बुधवार, 2 जुलाई 2014

अब संसद में गरिमयी दिखेंगे माननीय!


नए सांसदों की पाठशाला में पढ़ाई पूरी
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
संसद में मोदी सरकार के कामकाज को गति देने के लिए पहली बार लोकसभा पहुंचे नए सांसदों को संसदीय पाठ पढ़ाने के लिए प्रबोधन कार्यक्रम में वरिष्ठ सांसदों और विशेषज्ञों ने सीख दी है कि वे सदन में संसद की गरिमा रहे और इसके लिए वे संसदीय परिपाटी के तहत अपने आपको एक आदर्श जनप्रतिनिधि साबित करने का प्रयास करें। नए सांसदों से यही उम्मीद की गई है कि वे सदन के भीतर गरिमा में रहकर संसदीय मर्यादाओं के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।
आगामी सात जुलाई से आंरभ हो रहे मोदी सरकार के बजट सत्र से पहले नए सांसदों को संसदीय प्रणालियों और कायदे कानूनों की जानकारी देने के लिए लोकसभा सचिवालय ने उन्हें प्रशिक्षण देने के रूप में ओरियंटेशन प्रोग्राम आयोजित करने की परंपरा को आगे बढ़ाया। इस बार सदन में नए और युवा सांसदों ने संसदीय परिपाटी जानने के लिए उत्साह के साथ हिस्सा भी लिया। संसदीय शौंध में आयोजित इस कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम दिन भी नए सांसदों ने संसदीय नियमों और संसदीय कामकाज व अन्य तकनीकी बारीकियों की सीख ली। संसद क ब्यूरो आॅफ पार्लियामेंट्री स्टडीज एवं टेनिंग डिपार्टमेंट द्वारा आयोजित इस प्रबोधन कार्यक्रम में आज दूसरे दिन जहां नए सांसदों ने सदन में उठाने हेतु प्रक्रियात्मक साधन और सदस्यों को मिलने वाली सुख-सुविधाओं की जानकारी हासिल की, वहीं उन्होंने संसदीय शौंध, संसदीय ज्ञान पीठ और संसद भवन का स्थलीय भ्रमण करके मिलने वाली सुविधाओं के स्थलों और काउंटरों को देखकर नियमों की जानकारी हासिल की, वहीं नए सांसदों ने वरिष्ठ सांसदों और विशेषज्ञों से सवाल करके अपनी आशंकाओं से निवृत्ति ली। इस कार्यक्रम में लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने दूसरे दिन भी नए सांसदों को संसदीय गरिमा और मर्यादा का पाठ पढ़ाया, वहीं रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार, वरिष्ठ सांसद भर्तृहरि महताब व लोकसभा महासचिव पी. श्रीधरन ने तकनीकियों और संसदीय परिपाटी का ज्ञान दिया। नए सांसदों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के कायदे-कानूनों और संसदीय प्रणाली से अवगत के अलावा सभी कायदे-कानूनों का पाठ पढ़ाया गया और इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया कि सदन में शिष्टाचार और आचरण के जरिए वे देश और जनता की सेवाओं को एक अच्छे और आदर्श जनप्रतिनिधि के रूप में कर सकेंगे, वहीं देश के विकास और जनता के हित की योजनाओं को सरकार संसद के जरिए आगे बढ़ा सकेंगी, जिसके लिए संसद की गरिमा और मर्यादाओं का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। इसीलिए शिष्टाचार, आचार संहिता और विशेषाधिकार आदि नियमों के अलावा सांसद की भूमिका और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के लिए योगदान, सदस्य की सुविधाएं और विशेषाधिकार का एक अवलोकन, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस), कानून बनाने की प्रक्रिया, समिति प्रणाली, राजनीति में आचार संहिता जैसे विषयों से पहले ही अवगत कराया जाता है। इस प्रबोधन कार्यक्रम में पहले ही दिन करीब 250 सांसद पहुंचे थे, जिनमें दूसरे दिन कुछ नहीं आए, लेकिन जो पहले दिन नहीं आए थे उनमें अधिकांश मंगलवार को ज्ञान लेते नजर आए।
रोशन करेंगे चिराग
प्रबोधन कार्यक्रम में संसदीय पाठ पढ़ने आए लोजपा सांसद चिराग पासवान ने इस तरह के कार्यक्रम की सराहना की है और कहा कि संसदीय प्रणाली का ज्ञान एक संसद सदस्य को होना चाहिए। अभिनय के क्षेत्र से राजनीतिक करने के इरादे से सांसद बने युवा चिराग पासवान ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों से जनता को अनेक आकांक्षाएं होती है, जिन्हें एक संसद सदस्य तभी पूरी कर सकता है, जब वह सदन में जनता की आवाज बनकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे। पिछले दिनों संसद में हुई कुछ घटनाओं के मिथक को तोड़कर नई उम्मीदें जगाने की ललक में नजर आए चिराग पासवान का कहना था कि सभी सांसदों को शिष्टाचार और अपने संसदीय आचरण के साथ सदन में हिस्सा लेना चाहिए और उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस बार युवा सांसद सदन की गरिमा और मर्यादाओं को बरकरार करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
मिसाल बनेगी भाजपा की पहल
मोदी सरकार की अगुवाई करने वाली भाजपा द्वारा अपने सांसदों की कार्यशाला आयोजित करने पर भले ही पूर्ववर्ती यूपीए सरकार का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस के नेताओं ने मजाक बनाया हो, लेकिन संसद में एक सांसद को सदन की कार्यवाही में कैसे हिस्सा लेना चाहिए इसके लिए भाजपा ने एक मिसाल कायम की है। इस कार्यक्रम का हिस्सा बने कुछ भाजपा नए सांसदों ने जहां इस तरह की जानकारियों के लिए लोकसभा सचिवालय की परंपरा का उचित ठहराया, वहीं शायद संसदीय इतिहास में पहली बार भाजपा ने पार्टी के नए और वरिष्ठ सभी सांसदों को संसदीय प्रणाली और शिष्टाचार के लिए आयोजित कार्यशाला की भी सराहना की। मसलन भाजपा सांसदों को लगातार संसदीय प्रणाली समझने के लिए चार दिन तक अपने आपको व्यस्त रखना पड़ा हो, लेकिन भाजपा सांसदों का मानना है कि लोकतंत्र के मंदिर में जाने से पहले एक सांसद को अपने मन को स्वच्छ रखकर नियमों के अनुसार ही कदम रखना चाहिए।
02July-2014

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