गुरुवार, 12 जून 2014

कोई गरीब भूखा ना सोए-महंगाई रोकना व गरीबी हटाना सरकार की प्राथमिकता : मोदी

उम्मीदों के दूत बनकर दुनिया को दिखाएंगे ताकत: मोदी
ओ.पी.पाल
. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबों की सुने-गरीबों के लिए जीने का मंत्र देते हुए कहा कि सरकार की प्राथमिकताएं गरीबों को सशक्त बनाने की होगी। उन्होंन सभी दलों के सदस्यों से उम्मीदों का दूत बनकर देश के कौशल से सभी तरह की व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए सहयोग की अपील की, ताकि हम सीना तानकर दुनिया को भारत की ताकत का अहसास करा सकें। उन्होंने उच्च सदन में भी इसी तरह के संकल्प को दोहराया।
लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति के मुख से निकले शब्दों केंद्र सरकार के लिये पवित्र बंधन हैं जिन्हें पूरा करने के लिए उनकी सरकार कोई कोताही नहीं बरतेगी। उन्होंने कहा कि मतदान होने तक हम सब उम्मीदवार थे, लेकिन सदन में आने के बाद हम सब उम्मीदों के रखवाले हो गये हैं और उम्मीदों के दूत बनकर सभी को देश की व्यवस्था बदलनी होगी। सदन में अपने पहले भाषण में नरेन्द्र मोदी ने देश से गरीबी हटाने और महंगाई मिटाने को सरकार की पहली प्राथमिकता बताते हुए कहा कि यदि सरकार गरीबों के हित में काम नहीं करती तो देश की जनता उसे कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने अपनी सरकार की पांच साल की प्राथमिकताओं का जिक्र करते हुए कहा कि इस सदन में विभिन्न दलों के अनुभवी सदस्य हैं और परियोजनाओं में आने वाली कठिनाईयों व चुनौतियों से निपटने के लिए उन सबका सहयोग लिये बिना आगे नहीं बढ़ेगी। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय के सिद्धांत पर अंत्योदय का कल्याण अपनी पहली प्राथमिकता बताया। मोदी ने इन सबके लिए सभी दलों के सहयोग की अपेक्षा की। सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदन में विभिन्न दलों द्वारा सरकार के एजेंडे पर उठाए गये सवालों और आलोचनाओं का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसी शालीनता से जवाब दिया कि पूरा सदन खामोशी के साथ उनके भाषण को सुनता रहा, जिसमें मोदी ने विपक्षी दलों को कई घटनाओं को लेकर नसीहत तक भी दी। उन्होंने साफ किया चर्चा के दौरान अभिभाषण में दिखाये गये सपनों को पूरा करने पर सदस्यों की चिंताएं स्वाभाविक हैं, क्योंकि अभी तक ऐसा कभी हो नहीं सका है, लेकिन दुनिया में इस सवा करोड़ के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में प्रयास किए जाएं तो कुछ भी असंभव नहीं है। इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने साफ संकेत दिया कि भारत की ताकत को दुनिया के सामने रखना है और हमें आंख में आंख डालकर और सीना तान कर दुनिया के लोगों को भारत की ताकत का अहसास करना ही होगा।
ऐसे होंगे सपने पूरे
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन को विश्वास दिलाया कि उनकी आशंकाओं को दूर करके जनता द्वारा तीन दशक बाद दिये गये जनादेश पर वे खरा उतरने का प्रयास करेंगे और इसके लिए सदन में सभी को आपसी समन्वय बनाकर संसद की मर्यादाओं को भी कायम रखने की जरूरत होगी। उन्होंने नारियों के सम्मान को बरकरार रखने के लिए राजनेताओं को नसीहत दी कि वे बलात्कार के प्रति रवैये में बदलाव लाए और ऐसी घटनाओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने की आदत को बदले। क्योंकि ऐसे विश्लेषण महिलाओं की मर्यादा के साथ खिलवाड़ करते हैं। उन्होंने कहा कि नारी का सम्मान और सुरक्षा देश के सवा करोड़ लोगों की प्राथमिकता होनी चाहिए। रेलवे की दुर्दशा की चुटकी लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे की आदत यह है कि वह लकीर की फकीर है। यदि टमाटर और मार्बल भेजना हो तो वह मार्बल पहले भेजती है। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा महौल बनना चाहिए कि हर इंसान अपने काम को देश के लिए करने की सोच पैदा करें, चाहे वह अफसर हो या कोई दास्तकार या किसान या फिर नौजवान।
गांधी की 150वीं जयंती बने मिसाल
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश के विकास के मिशन को एक जनांदोलन बनाकर हमें पांच साल बाद महात्मा गांधी की 150वीं जयंती स्वच्छता के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, जिसके लिए देश की व्यवस्था को स्वच्छ बनाना होगा और हम इस संकल्प को पूरा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि हम देश के लिए शहीद तो नहीं हो सके, लेकिन देश के लिए जी तो सकते हैं ऐसा सकंल्प होना चाहिए।
