मंगलवार, 22 जुलाई 2014

न्यायिक नियुक्ति आयोग गठित करने की कवायद!

विशेषज्ञों व विभिन्न दलों राय के बाद आएगा नया विधेयक
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने देश में न्यायाधीशों की नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए एक न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन करने वाले विधेयक का अब नए सिरे से मसौदा तैयार करने का निर्णय लिया है, जिसके लिए राजग सरकार ने विभिन्न राजनीतिक दलों और विधि विशेषज्ञों की रायशुमारी करना शुरू कर दिया है। ऐसा एक विधेयक राज्यसभा में लंबित है।
संसद के दोनों सदनों में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू द्वारा भ्रष्ट जजों को लेकर पूर्ववर्ती सरकार पर लगाए गये आरोपों को लेकर जहां हंगामा हुआ, वहीं राजग सरकार ने भी जजों के मामले पर गंभीरता जताते हुए न्यायिक संबन्धी उन कानूनों को आगे बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है, जो संसद या विभाग संबन्धी संसदीय समितियों के पास लंबित पड़े हुए हैं या फिर लोकसभा भंग होने के कारण निरस्त हो गये हैं। यह इत्तेफाक ही रहा कि जब जजों के मामले पर दोनों सदनों में हंगामे के साथ गूंज रही, वहीं सरकार के पास भी सदस्यों के इस संबन्ध में सवाल थे, जिनका जवाब देते हुए सरकार ने न्यायपालिका में पारदर्शिता लाने की प्रतिबद्धता को दोहराया। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में उठे सवालों के जवाब में सदन को बताया कि राजग सरकार ने जजों द्वारा जजों की नियुक्ति करने वाली व्यवस्था को बदलने का निर्णय लिया है। इस व्यवस्था के स्थान पर न्यायाधीशों की नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक न्यायाकि नियुक्ति आयोग का गठन किया जाएगा, जिसके लिए संसद में लंबित पड़े विधेयक के पिछली लोकसभा भंग होने के कारण निरस्त हुए संबन्धित विधेयक या प्रस्ताव को नए सिरे से एक विधेयक का मसौदा तैयार करने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न राजनीतिक दलों और प्रख्यात कानूनविदों की राय व सुझाव ले रही है। संसदीय समिति ने इस विधेयक पर नौ दिसंबर 2013 को अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसकी समीक्षा के बाद यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित आयोग की स्थापना के संविधान(120वां संशोधन) विधेयक अंतिम सत्र में लाने का प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली। वैसे भी सदन में लाए गये संशोधन विधेयक 15वीं लोकसभा भंग होते ही निरस्त हो गये थे, लेकिन न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक-2013 राज्यसभा में लंबित है। इसलिए केंद्र सरकार ने इस दिशा में कार्यवाही का आगे बढ़ाने में तेजी लाने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए विद्यमान प्रक्रिया में बदलाव के लिए राष्ट्रीय संविधान कार्यकरण पुनर्विलोकन आयोग, दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग और भारत के विधि आयोग द्वारा भी लगातार अपनी सिफारिशों में इस प्रकार के नियुक्ति आयोग के लिए सिफारिशें की हैं।
विवाह पंजीकरण पर नया बिल
केंद्र सरकार ने विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के लिए नए सिरे से विधेयक लाने का फैसला किया है। विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 15वीं लोकसभा भंग होने के साथ ही पिछले विधेयक के समाप्त हो जाने के कारण अब नए सिरे से विधेयक लाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। प्रसाद ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए विवाहों के अनिवार्य पंजीकरण की व्यवस्था करने वाले जन्म और मृत्यु संशोधन विधेयक 2012 को सात मई 2012 को राज्यसभा में पेश किया गया था जिसे उच्च सदन ने 13 अगस्त 2013 को पारित किया था।
मजबूत होगी साइबर सुरक्षा
सरकार एक मजबूत साइबर सुरक्षा मेल नीति तैयार करने और उसे लागू करने के प्रस्ताव पर काम कर रही है। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सरकार ने ईमेल नीति का मसौदा तैयार किया है और अनुमोदन के लिए इस पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस नीति का उद्देश्य केंद्र और राज्यों दोनों स्तरों पर सभी अधिकारियों के लिए सरकारी ईमेल सेवाओं के लिए एक ईमेल आईडी उपलब्ध कराकर सरकारी डेटा को सुरक्षित रखना है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी अधिकारियों को सुरक्षित ईमेल आईडी उपलब्ध कराने के लिए सरकारी ईमेल अवसंरचना को सुदृढ़ बनाने के लिए डीईआईटीवाई द्वारा एक परियोजना प्रस्ताव अनुमोदित किया गया है।
22July-2014

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