मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

भू-अधिग्रहण पर पीछे नहीं हटेगी सरकार!

-सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का देगी तर्कता के साथ जवाब
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के दोबारा लाने के विरोध में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों की चौतरफा आलोचना का शिकार केंद्र सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती पर मिले नोटिस का भी सरकार तर्क संगत जवाब देगी। राज्यसभा के अगले सत्र में भू-अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित कराने के इरादे से केंद्र सरकार हालांकि विपक्षी दलों के सुझावों पर संशोधन के लिए भी नरमी बरतने की रणनीतिक कदम बढ़ा सकती है।
केंद्र सरकार द्वारा संप्रग सरकार द्वारा लागू भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करके दिसंबर में अध्यादेश जारी किया था। यह विधेयक लोकसभा में नौ संशोधनों के साथ पारित होने के बावजूद विपक्षी दलों के एकजुट विरोध के चलत् राज्यसभा में अटक गया था। चूंकि अध्यादेश की मियाद पांच अप्रैल को समाप्त हो रही थी। बजट सत्र का अभी सत्रासवान नहीं हुआ था इसलिए नियमों के मुताबिक संसद सत्र के चलते कोई अध्यादेश नहीं लाया जा सकता। इसलिए सरकार ने राज्यसभा के सत्र का सत्रावसान कराने के बाद लोकसभा में पारित भूमि अधिग्रहण बिल के मसौदे के साथ दूसरे अध्यादेश को कैबिनेट में मंजूरी दी और उस पर राष्टÑपति की मुहर लगवाई। संविधान के नियमों के अनुसार किसी विषय पर अध्यादेश तीन बार लाया जा सकता है। इसलिए जैसे ही भूमि अधिग्रहण पर दूसरा अध्यादेश लागू हुआ तो विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस के तेवर ज्यादा तीखे हो गये, जिसकी 19 अप्रैल को किसान-मजदूर रैली भी प्रस्तावित है।
चुनौतियों से निपटने की तैयारी
सरकार के भूमि अधिग्रहण पर लाये गये दूसरे अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को पिछले सप्ताह ही दिल्ली ग्रामीण समाज, भारतीय किसान यूनियन और ग्रामीण सेवा समिति समेत चार संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की, जिस पर आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस के बारे में संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू का कहना है कि सरकार इस नोटिस का तर्क संगत जवाब देगी, लेकिन किसानों के हितों पर विपक्षी दलों की वोट बैंक की राजनीति हावी नहीं होने देगी। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने यह भी संकेत दिये हैं कि केंद्र सरकार अपने सहयोगी और विपक्षी दलों इस मुद्दे पर लोकसभा में पेश किए गए विधेयक में 11 आधिकारिक संशोधन करने के लिए तैयार है। सूत्रों के अनुसार सरकार राजमार्गों एवं रेलवे लाइनों के दोनों तरफ एक किलोमीटर तक औद्योगिक गलियारों को सीमित करने, खेतिहर मजदूरों के प्रभावित परिवार के एक सदस्य को अनिवार्य रोजगार, जिला स्तर पर शिकायतों की सुनवाई और उनका निदान, कम से कम जमीन अधिग्रहण करने जैसे 11 आधिकारिक संशोधन लाने का फैसला कर चुकी है। फिर भी विपक्षी दलों की चिंताओं और आशंकाओं का समाधान करने के लिए सरकार ने विधेयक में बदलाव के लिए ऐसे सुझावों के रूप में विकल्प खुला रखा है, जिसमें किसानों और खेती के हित जुड़े हुए हों।
रायशुमारी जारी
केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली, संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू एवं ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह भूमि अधिग्रहण विधेयक के मुद्दे पर राजग के सहयोगी दलों के नेताओं के अलावा विपक्षी दलों और किसान एवं खेती से जुड़े अन्य संगठनों सहित समाज के सभी वर्गों से रायशुमारी कर रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा लाए गये संशोधन भी ऐसे संगठनों से मिले सुझावों के बाद ही लाये गये थे। फिर भी सरकार इस विधेयक को संसद में पारित कराने के लिए पूरी तरह से गंभीर है और सभी राजनीतिक दलों व किसान संगठनों का सहमति के साथ सहयोग चाहती है।
कितने गंभीर हैं मोदी
भूमि मुद्दे विपक्ष की आलोचनाओं और सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद जर्मन के हेनेवार में होते हुए भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने से घिरे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भूमि अधिग्रहण पर अपनी गंभीरता को दबा नहीं सके। मोदी ने हेनेवार में ही अपने बयान में स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार भूमि अधिग्रहण का एक तर्कसंगत ढांचा बना रही है, ताकि किसानों और भू मालिकों को लाभ पहुंचाया जा सके। मोदी ने कहा कि सरकार किसानों और भू मालिकों को किसी परेशानी में डाले बिना भूमि अधिग्रहण के लिए एक तर्कसंगत ढांचा गठित कर रहे हैं। इस ढांचे में विकास और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए लंबित परियोजनाओं को पूरा करना मोदी ने प्राथमिकता बताया।
14Apr-2015

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