शनिवार, 22 फ़रवरी 2014

..तो धरे रह गये राहुल गांधी के सपने!

पेश तक नहीं हो सके भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक
 नई दिल्ली।

15वीं लोकसभा का आखिरी दिन होने की वजह से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भ्रष्टाचार विरोधी उन छह बिलों को पास कराने का सपना बिखर गया। आम चुनाव से पहले देशभर में एक मैसेज देने की रणनीति के तहत भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने वाले 6 विधेयकों को पारित कराने के इरादे से ही शीतकालीन का विस्तारित सत्र बुलाया गया था। इस सत्र की अवधि बढ़ाने की कांग्रेस की कवायद पर विपक्ष के अडंगे ने विफल कर दिया।
लोकसभा में शुक्रवार को कांग्रेस सदस्यों ने राहुल गांधी के एजेंडे में भ्रष्टाचार से जुड़े 6 महत्वपूर्ण बिलों को पारित कराने के लिए सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग पर विपक्ष विरोध में आड़े आ गया और सत्र की अवधि बढ़ नहीं सकी, जिससे राहुल गांधी के ढोल पीटने वाले इन छह बिलों को पास कराने के सपने को गहरा झटका माना जा रहा है। हालांकि केंद्र सरकार आखिर तक सत्र को बढ़ाकर भ्रष्टाचार से जुड़े बिलों को पास करवाने की जुगत में थी, लेकिन विपक्ष के सामने उसकी एक न चल सकी। ऐसी पुष्टि शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है और इससे जुड़े सभी बिलों को पास करवाना चाहती है, लेकिन विपक्ष सत्र बढ़ाने को लेकर तैयार नहीं है।
अध्यादेश लाने का विकल्प खुला
संसद से बिल पारित न होने पर अब कांग्रेस के सामने हालांकि अब अध्यादेश के जरिए इन विधेयकों के कानून को लागू करने का विकल्प है, जिसके लिए पार्टी हाईकमान भी गंभीर है। अध्यादेश के लिए राष्ट्रपति का विवके भी कहीं हद तक निर्भर करेगा। गौरतलब है कि कल केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने संसद से बिल पारित न होने पर अध्यादेश लाने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि अगर ये बिल संसद में पारित नहीं हो पाए तो यह देश के लिए झटका होगा। ऐसा नहीं होने पर अध्यादेश भी एक रास्ता सरकार के सामने खुला रहेगा।
ये हैं राहुल के ड्रीम-बिल
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के एजेंडे में शामिल इन छह बिलों में ‘तय समय सीमा के भीतर सेवा पाने का अधिकार और शिकायतों के निवारण से जुड़ा बिल, विदेशी सरकारी अफसरों की रिश्वतखोरी के खिलाफ बिल, जन खरीद विधेयक और न्यायिक जवाबदेही बिल प्रमुख रूप से शामिल हैं। इनमें दो विधेयक कई साल पहले ही लोकसभा पारित कर चुका है, जिन पर राज्यसभा की मुहर लगनी थी।
अवधि न बढ़ने से सरकार को झटका
संसद के शीतकालीन सत्र की अवधि बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों को राजी करने के प्रयासों के तहत संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ शुक्रवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के बीच में भाजपा नेताओं सुषमा स्वराज, लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह के पास बातचीत करने गए, लेकिन सपा के शैलेन्द्र कुमार सत्र की अवधि बढ़ाने का विरोध करते सुने गये। सुबह प्रश्नकाल के दौरान ही कमलनाथ विपक्ष की नेता सुषमा के पास गए। उन्हें भाजपा अध्यक्ष राजनाथ और पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी से भी बात करते देखा गया। इस बीच सपा के शैलेन्द्र कुमार ने कमलनाथ की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि सत्र की अवधि नहीं बढ़ाए। सभी को चुनाव क्षेत्र में भी जाना है। इसके बाद कमलनाथ सपा सदस्य के पास भी गए और फिर सदन से बाहर चले गए। प्रश्नकाल के अंतिम क्षणों में कमलनाथ एक बार फिर सुषमा के पास गए। सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग को लेकर कांग्रेस के संजय निरूपम, लाल सिंह, पीएल पूनिया आदि दर्जनों सदस्य हाथों में राहुल के एजेंडे वाले बिलों की लिखी तख्ती लिए आसन के पास आकर मांग करते रहे, तो दूसरी ओर आसन में पहुंचकर सपा के सदस्य सत्र बढ़ाने की मांग का विरोध करते रहे।
22Feb-2014

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