रविवार, 1 जून 2014

यूपी बिजली समस्या पर केंद्र ने सुझाया समाधान

बिजली कटौती चुनावी हार का बदला तो नहीं!
ओ.पी. पाल

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में बरप रहे बिजली संकट पर जब यूपी सरकार ने इसका ठींकरा केंद्र सरकार के मत्थे मंढने का प्रयास किया तो केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में बिजली संकट और बिजली आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की। वहीं यूपी सरकार के लिए बिजली समस्या का समाधान सुझाया है।
उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद उत्तर प्रदेश में आजमगढ़,मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज व फिरोजाबाद जिलों की 24 घंटे आपूर्ति के छोड़कर अन्य सभी जिलों में बिजली की किल्लत बढ़ी है। अचानक बिजली की अघोषित कटौती से हा-हाकार मचा हुआ है जिसके लिए सूबे की सरकार केंद्र पर दोष मंढ रही है, जबकि राजनीतिकारों का मानना है कि सपा सरकार जनता से पार्टी के खत्म हुए जनाधार का बदला लेने पर तुली है, अन्यथा यह बिजली संकट आजमगढ़, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज व फिरोजाबाद में क्यों नहीं है जहां 24 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है। बिजली की समस्या को लेकर अधिकांश जिलों में आंदोलन भी चल रहे हैं। सूबे में बिजली समस्या को लेकर मचे हा-हाकार को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है और केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने यूपी में बिजली की उपलब्धता और आपूर्ति की समीक्षा की है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार उत्तर प्रदेश में बिजली की चरम मांग 12,700 मेगावाट है, जिसमें से करीब 10,700 मेगावाट की आपूर्ति की जा रही है। मौजूदा समय में करीब 2 हजार मेगावाट बिजली की कमी सामने आई है। राज्य में 500 मेगावाट के विद्युत संयंत्र को भी बहाल कर लिया गया है और यह पूरी तरह से बिजली का उत्पादन कर रहा है। 600 मेगावाट का एक अन्य निजी क्षेत्र का अंपारा-सी संयंत्र आयातित कोयले की खरीद न होने के कारण से काम नहीं कर रहा। इस संयंत्र को कोल इंडिया से 90 प्रतिशत से ज्यादा की कोयला आपूर्ति की जाती है और यह प्लांट को दी गई अनुमति के अनुरूप है। सेंट्रल जेंनरेटिंग पॉवर स्टेशन (सीजीपीएस) से उत्तर प्रदेश को दी जाने वाली बिजली की उपलब्धता भी सामान्य है। राज्य, गैस-आधारित स्टेशनों अंटा, ओरैया और दादरी से अपने आवंटन के समान बिजली नहीं ले रहा है और राज्य वितरण इकाईयों द्वारा करीब 300 मेगावाट की मांग को शीघ्र ही उपलब्ध कराया जा सकता है। अन्य राज्य तापीय इकाईयों की कोयला भंडार स्थिति भी उचित एवं पर्याप्त है।
ये हो सकता है समाधान
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार उत्तर प्रदेश में बिजली का आंतरिक उत्पादन करीब 10,100 मेगावाट है जिसमें वर्तमान में सिर्फ 4,500-5,500 मेगावाट ही उपलब्ध है और इस कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार चाहे तो बेहतर सुधार कर सकता है। विद्युत के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य राज्यों से भी मांग की जा सकती है और वहां इसके लिए कोई पारेषण बाध्यता भी नहीं है। इसके अलावा एनटीपीसी के झज्जर संयंत्र में भी 337 मेगावाट विद्युत उपलब्ध है जिसे राज्य अपील करके प्राप्त कर सकता है। चुनाव के दौरान, उत्तर प्रदेश में एनटीपीसी के झज्जर संयंत्र से 3 मई से 15 मई, 2014 तक के  लिए 277 मेगावाट बिजली खरीदी थी। इन स्रोतों के अलावा अपनी बिजली की कमी को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत आदान-प्रदानों के माध्यम से पर्याप्त खरीद सकता है, यह सूबे की सरकार की इच्छाशक्ति पर निर्भर है।
01June-2014

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