मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

नये कानून से होगी जजों की नियुक्तियां !

न्यायिक नियुक्ति आयोग लागू
हरिभूमि ब्यूरो
. नई दिल्ली
सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के लिए अब तक चली आ रही कॉलेजियम प्रणाली समाप्त कर दी गयी है। राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की अधिसूचना जारी कर दी। आयोग के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होंगे। इस बीत आयोग को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में 15 अप्रैल को सुनवाई भी होगी।
सरकार ने उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा प्रणाली में बदलाव लाने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 और 121वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2014 को अधिसूचित किया। ये विधेयक 13 अगस्त, 2014 को लोकसभा में और 14 अगस्त 2014 को राज्यसभा में पारित हो गए थे। इसके बाद इन विधेयकों का अनुमोदन निर्धारित संख्या में राज्य विधानसभाओं ने कर दिया और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी इन्हें मिल गई। इसके बाद सोमवार, 13 अप्रैल से केंद्र सरकार ने इस अधिनियम को प्रभावी घोषित करते हुए अधिसूचना जारी कर दी। उपयरुक्त अधिनियम में ह्यराष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोगह्य द्वारा उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के चयन के लिए एक पारदर्शी एवं व्यापक आधार वाली प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। पूर्ववर्ती कॉलेजियम प्रणाली की तरह ही ह्यराष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोगह्य के अध्यक्ष भी भारत के मुख्य न्यायाधीश ही होंगे। आयोग के सदस्यों में उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री, भारत के प्रधानमंत्री की कमेटी द्वारा मनोनीत दो जाने-माने व्यक्ति, भारत के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता अथवा विपक्ष का नेता न होने की स्थिति में लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल होंगे। आयोग की संरचना को समावेशी बनाने के मकसद से इस अधिनियम में यह कहा गया है कि एक जाने-माने व्यक्ति को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्गों, अलपसंख्यकों अथवा महिलाओं के वर्ग से मनोनीत किया जाएगा। आयोग अपने नियम खुद ही तैयार करेगा। इस बीच इस आयोग के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं पर सुनवाई 15 अप्रैल को सुनिश्चित की गयी है। वकीलों के कई संगठनों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। इस पर 7 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले को संविधान पीठ को भेज दिया था। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ 15 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगी।
14Apr-2015

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