शनिवार, 28 जून 2014

उम्मीदों की नजरों से गुजरेगा मोदी सरकार का बजट!

मीठी व कड़वी गोलियों से संतुलन बनाने पर होगा जोर
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र में आई मोदी सरकार के लिए देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा, जिसके लिए अगले महीने संसद सत्र के बजट सत्र में सरकार बजट पेश करते समय मिठी व कड़वी गोलियों का संतुलन बनाने का प्रयास करने का प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार का एजेंडा तय करने के बाद जिस तरह से कुछ सख्त फैसलों का सामना करने के संकेत दिये हैं उससे देश की जनता की बजट पर नजरें उम्मीद भरी होंगी।
संसद के सात जुलाई से शुरू होने वाले बजट सत्र पर देश की उम्मीदें अभी से इंतजार की घड़िया गिनने लगी हैं। हालांकि रेलवे के किराए में बढ़ोतरी के बाद सरकार इसी बात के संकेत दे रही है कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करना कठिन काम है, लेकिन सरकार अपने एजेंडे को विकास की जंग मानकर चल रही है। आम बजट में स्वयं प्रधानमंत्री नर्रेन्द्र मोदी ने देश के सामने पहले ही स्पष्ट संकेत दिये हैं कि अच्छा करने के लिए जनता को कुछ सख्त फैसलों का भी सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। वहीं दस जुलाई को पेश किये जाने वाले आम बजट के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को माना है कि उनकी सरकार को विरासत में मिली जर्जर अर्थव्यवस्था को संभालना चुनौतीपूर्ण काम से कम नहीं है। इसलिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए ऐसे उपाय करने का प्रयास कर रही है जो समय की मांग भी है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में आर्थिक वृद्धि की दर नरम रही है, इसलिए कुछ ऐसे कदम उठाना भी जरूरी होगा जो देश को सख्त फैसले का संदेश दे सकते हैं। जेटली का कहना है कि पिछले दो साल आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत से नीचे रही है और इसी कारण राजस्व संग्रह प्रभावित रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने पिछले तीन-चार हμतों में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज करने और इसमें निवेशकों का भरोसा बहाल करने और संबद्ध पक्षों के साथ बातचीत कर इसे पटरी पर लाने की योजना बनाने का काम कर रही है। देश उच्च मुद्रास्फीति, विशेष तौर पर ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव और उच्च राजकोषीय घाटे से जूझ रहा है, जिसे दुरस्त करना भी सरकार का काम होगा। ऐसे में जब सरकार संसद में बजट पेश करेगी, तो देश की नजरें उम्मीदों के साथ उस पर लगी रहेंगी। देश उच्च मुद्रास्फीति, विशेष तौर पर ऊंची खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव और उच्च राजकोषीय घाटे से जूझ रहा है।
आयकर छूट का दायरा बढ़ना तय
मोदी सरकार के एजेंडे में अच्छे दिनों की आस में आयकर में मिलने वाली छूट का दायरा बढ़ने के संकेत लगातार मिल रहे हैं, जिसमें महिलाओं खासकर नौकरीपेशा महिलाओं को ज्यादा टैक्स का फायदा दिया जा सकता है। वित्तमंत्री अरुण जेटली भी ऐसे संकेत दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो दो लाख की आय पर आयकर छूट के दायरे को बढ़ाया जा सकता है, इसमें महिलाओं खासकर नौकरीपेशा करने वाली महिलाओं को आयकर में ज्यादा छूट मिलने की संभावनाएं हैं। मोदी सरकार भी पहले की तरह में पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिलाओं को आयकर छूट देने की व्यवस्था बहाल रखने के पक्ष में है। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार देश के टैक्स स्लैब में ज्यादा राहत देने के लिए बदलाव की योजना बना रही है। मसलन सरकार इसके लिए टैक्स स्लैब्स को नए सिरे से तय कर सकती है। वहीं सरकार वरिष्ठ नागरिकों को आयकर में मिलने वाली छूट में आयुसीमा 65 से घटाकर 60 साल करने का संकेत भी दे रही है। वहीं सरकार डायरेक्ट टैक्स कोड बिल-2013 के कुछ प्रस्तावों पर भी विचार कर रही है।
रेलवे को घाटे से उबारने का प्रयास
मोदी सरकार के आठ जुलाई को पेश होने वाले रेल बजट में देश की रेल को विश्वस्तरीय बनाने की कवायद में कई महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जा सकता है, जिसमें बहुप्रतीक्षित बुलेट ट्रेन चलाने के प्रस्ताव के साथ तेज रμतार वाली गाड़ियां चलाने की घोषणा तय होने के संकेत मोदी सरकार के एजेंडे में हैं। सू़त्रों के अनुसार रेलवे 300 किलोमीटर की रμतार से चलने वाली बुलेट ट्रेनों को खास रूट पर चलाने की शुरूआत करने का ऐलान करेगी, तो वहीं 130 से 150 किलोमीटर की रμतार से चलने वाली ट्रेनों को वर्तमान रेल लाइनों पर चलाने का भी निर्णय किया सकता है। रेलवे के सूत्रों के अनुसार रेल मंत्री डीवी सदानंद गौडा इन प्रस्तावों को मूर्त रूप देने की जुगत में लगे हुए हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा देश में तेज रफतार ट्रेनों का एक चतुर्भुज बनाने की है और यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देने पर जोर दिया जा रहा है।
एफडीआई की मंजूरी से मिलेगा बल
क्ेंद्र सरकार भारतीय रेलवे को विश्वस्तरीय बनाने की रणनीति पर काम कर रही है, जिसमें मुंबई से अहमदाबाद और पुणे के बीच बुलेट ट्रेन चलाना रेलवे की वरीयता सूची में ऊपर है। यदि इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति मिल जाएगी, तो रेलवे की परियोजनाओं को ज्यादा बल मिलेगा और मोदी सरकार की रेलवे को घाटे से उबारने के साथ-साथ विश्वस्तरीय सुविधाओं को मुहैया कराने वाली योजनाओं को भी शुरू किया जा सकेगा।
25June-2014

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