सोमवार, 13 अप्रैल 2015

सात समंदर पार अपनो का है इंतजार!



विदेशी जलों में बंद हैं साढ़े छह हजार भारतीय 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने युद्धबंदी में फंसे भारतीयों को भले ही सुरक्षित निकाल लिया हो, लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा रोजगार की गरज से दुनिया के विभिन्न देशों में पैसा कमाने की गरज से कानूनी शिकंजे में फंसे हुए हैं। ऐसे विदेशी जेलों में बंद करीब साढ़े छह हजार भारतीयों के परिवारों को उनकी रिहाई का इंतजार है।
केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय और प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय द्वारा विदेशों में रोजगार के लिए रहने वाले भारतीयों के लिए कानूनी मदद या अन्य मुसीबत के लिए हाल ही में ई-योजना के तहत ‘मदद’ नामक वेबसाईट शुरू की, जिसके जरिए परदेश में मुसीबत में घिरने वाले भारतीय अपनी भारतीय सरकार से सीधे मदद की गुहार कर सकते हैं। इसके अलावा प्रवासी मामलों के तहत भारत खासकर भारतीय श्रमिकों को कानूनी सहायता देने की योजना भी चला रहा है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक विदेशों में जेलों में बंद किसी भी भारतीय को को सहायता प्रदान करने के लिए संबन्धित देश में भारतीय मिशनों और दूतावासों के जरिए हर संभव प्रयास किये जाते हैं। वहीं सजायाμता लोगों के लिए भारत का पाक, बांग्लादेश, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों समेत 30 देशों के साथ एक-दूसरे देश के कैदियों के आदान-प्रदान करने के लिए संधि भी विद्यमान है और भारत सरकार विदेशी सरकारों से भारतीयों को क्षमा देने का अनुरोध भी करती है। इसके बावजूद इन संधियों का भारतीय कैदियों को रिहा कराने में कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। मंत्रालय के अनुसार ऐसे करारों के तहत अमेरिकी राज्यों के संगठन की बहुपक्षीय कन्वेंशन से भी सहमति जताई गई है, जहां अभी तक 54 बंदियों को लाभ मिला है, जिनमें से मौजूदा बंदियों के अलावा 45 कैदियों की भारत वापसी कराई जा चुकी है। केंद्र सरकार ने जिस तरह यमन की युद्धबंदी के चलते वहां रह रहे करीब पांच हजार भारतीयों को सुरक्षित भारत लाकर एक बड़ा काम किया है। उसी तरह सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 72 देशों की जेलों में बंद 6443 भारतीयों की रिहाई के लिए यहां उनके परिवार सरकार पर भरोसा कर रहे हैं, जो विदेशी जेलों में सजा काट रहे भारतीयों को छुड़ाने के लिए दूतावासों और भारतीय विदेश मंत्रालय के चक्कर काटने में अभी इसी उम्मीद के साथ थके नहीं हैं कि एक दिन उनके अपने घर लौट आएंगे।
क्यों फंसे हैं भारतीय
दरअसल विदेश में पैसा कमाने की ललक में विदेश जाने वाले भारतीयों के काम करने की प्रक्रिया इतनी कठिन है कि उसकी औपचारकिता पूरी कर पाने में ही लोग हथियार डाल देते हैं। यूरोप और अमेरिका में काम के लिए वीजा पाना टेढ़ी खीर है, लेकिन खाड़ी देशों में दक्षिण एशियाई देशों के लोगों को काम तो मिल जाता है, लेकिन ऐसे प्रवासी श्रमिकों पर मुसीबत का पहाड़ उस समय टूटता है जब वे किसी इस्लामिक कानून के उल्लंघन में जकड़ जाते हैं। एक तो वहां का सख्त इस्लामिक कानून और दूसरा गैर कानूनी तरीके से वहां काम करना या रहना कानून के उल्लंघन का कारण बन जाता है। यही कारण है कि खाड़ी देशों में कानून की मार झेलने वाले भारतीय कैदियों की खाड़ी देशों में संख्या ज्यादा है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत से बाहर विदेशों में रहने वाले 2 करोड़ 21 लाख प्रवासी भारतीयों में से 27 फीसदी खाड़ी देशों में काम कर रहे हैं। दुनिया के करीब 80 देशों की जेलों में बंद भारतीयों में से 45 फीसदी भारतीय आठ खाड़ी देशों की जेलों में ही बंद हैं और इन भारतीयों के खिलाफ इस्लामिक कानून के उल्लघंन, चोरी, धोखाधड़ी और गैरकानूनी तरीके से काम करने या गैरकानूनी तरीके से प्रवास करने जैसे आरोप ही ज्यादा हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार यमन में भी चार भारतीय कैदी हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि यमन की जेलों में भी भी दो हजार से ज्यादा भारतीय बंद हैं।
खाड़ी देशों में सर्वाधिक कैदी
विदेशी दलों में बंद भारतीयों में सर्वाधिक 1534 नागरिक सऊदी अरब में, उसके बाद 833 संयुक्त अरब अमीरात में बंद हैं। नेपाल में 614, ब्रिटेन में 437, अमेरिका में 391, पाकिस्तान में 352, मलेशिया में 319, कुवैत में 290, बांग्लादेश में 257, सिंगापुर में 158,इटली में 145, चीन में 117, बहरीन में 106, कतर में 96, ओमान में 85, म्यांमार व थाईलैंड में 76-76,श्रीलंका में 73, स्पेन में 60 और ईरान में 52 भारतीय कैदी के रूप में बंद हैं। अन्य जेलों में भी इसी प्रकार कैदी बंद हैं। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है वहां की जेलों में सुरक्षा से जुड़े कर्मियों में 54 लोग 1971 की जंग में पाकिस्तानी जेलों में युद्धबंदी हैं। पाकिस्तान की जेलों में बंद ये भारतीय उन 172 मछुआरों से अलग है जिन्हें फरवरी में ही पाक द्वारा रिहा किया गया है। 
13Apr-2015


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