रविवार, 8 जून 2014

सादगी की मिसाल पेश करने में जुटी मोदी की सरकार!

मंत्री से मिलना है तो पहले मोबाइल जमा कराना होगा
ओ.पी.पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र की सत्ता में आई मोदी सरकार ने एक पखवाड़े के कार्यकाल के दौरान जिस रμतार से काम करना शुरू किया है, वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल, सांसदों और नौकरशाहों को सीधे जनता तक संवाद कायम रखने के लिए जिस तरह के मंत्र दिये हैं, वहीं अपनी टीम को पारदर्शिता के साथ फूंक-फूंककर कदम रखने की सलाह देते हुए साफ निर्देश दिये गये हैं कि वे किसी भी आगंतुक से मिलने या बातचीत करने से पहले उसका फोन कक्ष से बाहर जमा करवाकर ही मिलें।
मोदी की इस हिदायत की पुष्टि के लिए हरिभूमि संवाददाता ने कुछ मंत्रालयों में जाकर मंत्रियों के कक्षों का जायजा लिया, जहां ज्यादातर मंत्रियों ने बड़े-बड़े शब्दों में आगंतुकों के लिए सूचना चस्पा कर दिया है कि मिनिस्टर के कक्ष में मोबाइल फोन ले जाना वर्जित है। इस तरह के अनुदेश मोदी सरकार ने विवादों से बचने के लिए किये हैं ताकि कोई मंत्री के साथ होने वाली बातचीत को रिकार्ड न कर लें। जबकि मोदी सरकार ने जब से सत्ता संभाली है तभी से प्रधानमंत्री सरकार में सादगी की मिसाल कायम करने के मंत्र देते दिखाई दे रहे हैं, चाहे वह विभिन्न मंत्रालयों में काम करने वाले नौकरशाह ही क्यों न हों। पारदर्शिता, शिष्टाचार, संवाद, समन्वय एवं संपर्क जैसे गुरूमंत्र के साथ मोदी सरकार काम को तेजी से आगे बढ़ाने में ऐसे जुटी है, ताकि अफसरशाही का ढर्रे में भी आमूलचूल परिवर्तन आ जाए। मंत्रिपरिषद के एक सदस्य की माने तो मोदी ने अपनी टीम के मंत्रियों को गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद यह सतर्कता बरतने के भी निर्देश दिये हैं कि वे अपनी गाड़ियों पर लालबत्ती व सायरन का प्रयोग करने से बचे तो बेहतर होगा। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने मंत्रियों को अपना निजी स्टाफ रखने के लिए भी रिश्तेदारों से दूरी बनाने की हिदायत दी है और निजी सचिव या अतिरिक्त निजी सचिव रखने के लिए आने वाले आवेदनों व बायोडाटाओं को पीएमओ भेजने की हिदायत भी दी है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा है कि देश में अभी तक शासन करती रही सरकारों के मुकाबले राजग सरकार एक ऐसी मिसाल कायम करें जिसमें सादगी और सरकार का कामकाज होता नजर आए।
बदल सकता है तीन दशक का नियम
सूत्रों के अनुसार देश के विकास की गति को बढ़ाने के लिए सुशासन के मंत्र में नौकरशाह और केंद्रीय कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ने की संभावना प्रबल हैं और पांच दिन के काम वाले सप्ताह को छह दिन का किया जा सकता है। मसलन केंद्रीय कर्मचारियों के कार्यालय में जहां काम के घंटे बढ़ाए जाने की संभावना है, वहीं उनके लिए माह के दूसरे शनिवार को छोड़कर अन्य सभी शनिवार को कार्यालय में आकर काम करने का नियम लागू किया जा सकता है। इस नियम को 1985 में राजीव गांधी ने बदला था, जिन्होंने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए शनिवार को भी अवकाश घोषित कर दिया था, जो अभी तक चल रहा है। ऐसे में मोदी सरकार काम की गति को बढ़ाने की दिशा में डिपार्टमेंट आफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग से एक कैबिनेट नोट तैयार करा रही है, जिसे कैबिनेट में मंजूरी देने के साथ केंद्रीय कर्मचारियों को केवल रविवार को ही अवकाश मिलेगा। 
08June-2014

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