शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

उच्च सदन में असमंजस में दिखे माननीय

किसानों की दुदर्शा पर चर्चा का मामला
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देश में किसानों की दुदर्शा और आप की रैली में किसान गजेन्द्र की आत्महत्या जैसे गंभीर मामले पर राज्यसभा में चर्चा करीब एक घंटे तक अटकी रही। मसलन सदन में सभी दलों के सदस्य इसी असमंजस में उलझे रहे कि चर्चा का जवाब कौन देगा। असमंजस की स्थिति यहां और भी गहरी हो गई जब सरकार की ओर से सुझाव आया कि चाहे तो चर्चा सोमवार को भी कराई जा सकती है। हालांकि ज्यादातर विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में चर्चा कराने की मांग करते रहे। आखिर एक घंटे बाद पीठ की व्यवस्था के बाद चर्चा शुरू कराई जा सकी।
दरअसल लोकसभा की तर्ज पर राज्यसभा में भी सुबह कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष की ओर से किसानों की आत्महत्या का मामले पर शोरशराबा किया गया और कांग्रेस, जदयू, सपा समेत पांच दलों की ओर से प्रश्नकाल स्थगित कराकर इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की गई। सरकार की रजामंदी को देखते हुए विपक्षी दलों के इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा कराने की अनुमति भी सभापति हामिद अंसारी दे चुके थे। भोजनावकाश से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती और अन्य दल के कुछ नेता इस मुद्दे पर अपनी बात कह भी चुके थे और सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू भी सरकार का पक्ष रख चुके थे। चर्चा का समय दो बजे तय किया गया। दो बजे शुरू हुए सदन में उप सभापति पीजे कुरियन ने चर्चा शुरू कराने की बात कही, लेकिन जदयू प्रमुख शरद यादव पहले गजेन्द्र की मौत पर कुछ सदस्यों को बोलने का मौका देने की बात कहते रहे। कई बार विपक्ष के नेता गुलामनबी आजाद को चर्चा शुरू करने को कहा गया, लेकिन आजाद यह कहकर खड़े होने को तैयार नहीं हुए कि विपक्ष के कुछ दलों में सहमति बनने के बाद ही वह बोल सकते हैं। उधर विपक्षी दलों में भी बिखराव नजर आया जिसमें गजेन्द्र की मौत के मामले को कई मंत्रालयों से जुड़ा मामला बताकर यह सवाल खड़ा किया गया कि चर्चा का जवाब कौन देगा? यानि यह मामला कृषि, उपभोक्ता मामले, वित्त और गृह मंत्रालय से जुड़ा है, तो विपक्ष की ओर से आवाज आई कि प्रधानमंत्री को ही जवाब देना चाहिए और चर्चा उनकी सदन में मौजूदगी के बाद ही श्ुारू करनी चाहिए। ऐसे में संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार के पास काम बहुत है यदि सहमति बने तो चर्चा सोमवार में भी कराई जा सकती है क्यों कि शुक्रवार का दिन प्राइवेट मैंबरों के लिए निर्धारित है। इस पर एकबारगी तो प्रतिपक्ष नेता गुलामनबी आजाद और जदयू नेता शरद यादव भी सहमत नजर आए। इसी बीच सपा के नरेश अग्रवाल और अन्य सदस्य सवाल उठाकर हंगामा करने लगे। इसी असमंजस में फंसे सदस्यों के कारण एक घंटे का समय बर्बाद हो गया।
इसलिए शुरू हुई चर्चा 
इस मुद्दे पर सोमवार को चर्चा पर सहमति बनते देख अन्य कामकाज निपटाने की बात सरकार की ओर से आई तो उप सभापति पी.जे. कुरियन ने कहा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने नोटिस सौंप कर सदन में कामकाज निलंबित करने और किसानों के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की थी, जिस पर सरकार ने सहमति जताई है। ऐसे में सपा के नरेश अग्रवाल कहां चूकने वाले थे जिन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की है। क्योंकि चर्चा से पहले अन्य कोई काम काज नहीं हो सकता। इस पर सरकार और विपक्ष के नेता नियमों की किताबे उलटते देखे गये और बाद में तीन बजे बाद इस मुद्दे पर प्रतिपक्ष नेता गुलामनबी आजाद ने चर्चा की शुरूआत की।

सचिन तेंदुलकर भी बने गवाह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
दिग्गज क्रिकेटर और राज्यसभा सदस्य सचिन तेंदुलकर गुरुवार को उच्च सदन के नए सत्र के पहले दिन संसद में उपस्थित हुए। भारत रत्न तेंदुलकर ने दोपहर करीब 12 बजे सदन में प्रवेश किया। उनके पहुंचते ही कुछ साथी सदस्यों ने उन्हें घेर लिया। द्रमुक के टी सिल्वा और युवा सदस्यों समेत कुछ सांसदों ने सचिन का स्वागत किया और उनसे हाथ मिलाया। सचिन को अप्रैल, 2012 में राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया था। हालांकि वह संसद कभी-कभार ही पहुंचते हैं। इसके चलते उनकी अक्सर आलोचना होती है। वह पिछले सत्र की 19 बैठकों में से महज तीन में उपस्थित हुए थे। जबकि पिछले शीतकालीन सत्र की 22 बैठकों में भी सिर्फ तीन बार भाग लिया था। पिछले साल मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन में सचिन की गैरमौजूदगी का मुद्दा उठा था। सदस्यों ने पार्टी लाइन से हटकर उनकी लंबे समय से अनुपस्थिति को सदन का अनादर करार दिया था।
24Apr-2015

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