बुधवार, 18 जून 2014

सरकार के कड़े फैसलों से सुधरेगी आर्थिक सेहत!

बजट सत्र पर रहेगी देश की नजर, सरकार के सामने कड़ी चुनौती
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देश की आर्थिक सेहत को सुधारने की दिशा में मोदी सरकार ने गरीबी दूर करने और महंगाई रोकने की प्राथमिकता के साथ जिस एजेंडे को लागू करने की मंशा जताई है उसमें उनके गोवा में कुछ कड़े फैसले लेने के संकेत देना एक सच्चाई है। अगले माह संसद के बजट सत्र में सरकार का फैसला कर,सब्सिडी, डीजल, रसोई गैस और खाद्य उत्पादन जैसी कल्याण कारी योजनाओं को लेकर कड़े फैसले आ सकते हैं। विशेषज्ञ भी मान चुके हैं कि देश की आर्थिक सेहत को सुधारने के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने भी जरूरी हो जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को आईएनएस विक्रमादित्य समर्पित करने के बाद गोवा में आर्थिक व्यवस्था सुधारने के लिए जिस प्रकार के संकेत दिये हैं उनके बिना आर्थिक व्यवस्था पटरी पर लाना भी संभव नहीं है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पिछली सरकार उनके लिए खाली खजाने के साथ जैसी स्थिति छोड़कर गई है उसके लिए देश की आर्थिक स्थिति के बुरे हाल को दुरस्त करने के लिए समय भी लगेगा और देशहित में जनता को कड़े फैसलों का भी सामना करना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार अगले माह संसद के बजट सत्र पर पूरे देश की नजरें होंगी और सरकार के सामने भी मुश्किलों का पहाड़ होगा। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि सरकार बजट में आयकर की सीमा को दो लाख से बढ़ाकर आयकर दाताओं को राहत दे सकती है और कुछ नए कर लगाने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। इसमें सरकार सेवाकर के दायर में भी बढ़ोतरी करने का कदम उठा सकती है। वहीं बजट में तेल, खाद्य और खाद को दी जा रही करीब तीन लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी में फिलहाल 15 से 20 फीसदी तक कटौती करने का ऐलान भी हो सकता है। रसोई गैस में सालाना दी जाने वाले करीब 45 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी घटाना भी सरकार की मजबूरी बन सकती है। पेट्रोलियम उत्पादों में इराक के हाल के संकट का साया भी बजट पर पड़ना तय माना जा रहा है। इसके लिए तेल कंपनियों को दाम तय करने की छूट में संशोधन किया जा सकता है। जबकि खाद्य सुरक्षा कानून, मनरेगा और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के खर्च का आकलन करके भी कुछ संशोधन किये जाने की
संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
मोदी को करना पड़ेगा सूखे की चुनौती का सामना
आर्थिक विशेषज्ञों की माने तो मौजूदा कमजोर मानसून भी केंद्र सरकार आर्थिक सेहत सुधारने के प्रयास में बाधक बन सकता है और सरकार को कड़े फैसले लिए बिना आर्थिक नीतियों पर आगे बढ़ना होगा, जो सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही देश अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का महात्वाकांक्षी योजनाओं का खाका तैयार करा लिया हो, लेकिन कमजोर मानसून के कारण प्रभावित होने वाले उत्पादनों के कारण महंगाई पर काबू करना बड़ी चुनौती होगी। ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार खाद्य वितरण को दुरुस्त करने के साथ कुछ वस्तुओं के निर्यात पर भी रोक लगाना भी जरूरी होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक मार्च के मुकाबले में उद्योगों के उत्पादन में विकास दर 2.9 फीसदी बढ़कर 3.4 होना सरकार की कुछ चिंताओं को दूर करता है। ऐसे हालात में मोदी सरकार के लिए देश की आर्थिक सेहत को सुधारने की कवायद किसी मुश्किल से कम नहीं होगा।
16June-2014

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