सोमवार, 21 जुलाई 2014

संसदीय पाठशाला से नदारद रही कई नामी हस्तियां!

कुछ ने बेहद दिखाई रूचि और कुछ ने निभाई औपचारिकता
राज्यसभा:नए सांसदों का विषय -बोध कार्यक्रम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राज्यसभा में पहली बार निर्वाचित होकर आए करीब पांच दर्जन नए सांसदों को संसदीय प्रणाली और नियमों की जानकारी देने तथा उन्हें उनके कर्तव्यों व दायित्वों के प्रति ज्ञान देने की दिशा में प्रशिक्षण कार्यक्रम के रूप में आयोजित दो दिवसीय विषय-बोध कार्यक्रम संपन्न हो गया, लेकिन इस संसदीय पाठशाला में ज्यादातर नए सांसदों ने दिलचस्पी दिखाने का कोई प्रयास नहीं किया। इस कार्यक्रम से गैरहाजिर रहने वालों मे जहां फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती जैसी हस्ती शामिल है, वहीं राज्यसभा में ज्यादातर ऐसे सांसद नदारद रहे, जो अर्से से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे।
दरअसल संसद के दोनों सदनों में कमजोर होती जा रही संसदीय मर्यादा और गिरती गरिमा पर अंकुश रखने के लिए पहली बार संसद में दाखिल होने वाले नए सांसदों को संसदीय प्रणाली और नियमों और उनके कर्तव्यों व दायित्व की जानकारी करना दोनों सदनों के सचिवालय जरूरी मानने लगे हैं। इसके मद्देनजर बजट सत्र से पहले लोकसभा के नए सांसदों को इस तरह का प्रशिक्षण दिया गया। राज्यसभा सचिवालय ने भी सदन में आए 60 नए सांसदों को संसदीय कायदे-कानून का ज्ञान कराने के लिए दो दिन का ओरिएंटेशन प्रोग्राम किया, जिसका उद्घटन उपराष्टÑपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने राज्यसभा के सभापति के रूप में किया और नए सांसदों को नसीहत देने के साथ सदन की कार्यवाही में बाधा न डालने की अपील तक कर डाली। रविवार को इस संसदीय पाठशाला का अंतिम दिन था, जिसमें पहले दिन की अपेक्षा संसदीय पाठ पढने वाले सांसदों की संख्या और भी कम रही। ज्यादातर सांसदों ने तो इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने का प्रयास ही नहीं किया। सबकी नजरें फिल्मी अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती पर लगी थी, जो तृणमूल कांग्रेस से निर्वाचित होकर उच्च सदन में पहुंचे हैं। इनके अलावा दो मनोनीत सदस्य के. पारसरान व प्रो. मृणाल मिरी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए।
अनुभवी माननीयों का रहा टोटा
राज्यसभा में पहली बार सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए जदयू के केसी त्यागी, कांग्रेस के दिग्विजय सिंह व मधुसूदन मिस्त्री, कुमारी सैजला व राकांपा प्रमुख शरद पवार जैसे अनुभवी सांसद भी पाठ पढ़ने वालों में हिस्सेदार थे, लेकिन उनका इस विषय-बोध कार्यक्रम में टोटा रहा, जो संसद के किसी सदन में पहली बार आए नए सांसदों के लिए मार्गदर्शक का काम कर सकते थे, लेकिन इन सांसदों ने शायद इस पाठशाला में इसलिए हिस्सा लेने से परहेज किया हो कि वे लोकसभा में अर्से से प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। कार्यक्रम में पहले दिन केवल 30 सांसदों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से रविवार को अंतिम दिन 15 ही रह गये, जबकि करीब चार सदस्य जो पहले दिन नहीं आ पाए थे, रविवार को दूसरे दिन कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे।
ताकि सदन में गरिमा में रहे सांसद
राज्यसभा सचिवालय के अनुसार उप राष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति एम हामिद अंसारी द्वारा इस कार्यक्रम की शुरूआत करने के बाद उपसभापति प्रो.पीजे कुरियन ने समापन किया। इन दोनों के बीच नए सांसदों को संसदीय प्रणाली और परिपाटी से अवगत कराने के लिए कई वरिष्ठ सांसदों और विशेषज्ञों ने ज्ञान दिया। रविवार को डा. ईएम सुदर्शन नाच्चियप्पन ने नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष की भूमिकाओं के बारे में नए सांसदों को सजग किया। माकपा सांसद सीताराम येचुरी ने इस पाठशाला में नए सांसदों को संसदीय सिस्टम में समिति प्रणाली के महत्व को समझाया और उसे एक सांसद कैसे प्रभावित कर सकता है इसके लिए संसदीय समिति और उसके काम को गंभीरता से लेने पर जोर दिया। सांसद आॅस्कर फर्नांडिस ने संसदीय प्रणाली के तहत संपत्ति और देनदारियों और अन्य संबंधित मामलों के अलावा आचार संहिता और शिष्टाचार से संबंधित मुद्दों पर नए सांसदों से चर्चा की। इस मौके पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव प्रो. टीसीए अनंत ने सांसदों को सांसद की स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस) के बारे में एक प्रस्तुति दी। विधि और न्याय मंत्रालय में पूर्व सचिव रहे डा. रघुबीर सिंह ने संसद द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया के बारे में एक अंतर्दृष्टि प्रस्तुत करते हुए नए सांसदों के ज्ञान को अपने अनुभव के आधार पर बढ़ाने का प्रयास किया और उन्हें कानून बनाने की सभी संवैधानिक और कानूनी बारीकियों का एक स्पष्ट अर्थ पेश किया।
21July-2014

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें