रविवार, 13 जुलाई 2014

ऐसे बिछेगा देश में सड़कों का जाल!

संस्था का रूप लेगा पीपीपी मोड़
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देश के विकास सड़को के निर्माण में निहित है और देश में सड़क निर्माण में पिछली सरकार के दस साल के लक्ष्य के लगातार पिछड़ने के कारणों का तलाश करके केंद्र में बनी मोदी सरकार ने एक फार्मूले के साथ देश में सड़कों के जाल को बिछाने के सपने को पूरा करने की मुहिम शुरू करने का निर्णय लिया है। हालांकि सड़कों के लिए सरकार के बजट में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई, लेकिन सरकार इसी बजट से लक्ष्य को साधने की तैयारी में है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली के संसद में पेश किये गये आम बजट में 37,880 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है, जिसमें तीन हजार करोड़ रुपये पूर्वोत्तर राज्यों की सड़कों के निर्माण के लिए खर्च करने का निर्णय लिया गया है। मोदी सरकार ने पिछली सरकारों के सड़क निर्माण में पीपीपी मोड से परियोजनाओं को गति देने के लिए उसे एक संस्था गठित करके उसकी मुख्यधारा में लाने का फैसला किया है। इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आम बजट में भारतीय राष्टीय राजमार्ग प्राधिकरण और राज्य सड़कों के लिए प्रस्तावित बजट को पर्याप्त बताते हुए कहा कि है कि सरकार अपने नए फार्मूले पर सकारात्मक पहल के जरिए देश के विकास को बढ़ाया देने के लिए सड़क परियोजनाओं के लक्ष्यों का समयबद्ध और चरणबद्ध पूरा करने के लिए कटिबद्ध है।
ऐसा होगा नया मॉडल
आम बजट पेश होने के बाद सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश के बुनियादी ढांच के विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 3पी भारत नामक संस्था को कारगर बनाने के लिए 500 करोड़ के कोष का प्रस्ताव किया है। यह धनराशि बजट में 37, 880 करोड़ रुपये से अलग होगी। मसलन सड़क निर्माण में धन की कमी को आड़े नहीं आने दिया जाएगा। इस कोष की स्थापना इसलिए की जा रही है कि पीपीपी मॉडल के अंतर्गत करीब 60 हजार करोड़ रुपये की 260 से ज्यादा परियोजनाएं विभिन्न कारणों ठप पड़ी हुई है, इसलिए इसे नए मॉडल में ढाला जा रहा है। इस संस्था के बाद भारत ऐसा पहला देश होगा, जहां 900 से अधिक परियोजनाओं को पीपीपी मोड़ पर कार्यान्वित करके एक सबसे बड़ा पीपीपी बाजारों में एक होगा। गडकरी के अनुसार बजट में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के विस्तार के लिए 14,389 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान भी पीपीपी मोड के आधार पर किया जाएगा। यही नहीं 3पी भारत नामक संस्था केंद्र की अन्य सेक्टर की परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कारगर साबित होगी। मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार भले ही पिछली सरकार एक दिन में 20 किलोमीटर सड़कों के निर्माण करने में फिसड्डी साबित हुई हो, लेकिन मोदी सरकार के विजन में 20 किमी से भी ज्यादा सड़क का निर्माण एक दिन में करने का लक्ष्य रख रहा है, इसमें ईपीसी(अभियांत्रिकी, खरीद और निर्माण) के अंतर्गत राजमार्ग बनाने की प्रक्रिया पर भी विचार कर रहा हैं। इस नये मॉडल के लिए कम ब्याज दरों पर वित्त पोषण की भी जानकारी ली जा रही है।
चुनौती होगा लक्ष्य पाना
केंद्र की राजग सरकार के इन सबके दावों के बावजूद देश में सड़कों के जाल बिछाने के लिए विकास को गति देना किसी चुनौती से कम नहीं है। इसका कारण है कि इससे पहले दस साल के शासन में यूपीए सरकार सड़क निर्माण के लक्ष्य में लगातार पिछड़ी है। इसके कारण सड़क निर्माण के लिए अनुमानत लागत भी लगातार बढ़ती रही हैं। ऐसे दावे यूपीए सरकार ने भी लगातार हर साल के बजट में किये हैं लेकिन एक बार भी सरकार सड़क निर्माण के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई है। यूपीए सरकार के पिछड़े लक्ष्यों के विलंब पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की संसदीय परामर्श समिति भी केई बार चिंता चुकी थी। ऐसी स्थिति में नई सरकार के लिए सड़क परियोजनाओं को लक्ष्य तक पहुंचाना चुनौती होगा।
11July-2014

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