सोमवार, 30 जून 2014

कालेधन पर एक्शन में आई एसआईटी!

एजेंसियों को आंकड़े साझा करने के निर्देश
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
विदेशों में भारतीयों का जमा कालाधन को वापस लाने की कवायद में जुटी मोदी सरकार द्वारा गठित एसआईटी भी पूरी तरह से कार्यवाही को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय हो गई है। जहां सरकार ने स्विट्जरलैंड को गोपनीय खातों की जानकारी देने का अनुरोध किया है, वहीं एसआईटी ने विभिन्न जांच एजेंसियों को कालेधन से जुड़े आंकड़े साझा करने के निर्देश जारी कर दिये हैं।
मोदी सरकार ने सत्ता संभालने के बाद सबसे पहला कदम कालेधन पर ही उठाया था, जिसने पहली कैबिनेट में कालेधन की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन करने का ऐलान किया था। मोदी सरकार की ओर से गठित एसआईटी का भी एक माह पूरा हो गया है और कालेधन पर भारत सरकार के इस दौरान स्विस बैंकों में जमा कालेधन के मुद्दे पर हुए पत्राचार और वार्ताओं के बीच स्विट्जरलैंड की ना-नुकर के खेल में एसआईटी भी पूरी तरह से हरकत में नजर आ रही है। रविवार को ही एसआईटी ने देश की विभिन्न जांच एजेंसियों से इस प्रकार की चोरी व आपराधिक वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मामलों के आंकड़ो का ब्यौरा मांगा है और निर्देश दिये हैं कि वे ऐसे वित्तीय मामलों की जांच के आंकड़ों को साझा करना सुनिश्चित करें, ताकि कालेधन की कार्यवाही पर आगे बढ़ा जा सके। एसआईटी का मानना है कि आंकड़ो को साझा करने से ऐसी कर चोरी जैसी गतिविधियों पर अंकुश भी लग सकेगा। सूत्रों के अनुसार एसआईटी के अध्यक्ष जस्टिस एमबी शाह ने उन 11 विभागों यानि एजेंसियों से इन मामलों का ब्यौरा मांगा है, जो एसआईटी के पैनल में शामिल हैं। इससे पहले वित्त मंत्रालय ने भी स्विट्जरलैंड के कालाधन जमा करने वाले भारतीयों के नाम बताने से इंकार करने की खबर के बीच एक बार फिर से स्विट्जरलैंड सरकार से अनुरोध किया है कि वह उन भारतीयों के नाम और खातों का ब्यौरा उपलब्ध कराए जिनकी काली कमाई स्विस बैंकों में जमा है।
इसलिए तलब किये आंकड़े
सूत्रों के अनुसार एसआईटी ने दल में शामिल जांच एजेंसियों के पैनल से इन आंकड़ो को कालेधन की जांच को आगे बढ़ाने के मकसद से इसलिए मांगा है ताकि कालेधन की मात्रा का अनुमान लगाने और यह पता लगाया जा सके कि देश में कालाधन कैसे पनप रहा है, जिसमें कर या शुल्क चोरी, विदेशी विनिमय कानून का उल्लंघन, आय से अधिक आमदनी, देश-विदेश में बेनामी संपत्तियां कुछ ऐसे तरीके शामिल हो सकतें हैं। सूत्रों के अनुसार एसआईटी की कालेधन की जांच पर जल्द होने वाली बैठक में इन आंकड़ो के आधार पर जांच की दिशा तय की जाएगी। गौरतलब है कि इसी प्रकार भारतीय रिजर्व बैंक ने भी हालिया दिनों में सभी बैंकों व वित्तीय संस्थानों को इस उच्च स्तरीय समिति की ओर से मांगी गई सभी सूचनाओं को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए जारी किये थे।
ठिकाने लगने लगा कालाधन!
सूत्रों के अनुसार जैसे-जैसे केंद्र में मोदी की सरकार कालेधन पर तेजी से हरकत में कार्यवाही को अंजाम देने में भारत व स्विट्जरलैंड के बीच इस मुद्दे पर सहयोग की बढ़ती उम्मीदों को पंख लगते दिखे, तो स्विस बैंकों में जमा कालेधन के खातेदारों में अपनी मूल पहचान छिपाने के लिए सोने और हीरे के व्यापार की कमाई का जरिया सिर चढ़ाने की रणनीति अपनानी शुरू कर दी है। वित्तीय मामलों के जानकारों की माने तो कालेधन के पीछे के वास्तविक खातेदारों की पहचान छिपाने के लिए हीरा व्यापार, सोने व अन्य आभूषणों का निर्यात, शेयर बाजार के सौदे एवं नई पीढ़ी की वर्चुअल करंसी के धन हस्तांतरण के तरीकों को पिछले दिनों से अंजाम दिया जा रहा है। स्विट्जरलैंड के ये सरकारी आंकड़ें भी इस बात को पुष्ट करते नजर आ रहे हैं, जिसमें इस साल के शुरूआत से यहां से भारत के साथ करीब 6 अरब स्विस फ्रैंक यानि करीब 40 हजार करोड़ रुपये मूल्य के सोने का व्यापार हुआ है। इन आंकड़ों के कारण इस बात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता, कि कालेधन को ठिकाने लगाने की गतिविधियों का दौर थमा नहीं है।
30June-2014

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