बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

इस बार नहीं चलेगी गुमनाम दलों की चंदा उगाही!


करोड़ों का चंदा वसूलते हैं गुमनाम राजनीतिक दल: आयोग
ओ.पी.पाल

आगामी लोकसभा में चुनाव सुधार के उपायों को लागू करने में जुट भारत निर्वाचन आयोग ने जिस तरह से राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसना शुरू किया है उसमें राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे पर भी चुनाव आयोग गंभीर है। चुनाव के लिए राजनीतिक दलों को चंदे के मामले में सुप्रीमकोर्ट के सख्त रूख को देखते हुए आयोग ने ऐसे भी इंतजाम करने शुरू कर दिये हैं जिसमें चुनाव के नाम पर कुछ गुमनाम राजनीतिक दल चंदा उगाही करते आ रहे हैं।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक सभी राजनीतिक दलों को दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं, जिनमें दलों के घोषणा पत्रों में वादों और अन्य मामलों पर अंकुश लगाने के साथ चंदे लेने के मामले पर भी गाइड़ लाइन जारी की है, जिसमें विदेशी चंदे पर संविधान के अनुसार पूर्णत:प्रतिबंध है, लेकिन इसके बावजूद भी किसी न किसी रूप में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा विदेशी चंदा लेने की पुष्टि का खुलासा हो चुका है। इसी प्रकार आगामी लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सियासत के गलियारों में यह भी खुलासा सामने आया है कि देश में एक नहीं, बल्कि सैकड़ा की संख्या में कई ऐसे गुमनाम दल हैं, जो चुनाव के नाम पर मोटा चंदा वसूल करते हैं। आयोग के मुताबिक यह भी संज्ञान में आया है कि ऐसे गुमनाम दल चंदा उगाही तो करते हैं लेकिन चुनाव नहीं लड़ते। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक देश में कई ऐसी अनेक पार्टियां हैं जो चुनाव नहीं लड़तीं, लेकिन उन्हें एक लाख से लेकर पांच करोड़ रुपये तक का चंदा मिला है। ऐसी पार्टियों का जाल  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से लेकर मुंबई तक फैला हुआ है।
आयकर छूट के कारण मिलता है चंदा
चुनाव आयोग के एक अधिकारी की माने तो राजनीतिक दलों के चंदा लेने का कारण यह है कि इससे उन्हें आयकर में छूट मिलती है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली की नेशनल यूथ पार्टी ने इटानगर की एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी फीनिक्स राइजिंग 15 लाख रुपये का चंदा लिया है। इस पार्टी का इसी प्रकार मुंबई की एक अन्य पार्टी फोरम फॉर प्रेसिडेंशियल डेमोक्रेसी द्वारा नेप्च्यून रिजॉर्ट्स एंड डेवलपर्स से 1.5 लाख रुपये का चंदा लेने का खुलासा सामने आया है। मौजूदा समय में देशभर के ऐसे डेढ़ हजार से भी ज्यादा दलों का भारत चुनाव आयोग पंजीकरण दर्ज है। आयोग के सूत्रों की माने तो इन दलों में ज्यादातर चुनाव नहीं लड़तीं, लेकिन इनमें से ज्यादातर राजनीतिक दल चंदा हासिल करने में सफल हो जाते हैं, भले ही ये दल छोटी कंपनियों से चुनाव के नाम पर चंदा लेते हों। चुनाव आयोग ने ऐसे गुमनाम दलों की चंदा उगाही को रोकने के लिए पंजीकृत दलों की समीक्षा करके इस चंदा उगाही पर अंकुश लगाने के उपाय करना शुरू कर दिया है।
कंपनियां भी चंदा देने में आगे
आयोग के अनुसार दिलचस्प पहलू यह भी कि ऐसे दलों को दूरदराज के शहरों से भी चुनाव के नाम पर चंदा मिल रहा है। मसलन अहमदाबाद की एक कंपनी झावेरी एंड कंपनी एक्सपोर्ट्स ने फरीदाबाद की पार्टी राष्ट्रीय विकास पार्टी दो करोड़ रुपये का चंदा दिया है। इसके अलावा भी इस पार्टी को कई अन्य जगहों से भी चंदा मिला है। ऐसा ही एक मामला गुवाहाटी की पार्टी आॅल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के चंदा लेने का सामने आया, जिसे बेंगलुरू और मुंबई की दो कंपनियों ने चंदा दिया है।
26Feb-2014

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