शनिवार, 25 अप्रैल 2015

सार्थक चर्चा में ‘ठेकेदार’ पर बिफरा विपक्ष

राज्यसभा: बैकपुट पर आने को मजबूर हुए केंद्रीय मंत्री
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
राज्यसभा में कृषि क्षेत्र व किसानों की समस्या से निपटने के लिए सार्थक चर्चा का दौर जारी था। अचानक विपक्ष की सत्तापक्ष पर टिप्पणियों से एक केंद्रीय मंत्री आपा खो बैठे और उनके एक शब्द ‘ठेकेदार’ ने विपक्ष को हंगामा करने के लिए मजबूर कर दिया। नतीजा यह हुआ कि विपक्षी दलों की आपत्ति के बाद केंद्रीय मंत्री को अपने शब्द वापस लेकर खेद जताना पड़ा।
हुआ यूं कि उच्च सदन में चर्चा के दौरान जब जदयू के केसी त्यागी बोलने लगे तो उन्होंने सत्ता पक्ष पर टिप्पणियां की और दो दिन पहले जंतर-मंतर पर एक किसान की मौत के लिए सात मंत्रालयों को गुनाहगार करार दिया तो सदन में इनमें से उर्वरक और रसायन मंत्री अनंत कुमार अपनी सीट से खड़े होकर केसी त्यागी पर टिप्पणी कर दी कि क्या उन्होंने खुद खेती की है? और कह डाला कि उन्हें (त्यागी को) खुद को किसानों का ‘ठेकेदार’ नहीं समझना चाहिए। फिर क्या था सदन में विपक्षी दलों का हंगामा शुरू हो गया। केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी को उप सभापति प्रो. पीजे कुरियन ने जांचा और तत्काल ही इस शब्द को अससंदीय मानते हुए सदन की कार्यवाही से अलग किया गया। विपक्षी दल यहीं नहीं थमा और मांग शुरू कर दी कि मंत्री अपने शब्द को वापस लें तभी सदन की कार्यवाही आगे बढ़ सकेगी। और सरकार को शर्मसार करने वाली इस एक घटना में विपक्ष ने राज्यसभा में एकजुटता दिखाते हुए केंद्रीय मंत्री को अपने अपने शब्द वापस लेने को मजबूर कर दिया, जिन्होंने खेद भी जताया। विपक्षी दलों ने मंत्री के इन शब्दों को न केवल आपत्तिजनक, बल्कि संसद की गरिमा के विपरीत असंसदीय भी करार दिया।
क्या था अनंत का तर्क
सदन में विपक्षी दलों के हंगामे के बाद केंद्रीय मंत्री ने हालांकि आपत्ति के बाद अपने शब्द वापस लिये। इसके साथ ही अनंत कुमार अनंत कुमार ने कहा कि केसी त्यागी जिस अंदाज में बात कर रहे थे, उसे देखते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अपने आपको ही किसानों का एकमात्र प्रतिनिधि नहीं समझना चाहिए। सभी किसानों को लेकर समान रूप से चिंतित हैं। यदि सदस्यों को उस शब्द से आपत्ति है तो वह उसे वापस लेते हैंं। इससे पहले माकपा के सीताराम येचुरी ने मामले को शांत कराने की दिशा में हस्तक्षेप करते हुए मंत्री से अनुरोध किया था कि यह केवल एक शब्द का मामला नहीं है बल्कि यह पूरे संसद के खिलाफ की गयी टिप्पणी थी, इसलिए उन्हें अपने शब्द वापस लेकर कार्यवाही को आगे बढ़ने दिजिए। वहीं तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय, बसपा के सतीश चन्द्र मिश्रा, जदयू के शरद यादव एवं कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने भी मंत्री से उनके शब्द वापस लेने की मांग की थी।
25Apr-2015

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