बुधवार, 1 अप्रैल 2015

जनता परिवार के विलय की राह नहीं होगी आसान!



-समाजवादी जनता दल के नाम से सामने आ सकती नयी पार्टी
-संयुक्त दल के चुनाव चिन्ह को लेकर बना हुआ है असमंजस
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भले ही जनता परिवार के बिछड़े दल फिर से एक छतरी के नीचे एकजुट होने का दावा करते हुए राजग और संप्रग के मुकाबले तीसरे विकल्प के रूप में संयुक्त राजनीतिक दल का गठन करने का दावा ठोक रहे हों, लेकिन इस कवायद को अंतिम रूप देने जा रहे इन छह दलों के विलय की राह आसान नहीं है। विलय के बाद समाजवादी जनता दल के नाम से नयी पार्टी सामने आने की उम्मीद है कि इस संयुक्त राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह को लेकर असमंजस बना हुआ है।
केंद्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में राजग सरकार बनने के बाद जनता परिवार के बिछड़े दलों समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल-एस, इंडियन नेशनल लोकदल और समाजवादी जनता पार्टी ने एकजुटता की हुंकार भरी थी। इस एकजुटता को मूर्त रूप देने के लिए सभी दलों का विलय करने का निर्णय लिया गया था। जदयू के महासचिव के.सी. त्यागी ने बताया कि ‘समाजवादी जनता दल’ नाम पर सभी दलों की सहमति बन रही है और बहुत ही जल्दी विलय को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह गठजोड़ संसद में एक सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने के दायित्व को पूरा करेगा और जनहित के मुद्दों को उठाएगा। इस संयुक्त दल में अभी तक शामिल दलों के लोकसभा में 15 और राज्यसभा में 25 सांसद हैं। जबकि गैर भाजपाई और गैर कांग्रेसी दलों के इस कुनबे को बढ़ाने के लिए अन्य दलों को भी शामिल करने के लिए बातचीत करने का भी दावा किया जा रहा है। संयुक्त राजनीतिक दल के नामकरण को लेकर मैराथन मंथन के बाद पहले से ही सुझाव गये ‘समाजवादी जनता दल’ पर सहमति होने का दावा किया गया है।
दरअसल संयुक्त दल के नाम और इस गठजोड़ में अन्य छोटे और क्षत्रपों को जोड़ने की बागडौल सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को सौंपी गई थी। हाल में विलय के मुद्दे पर गत 27 मार्च को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के साथ मैराथन विचार विमर्श हुआ और जल्द से जल्द सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को विलय की प्रक्रिया पूरी करने के लिए अधिकृत किया गया है। हालांकि त्यागी के अनुसार विलय पर अभी जद-एस प्रमुख एचडी देवगौड़ा एवं इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला से बातचीत करना बाकी है, जिसके लिए जल्द ही बैठक करके इस महाविलय को अंजाम दे दिया जाएगा। जनता परिवार का दावा है कि सपा प्रमुख मुलायम सिंह की रालोद प्रमुख अजित सिंह से बातचीत हो चुकी है। जबकि ओडीसा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल व पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को भी इस मुहिम में साथ जोड़ने के प्रयास जारी हैं, जबकि वामदलो ने इस सियासी कवायद का पहले ही समर्थन किया है।
क्या होंगी मुश्किलें
राजनीतिक जानकारों की माने तो जनता परिवार का संयुक्त दल का गठन होने के बाद उसे नया चुनाव चिन्ह भी मिलना तय है। उस स्थिति में इस गठजोड में शामिल इन दलों के सामने चुनावों के दौरान नए चुनाव चिन्ह को जनता की कसौटी पर खरा उतारने की चुनौती का सामने होगी। मसलन यूपी में सपा की साइकिल, बिहार में लालू की लालटेन और जदयू का तीर और हरियाणा में इनेलो का चश्मा के अलावा अन्य दलों के चुनाव चिन्ह उनके अलग-अलग राज्यों के वोटरों में सिर चढ़कर बोलता रहा है। ऐसे में क्या इस महागठजोड़ के तले इसमें शामिल दल नये झंडे और चुनाव चिन्ह पर अपनी सियासी बिसात बिछाने में सफल हो सकेंगे? यह भी माना जा रहा है कि इसी मुद्दे पर भी विलय में विलंब हो रहा है और हो सकता है कि तीसरी ताकत खड़ी करने के बाद सभी दल अपने-अपने राज्यों में अपने दलों के झंडो व चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ने पर सहमति बना सकते हैं।
बिहार पर नजर
लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए भाजपा व कांग्रेस से अलग एक अलग विकल्प तैयार करने में जुटे इन दलो की नजरे अगले साल बिहार और 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों पर है। इस महाविलय का मकसद इन राज्यों में मोदी व भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए सियासी जमीन मजबूत करना है।
चुनाव चिन्ह साइकिल हो: मुलायम
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जनता परिवार के दलों को एकजुट कर नई पार्टी को शक्ल देने में जुट गए हैं। इसके लिए उन्होंने पार्टी के पदाधिकारियों को नई पार्टी की जरूरत बताते हुए उनसे राय मांगी। मुलायम ने कहा है कि उनकी कोशिश है कि राष्ट्रीय स्तर पर सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल ही रखने पर सभी दलों में सहमति बन जाए। पार्टी के तमाम पदाधिकारियों व नेताओं ने इस पर सहमति जताते हुए कहा कि वह इस पर पूरी तरह नेताजी के साथ हैं और वह कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। मुलायम ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जब चुनाव होंगे तो नई पार्टी के झंडे, बैनर के साथ चुनाव में उतरा जा सकता है और राज्यों में चुनाव होने पर सबसे ताकतवर दल के झंडे व चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा जाएगा। ऐसी व्यवस्था नई पार्टी के लिए की जा रही है। मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को इस मुद्दे पर पार्टी कार्यालय में जिलाध्यक्षों, शहर अध्यक्षों व दूसरे पदाधिकारियों की बैठक में यह बात की। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव खासतौर पर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि फिरकापरस्त ताकतों से निपटने के लिए जनता परिवार से जुड़े रहे धर्मनिरपेक्ष दलों को अब एक होने की जरूरत है। इसलिए सपा, जनता दल यू, राष्ट्रीय जनता दल, इनेलो व जनता दल सेकुलर व अन्य दलों राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पार्टी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि कोशिश हो रही कि राष्ट्रीय स्तर पर साइकिल चुनाव चिन्ह पर सहमति बन जाए। उन्होंने स्पष्ट किया विधानसभा चुनाव में राज्यों में जो दल सबसे ज्यादा ताकतवर होगा, उसी का चुनाव चिन्ह व झंडा उस राज्य में प्रभावी होगा। ऐसी व्यवस्था करने की कोशिश हो रही है। कि सी भी वक्त इन दलों का विलय हो सकता है।
02Apr-2015






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