बुधवार, 22 अप्रैल 2015

फर्जी पायलट उड़ा रहे विमान!

हवाई यात्रा को सुरक्षित करने को सरकार ने उठाए ठोस कदम
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
सड़क यात्रा में ही नहीं हवाई यात्रा करने वाले लोगों की जाने खतरे में हैं। कारण फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पायलट का लाइसेंस हासिल करके विमानों की उड़ान भरने वाले पायलटों के कारण हवाई यात्रियों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। हालांकि डीजीसीए ऐसे 140 पायलटों के लाइसेंस पहले ही रद्द कर चुका है।
देश की सरकारी और निजी विमान कंपनियों में फर्जी दस्तावेजों या अनिवार्य परीक्षा दिये बिना उड़ान का लाइसेंस हासिल करके विमान उड़ाने वाले पायलटों पर केंद्र में आई मोदी सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि ऐसा एक नहीं, बल्कि बारी बारी से 140 पायलट डीजीसीए की गाज का शिकार बने और पिछले साल सितंबर में ऐसे फर्जी पायलटों के लाईसेंस निरस्त कर दिये गये। इसके बावजूद भी देश की विमान कंपनियों में फर्जी दस्तावेजोें के आधार पर कुछ पायलट विमान उड़ा रहे हैं। हालांकि फिलहाल ऐसी शिकायत के बारे में नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने सोमवार को लोकसभा में उठाए गये एक सवाल के जवाब में इंकार किया है। फिर भी उन्होंने पायलटों के दस्तावेजों की प्रक्रिया के तहत जांच कराने की बात कही। नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पिछले साल सितंबर में 140 फर्जी पायलटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाही की गई। वहीं पिछले तीन साल में पायलटों की दक्षता जांच के बाद विभिन्न विमान कंपनियों के विमानों की उड़ान भरने वाले ऐसे 320 पायलटों को हटाने की कार्यवाही हुई, जिनकी अनिवार्य परीक्षण की वैधता समाप्त हो गई है। इनमें एयर इंडिया के 101, जेट एयरवेज के 130, एयर इंडिया एक्सप्रेस के 70, स्पाइसजेट के 10 तथा इंडिगो एयरलाइंस के नौ पायलट शामिल थे।
क्या है नए दिशा निर्देश
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों की माने तो राजग सरकार ने हवाई मार्ग और हवाई यात्रा में यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जाली पायलट लाइसेंसो की उच्च स्तरीय जांच करके कानूनी कार्रवाही करने के निर्देश जारी कर दिये थे। ऐसे दिशा निर्देशों के आधार पर डीजीसीए ने सख्त प्रक्रिया को लागू किया, जिसके तहत जाली μलार्इंग स्कूलों के खिलाफ भी कार्यवाही का पैमाना तय किया गया है। नए दिशा निर्देशों के अनुसार नागर विमानन नियामक डीजीसीए ने लाइसेंस जारी करने से पूर्व दस्तावजों के सत्यापन के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिये हैं, जिसमें विदेशों से पढ़ाई करके लौटे भारतीय पायलटों को भी जांच के दायरे में लाया जा रहा है। मसलन विदेशी लाइसेंस को भारतीय लाइसेंस में परिवर्तित करने के लिए पायलट के लाइसेंसों का सत्यापन विदेशी लाइसेंस जारी करने वाले वाले देश के संबधित विनियामक प्राधिकरण से कराना अनिवार्य बना दिया गया है। वहीं विदेश में ली गई उ ड़ान के अतिरिक्त संबन्धित पायलट की अपेक्षित विमान कौशल परीक्षा भी भारत में कराना जरूरी कर दिया गया है।
डीजीसीए ने उठाए ठोस कदम
नागर विमानन महानिदेशालय ने पायलट लाइसेंस हासिल करने वालों की जालसाजी से बचने के लिए डीजीसीए के परीक्षा प्रभाग से परिणामों का सत्यापन कराना शुरू कर दिया है। इसी प्रकार भारतीय पायलट का लाईसेंस हासिल करने वाले विदेशी लाइसेंसी पायलटों का भी विनियामक से सत्यापन कराने का प्रावधान लागू किया। डीजीसीए के अनुसार विदेश में उड़ान परीक्षण के सत्यापित होने के बावजूद विदेशी पायलट को भारतीय कंपनी का लाइसेंस हासिल करने के लिए कौशल परीक्षण भी भारत में करना जरूरी होगा। सूत्रों के अनुसार डीजीसीए फर्जी पायलटों की शिकायत की जांच में पुष्टि होने पर विमानन कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी और प्रशिक्षण प्रमुख को भी नोटिस जारी करता है, जिनके द्वारा ही लाइसेंस के लिए हर छह महीने में होने वाली पायलट दक्षता जांच (पीपीसी) परीक्षण जैसी कौशल परीक्षा (प्रोफिशिएंसी टेस्ट) विमानों की उड़ान भरने की दक्षता की संस्तुति की जाती है।
22Apr-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें