रविवार, 29 जून 2014

लोस में हार से सबक सीखने में जुटी कांग्रेस !


फिर से कुलाचे मारने को मचल रही कांग्रेस!
चिंतन-मंथन के बीच पार्टी के भीतर उठे सवालों पर शुरू हुई बहस
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र की सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के कारणों पर मंथन करने में जुटी है। इस चिंतन और मंथन के बाद कांग्रेसमें संगठनात्मक रूप से बड़े पैमाने पर ऐसा फेरबदल होने के आसार है, जिसमें पार्टी को नए कलेवर के साथ मजबूत करके राजनीतिक पटल पर खड़ा किया जा सके। इसी कवायद में कांग्रेस पार्टी कुलाचे मार रही है।
सोलहवीं लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार पर कांग्रेस पार्टी में चल रहे चिंतन-मंथन के बीच ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी के धर्मनिरपेक्षता को लेकर पार्टी की नीतियों का जिम्मेदार ठहराने के बाद शनिवार को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाने से कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता एके एंटोनी की अध्यक्षता में एक अनौपचारिक समिति गठित करके चुनावी शिकस्त के कारणों को तलाशने का काम शुरू कर दिया है। इस समिति में मुकुल वासनिक, आरसी खूंटिया और अविनाश पांडे जैसे विश्वासपात्र नेताओं को शामिल किया गया है। इस मुहिम में यह समिति अभी तक दिल्ली, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल,ओडिशा आदि कुछ राज्यों की कांग्रेस कमेटियों के साथ बैठकें करके तथ्यों को जुटाया जा चुका है। सूत्रों के अनुसार यह समिति राज्यों की पार्टी ईकाईयों से चुनावों में हुई हार और गड़बड़ियों के अलावा चुनावी रणनीतियों में रही खामियों का पता लगाने के लिए बातचीत कर रही है। कांग्रेस के सूत्रों की माने तो राज्यों की ईकाईयों और वरिष्ठतम नेताओं से लगातार संपर्क करके चुनावी हार के कारणों के तथ्य जुटाने का काम कर रही है, जिसे संसद के बजट सत्र से पहले पूरा कर लिये जाने की उम्मीद जताई गई है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की चुनावी हार से सबक लेकर पार्टी को नए सिरे से व्यापक फेरबदल के साथ संगठनात्मक रूप से भी मजबूत खड़ा करने की कवायद चल रही है। संगठनात्मक रूप से केंद्रीय, राज्य और जिला स्तर पर संगठनात्मक ढांचे में आमूलचूल बदलाव होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि कांग्रेस हाईकमान संगठनात्मक बदलाव का काम एंटोनी की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट के बाद शुरू करेगी। सूत्रों के अनुसार कमेटी उन पहलुओं को भी ध्यान में रखकर चल रही है, जहां कांग्रेसी नेताओं की पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण कांग्रेस की चुनावों में दुर्दशा हुई है।
वरिष्ठ नेताओं पर भी गिरेगी गाज
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनावों में पार्टी के अत्यंत निराशाजनक प्रदर्शन को गंभीरता से लिया है। चुनावी नतीजो के बाद ही सोनिया गांधी ने हार के कारणों का पता लगाने के लिए कमर कस ली थी और पिछले माह ही कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में पार्टी ने सोनिया गांधी को संगठनात्मक बदलाव के लिए अधिकृत कर दिया था, जिसमें उन्होंने केंद्र से लेकर निचले स्तर तक संगठनात्मक बदलाव के संकेत दे दिये थे और एंटनी की अध्यक्षता में समिति का गठन कर दिया था। पार्टी को फिर से नए कलेवर में मजबूती से खड़ा करने की कवायद में पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। पार्टी हाईकमान के तेवरों से जाहिर है कि समिति की रिपोर्ट के बाद वरिष्ठ नेताओं पर भी गाज गिरना तय है।
कई बार दिखा कांग्रेस का छद्म धर्मनिरेपक्ष चेहरा
राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि कांग्रेस के जिम्मेदार और वरिष्ठतम नेता एके एंटोनी ने पार्टी के धर्मनिरपेक्षता पर दिया गया बयान कोई औपचारिक नहीं है, जो हार के कारणों का पता लगाने के लिए पार्टी के लोगों से तथ्य जुटाने में लगे हैं। ऐसे में इस बयान से राजनीतिक में नई बहस छिड़ना स्वाभाविक भी है। राजनीतिकार मानते हैं कि यदि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार पर मंथन किया जाए तो उसके एक कारणों में यह तथ्य भी शुमार करना जरूरी हो जाएगा कि कांग्रेस पर मुस्लिमों के प्रति सहानुभूति की रणनीति का लेबल लगने से अन्य समुदाय में उसका संदेश विपरीत गया है। चुनाव से पहले कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की यह रणनीति एक बार नहीं कई मामलों में सामने आई है, जबकि मुजμफरनगर दंगों के मामले पर ही गौर करें तो दंगे में सभी तबके प्रभावित होते हैं लेकिन पार्टी ने एक ही तबके के आंसू पौंछने पर ज्यादा जोर दिया है। इसके अलावा असम हिंसा, शाहबानो प्रकरण, बटला हाउस एनकाउंटर, सोमनाथ मंदिर का निर्माण या फिर रामजन्म भूमि प्रकरण हो जैसे अनेक मौके सामने आए,जहां कांग्रेस पार्टी की कांग्रेस की छद्म धर्मनिरपेक्षता साफ तौर से नजर आई।
29June-2014

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