मंगलवार, 13 जून 2017

गंगा के कानूनी मसौदे पर मिशन ने किया मंथन!

जल संबन्धी चुनौतियों से निपटने पर भी चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
नमामि गंगे मिशन को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में केंद्र सरकार प्रस्तावित गंगा कानून को जल्द से जल्द लागू करने की तैयारी में है। इसके लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने विधेयक के मसौदे से जुड़े प्रावधानों में विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया, ताकि इसे अंतिम रूप देकर कैबिनेट और फिर संसद में पारित कराया जा सके।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार विशेषज्ञों की समिति द्वारा तैयार गंगा कानून के मसौदे में किये गये प्रावधानों और सख्त सजा के प्रावधानों से जुड़े विभिन्न पहलुओं, परिभाषाओं और अध्यायों पर विचार विमर्श करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को एक बैठक की गई। इस दौरान प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय नदी गंगा (पुर्नरूद्धार, संरक्षण और प्रबंधन) विधेयक’ के मसौदे में समिति द्वारा तय किये गये विभिन्न प्रावधानों पर बिंदुवार चर्चा की गई, जिसमें समिति द्वारा गंगा नदी की निर्मलता एवं अविरलता को नुकसान पहुंचाने वालों पर सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
जल्द मिलेगा अंिितम रूप 
मिशन ने विचार विमर्श के बाद इस मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए एक समिति का गठन किया, जिसमें मसौदा तैयार करने वाली समिति में शामिल रहे मंत्रालय के संयुक्त सचिव संजय कुंडु के अलावा मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता पुरूशैन्द्र कौरव तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता को शामिल किया है। यह समिति जो इस विधेयक में कृषि, घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की मांग को देखते हुए गंगा नदी पर बढ़ते दबाव एवं उसकी धारा की निरंतरता को बनाए रखने जैसी सामने आ रही चुनौतियों पर भी विचार करेगी। गौरतलब है कि जस्टिस गिरधर मालवीय समिति ने गंगा कानून के मसौदे में गंगा को गंदा करने वालों को सात साल तक की सजा और 100 करोड़ रुपये का जुर्माने का प्रावधान शामिल करने की सिफारिश की है। गंगा और सहायक नदियों के प्रदूषण पर लगातार सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और एनजीटी द्वारा भी समय समय पर टिप्पणियों के साथ सरकार को सख्त नियम बनाने की दलीले दी गई हैं।
आदर्श कानून बनाने पर बल
देश में गंगा के प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए पहली बार सरकार कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। मंत्रालय के अनुसार मंगलवार को इस गंगा कानून के मसौदे के प्रावधानों को अंतिम रूप देने के लिए गठित चार सदस्यीय समिति से कहा गया है कि वह गंगा नदी के संरक्षण और सुरक्षा के लिए अत्याधिक कठोर प्रावधान के साथ विधेयक में गंगा नदी से जुड़े उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों और राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा दिए गए निर्णयों को भी मसौदे में समाहित करने के लिए अध्ययन करेगी। समति से इस मसौदे को जल्द अंतिम रूप देने को कहा गया है, ताकि इसे जल्द से जल्द केंद्रीय कैबिनेट में मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जा सके। मंत्रालय का प्रयास है कि गंगा नदी के अलावा देश की अन्य नदियों की सुरक्षा, संरक्षण और विकास के लिए एक आदर्श कानून के रूप में इस विधेयक को संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित कराया जा सके।

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