मंगलवार, 1 जुलाई 2014

राष्ट्रीय पार्टी के दायरे से बाहर होंगी बसपा, राकांपा और भाकपा

चुनाव आयोग ने शुरू कर दी है नियमों पर आधारित प्रक्रिया
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
सोलहवीं लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में चुनाव लड़ने वाली बहुजन समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को अपने निराशाजनक प्रदर्शन के कारण अब राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे से हाथ धोना पड़ेगा। इसके लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने इन दलों के राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को छीनने की पूरी तैयारी कर ली है।
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद छह राष्ट्रीय दलों भाजपा, कांग्रेस व माकपा के अलावा बसपा, राकांपा व भाकपा में से केवल भाजपा 282, कांग्रेस 44 और माकपा नौ सीटें जीतकर मानकों को पूरा करते हुए अपनी पार्टी के राष्ट्रीय दर्जे को कायम रखने में सफल रही हैं। बसपा का तो 16वीं लोकसभा के चुनाव में खाता तक नहीं खुल सका है और जबकि राकांपा को छह सीटें और भाकपा को मात्र एक सीट पर ही जीत हासिल हो चुकी है। राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए नियमानुसार कम से कम चार राज्यों में छह प्रतिशत मत हासिल करना जरूरी होता है, जिसमें भाजपा 31 प्रतिशत, कांग्रेस 19.3 प्रतिशत तथा माकपा 3.4 प्रतिशत मत हासिल करने में सफल रही। माकपा छह प्रतिशत वाले नियम को पूरा नहीं करती, लीेकिन तीन मानकों में से वह नौ सीटे जीतकर तीन राज्यों में दो प्रतिशत सीटे जीतने में सफल रही। जबकि बसपा को 4.1 प्रतिशत, राकांपा को 1.6 प्रतिशत और भाकपा को 0.8 प्रतिशत वोट ही हासिल हो पाया है। चुनाव आयोग के सूत्रों की माने तो इसके अलावा दो नियम और भी हैं कि लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम तीन राज्यों से मिले या फिर पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा हासिल होना चाहिए। यदि इन तीन मानकों में से एक नियम भी कोई पार्टी पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय दल का दर्जा दिया जा सकता है, लेकिन इन तीनों दलों ने इन तीनों में से एक भी मापदंड को पूरा नहीं किया है। लिहाजा इन तीनों दलों के राष्ट्रीय दर्जे को छीनने के लिए केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए चुनाव आयोग ने इन तीनों दलों को कारण बताओ नोटिस भेजकर पूछा था कि चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन को देखते हुए क्यों न उनकाराष्ट्रीय दर्जा वापस ले लिया जाए। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार इन तीनों दलों के जवाब चुनाव आयोग को संतुष्ट नहीं कर सके जिससे एक भी मानक पूरा होता हो। इसी प्रकार 15वीं लोकसभा के चुनाव के बाद लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनता दल, शरद यादव के नेतृत्व वाले जदयू और मुलायम सिंह यादव की सपा समेत पांच पार्टियां अपना राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा गंवा चुकी थी।
राजनीतिक रूप से होंगे कई नुकसान
चुनाव आयोग द्वारा इन तीनों दलों से राष्ट्रीय दर्जा वापस लेते ही इन्हें राजनीतिक रूप से कई सुविधाओं से वंचित होना पडेगा। मसलन ऐसी स्थिति में बसपा, राकांपा व भाकपा अब चुनावों के दौरान आॅल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले चुनाव पूर्व प्रसारण और मुत मतदाता सूची पाने का अधिकार भी खो देंगी। यह सुविधा राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते अभी तक मिल रही थी। इस प्रकार वर्ष 1968 के जारी एक आदेश के अनुसार राष्ट्रीय पार्टी के दायरे से बाहर होने के कारण इन दलों को अपने चुनाव चिन्ह पर पूरे देश में चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। नियमानुसार अपने इस मौजूदा चुनाव चिन्ह पर उसी राज्य में ये दल चुनाव लड़ सकते हैं जहां इन्हें क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त होगा अन्यथा अलग-अलग राज्य में उनके चुनाव चिन्ह अलग-अलग रूप में आवंटित किये जा सकते हैं। वहीं राष्ट्रीय राजधानी में पार्टी कार्यालय के लिए मिले सरकारी भवन भी इन दलों से खाली कराने के लिए जल्द ही कहा जा सकता है। गौरतलब है कि बसपा के रकाबगंज स्थित राष्‍ट़ीय कार्यालय को पार्टी ने भव्य निर्माण करके उसे किले का रूप दे रखा है।
01July-2014

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