शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

हाईस्पीड़ ट्रेन चलाने का सपना साकार!

मोदी सरकार के दो दिन रेलवे के नाम
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार ने आखिर उस सपने को पूरा करने की शुरूआत कर दी है, जिसकी पिछली सरकारें लगातार घोषणाएं करके सब्जबाग दिखाती आ रही थी। मसलन अपने पहला रेल बजट पेश करने से पहले रेलवे के स्तर को सुधारने की दिशा में सरकार ने दो दिन रेल के नाम कर महत्वपूर्ण योजनाओं को अंजाम देकर अच्छे दिन के संकेत दे दिये हैं। शुक्रवार को जहां माता वैष्णों के रेलवे सफर का आसान कर दिया जाएगा, वहीं एक दिन पहले गुरूवार को
भारत के उन सपनों को साकार करने की पहल की गई जिसमें हाईस्पीड़ ट्रेने चलाने की योजनाएं कागजो तक सिमटी हुई थी।
भारतीय रेलवे के अध्याय में गुरूवार को एक नया पेज उस समय जुड़ गया, जब हाईस्पीड ट्रेने चलाने की लंबित पड़ी योजना को अंजाम देने का प्रयोग किया गया। केंद्र में आई मोदी सरकार ने रेलवे की सेहत सुधारने की दिशा में जहां यात्री भाड़े में कुछ बढ़ोतरी की तो लोगों को यह बढ़ोतरी अखरी होगी,लेकिन जो कदम गुरूवार को वादे के मुताबिक उठाया गया है उससे जनता को मोदी सरकार के प्रति काम करने का विश्वास जरूर बढ़ा होगा। रेलवे विशेषज्ञ ऐसी ही परिभाषा बोलते नजर आ रहे हैं। गुरूवार का दिन रेलवे के विकास के रूप में उस समय शुरू हुआ जब भारत के इतिहास में पहली बार हाईस्पीड़ ट्रेन चलाने का प्रयोग शुरू किया गया। मसलन रेलवे ने दिल्ली से आगरा के रेलवे सफर को 90 मिनट में तय करने का लक्ष्य रखते हुए पहली हाईस्पीड ट्रेन को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सवा ग्यारह बजे रवाना की, जो सीधे आगरा छावनी रेलवे स्टेशन पर जाकर रूकी। मंडल रेल प्रबंधक अनुराग सचान के प्रवक्ता अजय माइकल ने बताया कि रेल मंत्रालय की रेलवे नेटवर्क में मौजूदा रेल गति बढ़ाने की योजना के तहस नई दिल्ली से आगरा छावनी तक 160 किमी प्रतिघंटा की गति से रेलगाड़ी चलाने की पायलट योजना शुरू की है। इस रेलवे सैक्शन पर आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए अपेक्षित निर्माण कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया था और हाईस्पीड टेÑन चलाने का पहला परीक्षण गुरूवार को किया गया, जो कहीं हद तक सफल रहा। प्रवक्ता ने बताया कि हालांकि नई दिल्ली से आगरा छावनी रेलवे स्टेशन तक इस हाईस्पीड ट्रेन ने 99 मिनट का समय लिया, जबकि वापसी में वह आगरा छावनी से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 103 मिनट में पहुंच सकी। यह परीक्षण अभी कई दिन तक जारी रहेगा। रेलवे के अनुसार परीक्षण के दौरान इस हाईस्पीड ट्रेन में रेल संरक्षा आयुक्त पीके वाजपेई, दिल्ली मंडल के मंडल रेल प्रबंधक अनुराग सचान, उत्तर मध्य रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक विजय सहगल के अलावा रेलवे बोर्ड, रिसर्च डिजाइन एवं स्टेंडर्ड आर्गेनाइजेशन लखनऊ के साथ ही कई तकनीकी अधिकारियों के दल भी मौजूद थे। इन रेलवे के दलों ने ट्रैक, सिगनल के अलावा दूसरी तकनीकी चीजों की जांच-पड़ताल भी की। रेलवे के अनुसार हाईस्पीड गाडी को हजरत निजामुद्दीन से आगरा के बीच चलाने की योजना है, जिसमें इन दोनों स्टेशनों के बीच निर्धारित 89 मिनट का समय है, लेकिन पहले प्रयोग में एक मिनट यानि 90 मिनट का समय लगा।
रेल बजट में हो सकती है घोषणा
संसद के बजट सत्र के दौरान रेलवे बजट में इस मार्ग पर हाईस्पीड ट्रेन चलाने की घोषणा हो सकती है। रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि इस ट्रेन में स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस जैसे दस एसएलबी कोच लगे थे। इसका इंजन 5400 हार्स पावर का है। दिल्ली-आगरा रूट पर ट्रेन के संचालन के लिए ट्रैक को बेहद मुस्तैदी से दुरुस्त किया गया। रेलवे के सूत्रोें की माने तो इस प्रयोग के सफल होने के बाद अक्टूबर से इस ट्रेन को नियमित नई दिल्ली से आगरा के बीच संचालित किया जा सकता है। रेलवे के अनुसार रेल अनुसंधान एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) लखनऊ देश की इस हाई स्पीड ट्रेन के संचालन की तैयारी में काफी समय से जुटा था। इसके साथ ही नई दिल्ली से आगरा के उस ट्रैक का भी पूरा परीक्षण किया गया जिस पर इस ट्रेन का ट्रायल के लिये शुरू किया गया है।
रेलवे ने बरती ये सावधानी
नई दिल्ली से आगरा कैंट तक बिना रूके चली हाईस्पीड ट्रेन।
नई दिल्ली-आगरा रूट पर इस ट्रेन के परीक्षण के लिए प्रभावित हुई डेढ़ दर्ज एक्सप्रेस ट्रेनें।
इसमें 12 कोच की ट्रेन में 4 कोच में मेजरमेंट मशीन लगाई गई।
पूरे ट्रैक के किनारे जानवरों को रोकने के लिए भी कर्मचारियों की रही तैनाती।
04July-2014

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