स्किल्ड इंडिया बने भारत
नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अभी तक हमारी पहचान स्कैम इंडिया की बनी हुई है, लेकिन हमें अब इसे स्किल इंडिया में बदलना होगा। इसके लिए हमें विकास को उसी तरह से जन आंदोलन बनाने की जरूरत है, जैसे महात्मा गांधी ने आजादी को जन आंदोलन बनाकर देश को स्वतंत्रत कराने में बहुत बड़ा काम किया था। देश के किसी भी कोने में किसी विचारधारा की सरकार क्यों न हो, उसकी अच्छाइयों का आदर करें, यही देश का मॉडल होना चाहिए। उन्होंने गुजरात मॉडल पर हुई आलोचनाओं पर कहा कि हम चाहते हैं कि मॉडल देश के राज्यों की स्पर्धा बने, तभी देश का विकास एक आंदोलन बन जाएगा।
गरीबी हटाने का हथियार शिक्षा
प्रधानमंत्री ने गरीब को गरीबी से बाहर लाने की प्राथमिकता को दोहराते हुए एक प्रकार से चेतावनी दी कि यदि हम सरकार गरीबों के लिए नहीं चलाते हैं,तो ये देश की जनता हमें कभी माफ नहीं करेगी। सरकार गरीबों के लिए होनी चाहिए। क्या सरकार सिर्फ पढ़े-लिखे लोगों के लिए हो। क्या सरकार सिर्फ गिने-चुने लोगों के लिए हो। उन्होंने कहा कि गांवों में सेटेलाइट के माध्यम से शिक्षा देनी होगी। सरकार का प्रयास होगा कि हर गरीब को रोटी मिले और हर परिवार का अपना घर हो, ताकि 75वें साल में भारत शान से कह सके कि यहां कोई गरीब नहीं है। मोदी ने कहा कि सरकार का दायित्व होता है कि वह गरीबों की सुने और गरीबों के लिए जिए। महंगाई को दूर करने का हमने वायदा किया है। हम इस दिशा में प्रामाणिकता से प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत जवान-चीन बूढ़ा
मोदी ने अपने भाषण में कहा कि देश की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल आयु वर्ग की है यानि भारत जवान है और हमारा पडोसी चीन लगातार बूढ़ा होता जा रहा है। यह शुभ संकेत है कि विश्व को मैन पावर की आवश्यकता है तो ऐसे में भारत के नौजवानों के हाथों में हुनर होना जरूरी है। वहीं हमें स्कील्ड डवलेपमेंट को प्राथमिता देनी होगी। इसलिए यह भी जरूरी हो जाता है कि दुनिया को अपनी नौजवान शक्ति से परिचय कराना होगा। उन्होंने एक महापुरूष का उदाहरण देते हुए कहा कि जिंदगी का गुजारा करने के लिए हाथों में हुनर भी होना चाहिए।
सॉयल हेल्थ कार्ड
मोदी ने कहा कि हम सदियों से कहते हैं कि हमारा देश कृषि प्रधान और गांवों का देश हैं। यह नारे तो अच्छे लगते हैं, लेकिन क्या हम अपने गांवों के जीवन को बदल पाए हैं? जहां आज परिवार बढ़ने के कारण खेती की जमीन घट रही है और जमीन की उर्वरक शक्ति भी कमजोर हो रही है। ऐसे में गुजरात में किये गये प्रयोका पूरे देश में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड दिये जाएंगे और मिट्टी की जांच के लिए प्रयोगशालाएं खोली जाएग। साथ ही कृषि वैज्ञानिकों को रिसर्च के लिए जागरूक किया जाएगा, ताकि कम जमीन में उत्पादन ज्यादा हो सके। उनका कहना है कि शहर की ओर हो रहे पलायन को रोकने के लिए यदि गांव के जीवन में हम बदलाव ला सकें, तो किसी का अपना गांव छोड़ने का मन नहीं करेगा। क्या गांव के अंदर हम उद्योगों का जाल खड़ा नहीं कर सकते?
सामूहिक बल पर जोर
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि देश के विकास की परियोजनाओं पर हमें संख्या बल को नजर अंदाज करके सामूहिक बल पर चलना होगा। इस सामूहिक बल से ही अहंकार से भी बचा जा सकेगा और बचना भी चाहिए। सभी का विजन देश होना जरूरी है। देश के विकास के लिए हर योजना पर सभी दलों के सहयोग की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वे संख्या बल पर ध्यान देने के बजाए देश के विकास पर ज्यादा ध्यान दें।
जानते थे पर नीयत नहीं थी
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति अभिभाषण में रेखांकित सरकार के वायदे पर की गई टिप्पणियों कि वह पिछले भाषणों की प्रति है और उसे तोड़ मरोड़कर तैयार किया गया है। उन्होंने चर्चा के दौरान ऐसी टिप्पणियां करने वाले सदस्यों की चुटकी लेते हुए कहा कि इसका मतलब साफ है कि उन्हें भी पहले से पता था कि देश के विकास में क्या हो सकता है लेकिन उनके करने की नीयत नहीं थी।
12June-2014

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