रविवार, 9 फ़रवरी 2014

थर्ड फ्रंट का सिरमौर बनने की जुगत में जद-यू !

मतभेदों को दरकिनार करके ताकत मजबूत करने की कवायद
ओ.पी.पाल

लोकसभा चुनाव से पहले राजनीति की अंगीठी पर पक रही थर्ड फ्रंट की हांडी में जनता दल-यू सिरमौर दल बनने की जुगत में है। शायद इसी रणनीति के तहत शनिवार को यहां शुरू हुई जद-यू की बैठक में हाईकमान ने सभी राष्ट्रीय नेताओं और प्रदेशाध्यक्षों के साथ राज्यों के सभी नेताओं को हिदायत दी है कि तीसरे मोर्च में शामिल सभी दलों के साथ समन्वय बनाकर जनसमस्याओं को उठाना है। शनिवार को नई दिल्ली में लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने के लिए जद-यू की बैठक शुरू हुई है जो दो दिन तक चलेगी। इस बैठक का मकसद लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए तीसरे मोर्च की नींव को मजबूत करके ऐसी स्थिति पैदा करना है जिससे तीसरा मोर्चा केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में आ जाए। सूत्रों के अनुसार जदयू तीसरे मोर्चे का सिरमौर भी बनना चाहता है, लेकिन सपा संसद में मौजूदा स्थिति में अभी तक वामदलों का संख्या बल सबसे ऊपर है जिसके बाद समाजवादी पार्टी का नंबर आता है। हालांकि इस समूह का दावा है कि थर्ड फ्रंट के नेतृत्व का कोई विवाद नहीं है। जदयू की इस बैठक में बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, नागालैंड, उत्तराखंड समेत करीब दो दर्जन राज्यों के पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। इस बैठक में सबसे पहले जदयू प्रमुख शरद यादव ने प्रदेशाध्यक्षों और राज्य पदाधिकारियों के साथ लोकसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की और हिदायद दी कि गैर भाजपा व गैर कांग्रेस दलों के समूह को एकजुट करके बनाए जा रहे तीसरे मोर्च में शामिल दलों के साथ तालमेल बनाकर चलना है। इस तालमेल में शरद यादव ने यहां तक नसीहत दी है कि जिस क्षेत्र में तीसरे समूह का दल होगा और कोई मतभेद भी होंगे तो उन्हें दरकिनार करके साझा रणनीति पर एकजुटता के साथ काम करके राजनीति को मजबूत करना है। जदयू की इस बैठक में कहा गया है कि सभी दलों के मुद्दों को मिलाकर एक साझा कार्यक्रम तैयार करके लोकसभा चुनाव की साझा रणनीतियों को चलाया जाएगा, जिसमें जदयू को समन्वय बनाकर भाजपा और कांग्रेस के चुनावी रथ को रोकने का काम करना है।
अपना घर मजबूत करने की चुनौती
जदयू की इस बैठक का मकसद यह भी है कि तीसरे मोर्चा में सिरमौर दल के रूप में अपनी भूमिका निभानी है तो उसके लिए पहले अपनी पार्टी को मजबूत करना जरूरी होगा। गौरतलब है कि पार्टी प्रवक्ता पद से हटाने से खफा जदयू के ही वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोलने में कोई परहेज नहीं कर रहे हैं। तिवारी का आरोप है कि बिहार के मुख्यमंत्री अपनी छवि चमकाने के चलते नरेंद्र मोदी का विरोध करते हैं, जिसमें कोई ईमानदारी नहीं है। तिवारी का कहना है कि सच तो यह है कि वह राजग से बाहर नहीं आना चाहते थे। तिवारी ने आरोप लगाया कि उन्हें पार्टी ने केवल मोदी और आरएसएस का विरोध करने की सजा दी है। ऐसे में जदयू को पहले अपना घर मजबूत करने की चुनौती तो होगी ही।
संसद में दिखाएंगे पहली ताकत
जदयू प्रमुख शरद यादव ने फिलहाल तीसरे मोर्च में 11 दल हैं जिन्होंने मौजूदा संसद सत्र में जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए एक साझा रणनीति तैयार कर ली है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि बढ़ती महंगाई जैसे जनहित के मुद्दे संसद में गौण हो गये हैं और पिछले एक साल से तेलंगाना के मुद्दे पर संसद की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। इसलिए थर्ड फ्रंट जनहित के मुद्दे उठाकर संसद में सरकार से जवाब मांगेगा। जनहित के मुद्दों को एक आंदोलन मानकर तीसरे मोर्चा में शामिल सभी दलों ने संसद से बाहर भी आवाजा बुलंद करने का निर्णय किया है।
तीसरे मोर्चे को बहुमत मिलेगा
लोकसभा चुनाव के पास आते ही एक-दूसरे पर आरोप लगाने का दौर शुरू हो गया है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने भाजपा  पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में बिजली संकट के लिए भाजपा जिम्मेदार है। मुलायम सिंह ने तीसरे मोर्च के सवाल पर कहा कि तीसरा मोर्चा बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इसका स्वरूप लोकसभा चुनाव के बाद सामने आएगा। मुलायम ने कहा कि चुनाव में तीसरे मोर्चे को बहुमत मिलेगा। नरेंद्र मोदी ने अभी तक उनके सवालों के जवाब नहीं दिए हैं। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हमारी लड़ाई सीधे मोदी से है। उन्होंने दोहराते हुए कहा कि हमने मोदी से सवाल पूछा था कि क्या वे बताएंगे कि गुजरात में दवाई, पढ़ाई और सिंचाई मुफ्त है? क्या मुस्लिम लड़कियों को 30 हजार की सहायता दी जा रही है? 30 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है? लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। बिजली संकट के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भाजपा एक बार स्पष्ट बहुमत से और तीन बार बसपा के साथ यूपी में सरकार बना चुकी है लेकिन बिजली उत्पादन की एक भी यूनिट नहीं लगाई। यादव ने सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल की आड़ में कांग्रेस की घेराबंदी में कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस पर भाजपा के आगे घुटने टेकने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र इस बिल को जल्दबाजी में लाई।
09Feb-2014


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