रविवार, 13 जुलाई 2014

एयर इंडिया की आर्थिक सहेत सुधारेगी मोदी सरकार!

यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को मिलेगी तरजीह
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश की प्रमुख विमान कंपनी एयर इंडिया की लगातार बिगड़ती जा रही आर्थिक सहेत को सुधारने के लिए मोदी सरकार ने कमर कस ली है। हवाई सेवाको मजबूत बनाने की दिशा में सत्ता में आते ही राजग सरकार ने हवाई यात्रियों की सुविधाओं को प्राथमिकता देने की दिशा में जिस तरह से कदम उठाए हैं और हवाई अड्डो के आधुनिकीकरण की सभी लंबित योजनाओं के लिए बजट में किये गये प्रावधान इसी बात का संकेत हैं कि सरकार एयर इंडिया की आर्थिक सहेत को सुधारने की कवायद में जुट गई है।
नागर विमानन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार ने सबसे पहले विमान क्षेत्रों की दशा और दिशा सुधारने के लिए यात्रियों की सुविधाओं को अपनी प्राथमिकता में रखा है और बजट से पूर्व ही कई ऐसी योजनाएं हवाई अड्डों पर शुरू करने के निर्देश जारी किये गये हैं, जिनसे हवाई यात्रियों की सुविधाओं में आने वाली परेशानियों को दूर किया जा सकेगा। इन योजनाओं में यात्रियों की सुरक्षा के उपाय भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार सरकार ने देश में दूरस्थ तक विमान सेवाओं को अपनी प्राथमिकता में रखते हुए बजट में प्रस्ताव भी किये हैं। जहां तक सरकार के उपक्रम के रूप में काम कर रही विमानन कंपनी एयर इंडिया को घाटे से उबारने का सवाल है उसके लिए भी सरकार ने ठोस उपाय करने का निर्णय लिया है। एयर इंडिया की आर्थिक सहेत सुधारने के लिए घाटा होने के प्रमुख तीन कारणों का भी पता लगा लिया है, जिसमें प्रतिकूल बाजार की स्थितियां, र्इंधन की कीमतों में बढ़ोतरी और विनिमय दर में प्रतिकूल उतार-चढ़ाव की समस्या को दूर करने की कवायद शुरू कर दी है। सरकार ने एयर इंडया के घाटे उस पर बढ़ते कर्ज को देखते हुए एक कायाकल्प योजना तैयार की जिसमें एक प्रचालनिक कायाकल्प योजना और एक वित्तीय पुन: संरचना भी शामिल है। विमानन मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सरकार ने एयर इंडिया के लिए निष्पादन संबन्धी लक्ष्य निर्धारित किये हैं और टीएपी यानि कायाकल्प योजना में निर्धारित लक्ष्यों की तुलना में एयर इंडिया के निष्पादन पर नजर रखने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी निगरानी समिति के गठन करने की भी तैयारी शुरू कर दी गई है। सरकार ने विमानन कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों के हितों पर भी ध्यान दिया है, वहीं लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के नियमों को भी कड़ा करने का फैसला किया है। मंत्रालय का मानना है कि ऐसे कदम उठाने से एयर इंडिया को घाटे से उबारने में मदद मिलेगी।
ऐसे बिगड़ती गई सहेत
एयर इंडिया के घाटे पर नजर डाली जाए तो वर्ष 2013-14 में 5388.82 करोड़ रुपये, वर्ष 2012-13 में 5490.16 करोड़ रुपये, वर्ष 2011-12 में7559.74 करोड़ रुपये के घाटे से गुजरी एयर इंडिया की हालत पतली होती चली गई। हालांकि पिछले तीन सालों के इस घाटे को देखा जाए तो कुछ मामूली सुधार हुआ है। यह भी हकीकत है कि इंडियन एयर लाइंस और एयर इंडिया को मर्ज करके बनी एयर इंडिया के बाद से घाटे पर नियंत्रण करने का प्रयास किया गया। इससे पहले वर्ष 2010-11 में एयर इंडिया का घाटा 6865.17 करोड़, वर्ष 2009-10 में 5552.44 करोड़, वर्ष 2008-09 में 5548.26 करोड़ तथा वर्ष 2007-08 में 2226.16 करोड़ के घाटे का सामना करना पड़ा था। इस आंकड़े से जाहिर है कि वर्ष2007-08 में झेला गया घाटा वर्ष 2011-12 में आकर करीब साढ़े तीन गुणा हो गया था, जिसमें बाद में खर्चो आदि में कटौती करने और छंटनी जैसी रणनीतियां करनी पड़ी, लेकिन वे सरकार को रास नहीं आई और कर्मचारियों व पायलटों की हड़ताल से सरकार हलकान होती रही है। अब मोदी सरकार ने इस दिशा में संतुलन बनाने के साथ इस घाटे को पाटने की योजना पर काम करने का फैसला किया है।
13July-2014

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