रूप से रि-चार्ज कराने जैसे कार्यो को किया जाएगा। इस योजना के तहत तैयार किये गये मास्टर प्लान का अध्ययन करने के लिए जल्द ही सचिवों की एक समिति का गठन किया जाएगा।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार देश में भूजल में सुधार और भूजल में घुले जहर की समस्या से निपटने के लिए बनाई गई योजना के मास्टर प्लान का अध्ययन करने के लिए जल्द ही सचिव स्तर की एक समति का गठन किया जाएगा। इस समस्या को लेकर मंगलवार को गंगा निरीक्षण अभियान पर निकली केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने नरोरा में चौपाल को संबोधित करते हुए इसे एक बड़ी चुनौती बताया और कहा कि इसके लिए लोगों से अधिक से अधिक पलाश और अशोक जैसे पेड़ों को लगाने का आव्हान किया। उनका मानना है कि ये पेड़ भू-जल को रिचार्ज करते हैं। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाने से जहां भू-जल के स्तर में सुधार करने में मदद मिलती है। वहीं आर्थिक और पर्यावरण संगत तरीकों से जल प्रदूषित जल की समस्या का भी हल निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस समस्या के लिए मंत्रालय की योजना के अध्ययन के लिए ग्रामीण विकास सचिव, जल संसाधन सचिव तथा पर्यावरण सचिव की एक समिति शीघ्र ही गठित की जाएगी।
सरकार की ये है योजना
सुश्री उमा भारती ने भूजल के स्तर को सुधारने और भूजल में संदूषित तत्वों से निपटने के लिए भूजल को रिसाईकिलंग करने की योजना का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय जल आयोग ने भू-जल विज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर भारत में भू-जल को कृत्रिम रूप से रिचार्ज करने के लिए ‘मास्टर प्लान’ का प्रारूप तैयार किया है। इस मास्टर प्लान में देश में 79,178 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत आंकी गई है, जिससे वर्षा जल संचय तथा कृत्रिम रिचार्ज की अवसंरचना सुविधा तैयार करने का प्रावधान किया गया है, ताकि 85 बिलियन क्यूबिक मीटर जल का उपयोग हो सके। सुदृढ किए गए भू-जल संसाधनों से पेयजल, घरेलू, औद्योगिक तथा सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ेगी।
प्लास्टिक प्रदूषण का कारण
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा नदी के प्रदूषण का प्रमुख कारण प्लास्टिक सामग्री का इस्तेमाल है और इसे रोका जाना चाहिए। सुश्री भारती ने कहा कि वह जल संरक्षण, वर्षा जल संचय तथा घाटों को स्वच्छ रखने के लिए एक जन आंदोलन शुरू करने की योजना का भी जिक्र किया ,जिसमें सेवा निवृत्त वरिष्ठ नागरिक, छात्र,तथा गृहणियां की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताया।
भूजल के दिये आंकड़े
उन्होंने जानकारी दी कि गंगा बेसिन में कुल पुन:पूर्ति योग्य भू-जल संसाधन 170.99 बिलियन क्यूबिक मीटर है। गंगा बेसिन में 433 बीसीएम के साथ देश के कुल पुन:पूर्ति योग्य भू-जल का 40 प्रतिशत है। वास्तविक भू-जल उपलब्धता 398 बीसीएम हैं। 31 मार्च 2017 के वार्षिक भू-जल ड्राμट 245 बीसीएम और कुल 6607 मूल्यांकित इकाइयों और 107 इकाइयां अत्यधिक दोहन वाली इकाइयां हैं। 217 गंभीर इकाइयां, 697 अर्द्धगंभीर ईकाइयां तथा 4530 सुरक्षित ईकाइयां हैं। इसके अतिरिक्त 92 ईकाइयां लवणयुक्त यानि संदूषित जल से ग्रस्त हैं।
मानवजनित संदूषण जल
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार सामान्यत: भू-जल को स्वच्छ माना जाता है, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में के भूजल में भुजनित (प्राकृतिक) तथा मानवजनित (मनुष्यों द्वारा)संदूषित होने की पुष्टि हो चुकी है। मसलन एक आकलन के अनुसार दस राज्यों के 89 जिलों के कुछ हिस्सों में भूजल में आर्सेनिक पाया गया है। वहीं 20 राज्यों के 317 जिलों में μलोराड, 21 राज्यों के 387 जिलों में नाइट्रेट तथा 26 राज्यों के 302 जिलों में आयरन पाया गया है। भूजल में घुले इन जहरीले तत्वों वाले पानी पीने के कारण मनुष्यों में कई तरह की घातक बीमारी भी सामने आ चुकी है।
आर्सेनिक व μलोराइड बड़ी चुनौती
देश के दस राज्यों के 89 जिलों के 282 ब्लाकों के भूजल में आर्सेनिक एवं μलोराइड की उच्च मात्रा पाया जाना मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। इनमें छत्तीसगढ़ के 27 ब्लॉक, हरियाणा के 21 ब्लॉक, पंजाब के 22 ब्लॉक, असम के 27 ब्लॉक,बिहार के 28 ब्लॉक,झारखंड के 24 ब्लॉक, कर्नाटक के 30 ब्लॉक, मणिपुर के नौ ब्लॉक, उत्तर प्रदेश के 76 ब्लॉक तथा पश्चिम बांगल के 19 ब्लॉकों में आर्सेनिक की उच्च मात्रा के कारण भूजल बेहद संदूषित है।
कानून बनाने पर जोर
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार भू-जल संसाधनों में आ रही गिरावट को रोकने में महत्वपूर्ण प्रबंध के लिए भू-जल तथा वर्षा जल संचय को कृत्रिम रूप से रि-चार्ज कराना जरूरी है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों में वर्षा जल संचय उपायों को प्रोत्साहन के लिए उठाए गये कदमों की जानकारी देते हुए कहा सभी राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों को मॉडल बिल भेजा है, ताकि राज्य भू-जल के नियमन और विकास के बारे में उचित कानून बना सके। इनमें वर्षा जल संचय का प्रावधान शामिल है।

पन्द्रह राज्यों में कानून लागू
अब तक 15 राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों ने मॉडल बिल का अनुसरण करते हुए भू-जल कानून बनाया और लागू किया है। इस मौके पर उन्होंने भू-जल संसाधनों की सतत उपयोगिता हासिल करने के लिए विकास गतिविधियों को प्रबंधकीय प्रक्रियाओं द्वारा संतुलित बनाये जाने की आवश्यकता बताते हुए आव्हान किया कि भूजल को लेकर संयम बरता जाए।
07June-2017

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