गुरुवार, 17 जुलाई 2014

गरीबी, शिशु-मातृ मृत्यु व स्वच्छता में फिसड्डी भारत!

संयुक्त राष्ट्र की जारी वैश्विक रिपोर्ट बनी बड़ी चुनौती
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
दुनियाभर में सबसे ज्यादा गरीबी, शिशु मृत्यु व मातृ मृत्यु और स्वच्छता के रूप में पिछड़े भारत की तस्वीर ने केंद्र की मोदी सरकार के सामने एक चुनौती खड़ी कर दी है। संयुक्त राष्ट्र की सहास्त्राब्दि विकास लक्ष्य रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए मोदी सरकार ने उम्मीद जताई है कि अगले 15 सालों में इस चुनौती से पार पाने में सफलता मिलेगी और देश की एक बेहतर तस्वीर दुनिया के सामने होगी।
केंद्रीय अल्पसंख्य मामलों की मंत्री श्रीमती नजमा हेपतुल्ला ने 15 साल में एक बार प्रकाशित होने वाली संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को यहां जारी किया,जिसमें प्रकाशित आंकड़ों से भारत की स्थिति पर आई रिपोर्ट बेहद चिंताजनक हालत में सामने आई। इस रिपोर्ट पर गौर करें तो सर्वाधिक गरीबी आबादी वाली सूची में भारत सूची में सबसे ऊपर है, हालांकि पिछले दो दशकों के बीच दक्षिणपूर्वी एशिया में गरीबी दर में 45 से घटकर 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर के गरीबों की संख्या में सर्वाधिक 32.9 प्रतिशत भारत का हिस्सा है, जो चीन, नाइजीरिया और बंगलादेश के अनुपात से भी कहीं ज्यादा है। यही नहीं भारत का नाम उस सूची में भी सबसे ऊपर दर्ज हुआ है, जहां दुनियाभर में बाल मृत्यु दर भी सर्वाधिक है। इस आंकड़े वर्ष 2012 में 14 लाख बच्चों की मौत पांच साल की आयु में ही होना बताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सभी देशों ने 15 साल पहले 2015 तक के लिए गरीबी, भूखमरी, लिंगानुपात, शिक्षा और पर्यावरण जैसे मुद्दों से जुड़े आठ लक्ष्य तय किये थे, लेकिन वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत के गरीबी, शिशु-मातृ मृत्यु व स्वच्छता में पिछड़ने के कारण सवालिया निशान ही नहीं उठ गये, बल्कि देश के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ बनकर खड़ी हो गई है। जिसमें दुनिया का हर तीसरा आदमी भारत में रहता है, जहां मातृत्व मृत्यु दर 17 प्रतिशत है और 60 प्रतिशत लोग आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं, जिसके कारण दुनिया के सामने देश की की तस्वीर धुंधली बनी हुई है।
अगली रिपोर्ट में दिखेगी बेहतर तस्वीर
इस रिपोर्ट को जारी करते समय केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री डा. नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि मानव विकास, महात्मा गांधी के विचारों का आवश्यक अंग था। उनकी मान्यताओं का असर सबसे गरीब तबके पर पड़ा। राजग सरकार का भी यही सिद्धान्त है, वह सभी के विकास की समर्थक है। महात्मा गांधी के उपदेशों के बावजूद देश उनकी आकांक्षाओं को पूरी करने में असफल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और इसे पूरा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी रिपोर्ट में बताई गई बातों सहित कई चुनौतियों की पहचान की गई है। हेपतुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से गरीब तबके के लिए पर्याप्त स्वच्छता, पेयजल, मातृ और शिशु देखभाल को सबसे अधिक प्राथमिकता देने पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई की वर्ष 2030 में जब निरंतर विकास लक्ष्यों की 15 वर्ष की समीक्षा की जाएगी, तब भारत अपनी बिल्कुल अलग और बेहतर तस्वीर पेश करेगा।
17July-2014

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