बुधवार, 1 अप्रैल 2015

लोकसभा व राज्य विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी!

अप्रैल में संसद में पेश होगी संसदीय समिति की रिपोर्ट
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्रीय चुनाव आयोग की चुनाव सुधार की जारी कवायद में चुनावी खर्च को नियंत्रित करने पर नजरें हैं। इसके लिए पिछले कई अरसे से उठाई जा रही मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी राज्य विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा के साथ ही कराने की तैयारी को शुरू कर दिया है, जिसके लिए 20 अप्रैल से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान ऐसी संभावनाओं की जांच पड़ताल कर रही संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट पेश होने की उम्मीद है।
देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में राजनीतिक दलों की चुनाव में बेशुमार खर्च को नियंत्रित करने के लिए चुनाव आयोग लगातार राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों पर शिकंजा कसता आ रहा है, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दलों को मिलने वाले बेनामी  चंदे पर नियंत्रण करने हेतु विधि आयोग की सिफारिशों के आधार पर चुनाव आयोग एक मजबूत कानून की वकालत भी कर रहा है। देश पर चुनाव के कारण पड़ने वाले आर्थिक बोझ को कम करने के लिए पिछले कई सालों से लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक-साथ कराने की मांग पर समय-समय पर विचार-विमर्श भी किया जाता रहा है। इस दिशा में लोकसभा व राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के एक मसौदा प्रस्ताव को मोदी सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश किया था।
राज्य विधानसभा और लोकसभा के चुनावों को साथ-साथ कराने की संभावना को तलाशने के लिए सरकार द्वारा लाए गये ऐसे प्रस्ताव को राज्यसभा की विभाग संबन्धित कार्मिक, लोक शिकायत विधि और न्याय संबन्धी संसदीय स्थायी समिति को सौंपा गया था। राज्यसभा सदस्य डा. ई.एम. सुदर्शन नाच्चीयप्पन की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने राज्य विधानसभा चुनावों को लोकसभा चुनाव के साथ कराने की संभावना के लिए राजनीतिक दलों, राज्यों की संस्थाओं और विशेषज्ञों के साथ विचार विमर्श किया है। वहीं समिति ने इस दिशा में ऐसे लोगों को सुझाव और सकारात्मक विचार प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया है। इसके लिए समिति ने 20 अप्रैल तक का समय दिया है। इन सुझावों और विचारों पर संसदीय समिति विचार करके ऐसी संभावनाओं को अंतिम रूप देकर समीक्षा करेगी और अपनी रिपोर्ट संभवत: 20 अप्रैल से 8 मई तक चलने वाले संसद के सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश करेगी। सरकार को उम्मीद है कि इस रिपोर्ट की सिफारिशों और टिप्पणियों की समीक्षा के बाद सरकार समुचित एक विधेयक का मसौदा तैयार करके उसे संसद में पेश करेगी।
चौथी लोकसभा के बाद टूटा चक्र
लोकसभा के साथ इससे पहले भी एक साथ चुनाव कराए जा चुके हैं। मसलन देश में पहले चार चुनाव यानि 1951-52, 1957, 1962 और 1967 के दौरान लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए गये थे। हालांकि 1968 और 1969 में कुछ विधान सभाओं के भंग होने और 1970 में लोकसभा के समय पूर्व भंग होने से यह चक्र टूट गया था, जिसने आज तक पूर्व स्थिति में आने का नाम नहीं लिया। यह भी नहीं उसके बाद कुछ राज्य में ऐसी स्थिति बनी जिसमें लोकसभा के साथ चुनाव कराये गये। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिसा और सिक्किम की विधानसभा के चुनाव भी हुए हैं।
01Apr-2015 

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