सोमवार, 7 जुलाई 2014

बजट सत्र- संसद में महंगाई पर हंगामा बरपने के आसार!

आज से शुरू होगा संसद का बजट सत्र
सरकार को घेरकर हंगामे को तैयार विपक्ष
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश के विकास को जनांदोलन बनाने के संदेश के साथ कामकाज करने उतरी मोदी सरकार के कार्यकाल का संसद में पहला बजट सत्र कल सोमवार से शुरू हो रहा है। बजट सत्र में देश में बढ़ती महंगाई को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आई मोदी सरकार के सामने मुश्किलें पेश आ सकती है, जिसे देखते हुए बजट सत्र के दौरान संसद में हंगामे के आसार बने हुए हैं। हालांकि सरकार ने विपक्ष को जहां महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने का आश्वासन दिया है, वहीं अन्य मुद्दों पर भी नियमानुसार चर्चा कराने की हामी भरी है।
संसद के सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में सरकार की नीति हालांकि सभी दलों के साथ समन्वय बनाने की है, लेकिन विपक्षी दलों के सामने भी सरकार को घेरने के लिए मुद्दो की कमी नहीं है। इन सभी आशंकाओं को देखते हुए मोदी सरकार भी विपक्षी दलों के मुद्दों का माकूल जवाब देने की तैयारी के साथ सदन में आएगी। फिर भी महंगाई का मुद्दा संसद के दोनों सदनों में छाया रहने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। इसका कारण यह भी है कि महंगाई के साथ ही बजट से पहले रेल किराये और मालभाड़े में की गयी अप्रत्याशित वृद्धि तथा गैस व पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा इराक में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा व श्रीलंकाई तमिलों के मामले, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर पूर्व सॉलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम का नाम ठुकराये जाने को लेकर उठे विवाद, केंद्रीय मंत्री निहाल चंद पर बलात्कार के आरोप और देश में महिलाओं के खिलाफ ज्यादती के बढ़ते मामलों को लेकर मोदी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के कांठ में सांप्रदायिक तनाव का मामला भी संसद में गूंजने की संभावना है। ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें लेकर मोदी सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दल लामबंद हैं और संसद में सरकार को घेरने की तैयारी कर चुके हैं। हालांकि सरकार ने विपक्ष की महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने का आश्वासन दे दिया है, लेकिन महंगाई के साथ अन्य मुद्दे मोदी सरकार के लिए बजट सत्र में मुश्किलें खड़ा करने के लिए काफी हैं। मसलन बजट सत्र के हंगामेदार होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता।
निपटने की तैयारी में सरकार

सूत्रों के अनुसार बजट सत्र के पहले ही दिन कुछ मुद्दे गूंजने की संभावना बनाओं को देखते हुए सरकार की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इराक के मुद्दे पर दोनों सदनों में बयान दे सकती हैं। जहां तक महंगाई के मुद्दे का सवाल है उसके लिए संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू पहले ही कह चुके हैं कि सरकार महंगाई और रेल किराया तथा मालभाड़े में वृद्धि के मुद्दों पर बहस को बजट प्रस्तावों पर चर्चा के साथ ही कराने का प्रयास करेगी। जबकि सरकार अन्य मुद्दों पर भी नियमों के तहत चर्चा कराने से पीछे नहीं हटेगी। लेकिन लगता है कि विपक्ष इसके लिए राजी नहीं होगा। सरकार को आठ जुलाई को रेल और दस जुलाई को आम बजट पेश करना है, जबकि नौ जुलाई को आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा।
कांग्रेस का अपना दर्द

मोदी सरकार के कार्यकाल का पहला बजट सत्र में हंगामे के आसार के बीच कांग्रेस भी लोकसभा में प्रतिपक्ष नेता का पद हासिल करने के लिए अपने दावे पर हंगामा करके सरकार को घेरने की विपक्ष की मुहिम को पंख लगाने की फिराक में है। यह तय माना जा रहा है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को यदि प्रतिपक्ष नेता का पद दिया गया तो इस मुद्दे पर संसद में सरकार और कांग्रेस के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। कांग्रेस पहले से ही लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा न मिलने से खफा है। कांग्रेस का तर्क है कि सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के नाते विपक्ष के नेता का दर्जा पाना उसका अधिकार है और इसे पाने के लिए वह सभी विकल्प खुले रखे हुए है। कांग्रेस यहां तक धमकी दे चुकी है कि यदि कांग्रेस को प्रतिपक्ष नेता का पद न दिया गया तो कांग्रेस राज्यसभा में किसी भी विधेयक या प्रस्ताव को पारित नहीं होने देगी। वहीं उसके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने का विकल्प भी खुला है।
सत्र में 28 बैठकें होंगी
संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार सात जुलाई से 14 अगस्त तक चलने वाले संसद के बजट सत्र के दौरान 28 बैठकें होंगी, जिसमें कामकाम के लिए 168 घंटे का समय तय किया गया है। इसी दौरान विभिन्न मंत्रालयों की स्थायी समितियों का गठन किया जाना है, इसलिए मंत्रालयों की अनुपूरक मांगों को समिति के बजाय संसद में बहस के बाद 31 जुलाई तक दोनों सदनों की अनुमति दे दी जाएगी। इस दौरान सरकार का इरादा भारतीय दूरसंचार नियमन प्राधिकरण (संशोधन) अध्यादेश 2014 तथा आंध्रप्रदेश पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश, 2014 के तहत पोलावरम परियोजना संबंधित अध्यादेश की जगह विधेयक लाने का भी है। ट्राई (संशोधन) अध्यादेश को कैबिनेट ने पहली बैठक में ही 28 मई को मंजूरी दी गई थी। वहीं सरकार के सामने आंध्रप्रदेश अध्यादेश 2 जून को राज्य के आधिकारिक विभाजन से पहले, 29 मई को जारी किया गया था। वाणिज्य मंत्रालय नेशनल इन्स्टीट्यूट आफ डिजाइन पर एक विधेयक लाने का भी प्रस्ताव है। इसके अलावा सरकार की योजना विभिन्न लंबित विधेयकों की समीक्षा करने और विपक्ष के साथ विचार विमर्श कर उन्हें संसद में पेश करके पारित करान की भी है।
07July-2014

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