गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

रेल संरक्षा व सुरक्षा अभी भी बड़ी चुनौती!

सरकार ने दावों के साथ फिर लगाई वादो की झड़ी
ओ.पी.पाल

केंद्र सरकार के लाख दावों के बावजूद देश के सामने अभी भी रेल संरक्षा और सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। रेलव संरक्षा और सुरक्षा के लिए रकार ने हर साल की तरह इस साल भी अपने रेल बजट में रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर ठोस उपाय करने के दावों के साथ रेल यात्रियों की सुरक्षा लिए प्रतिबद्धता को दोहराया और बड़े-बड़े वादे किये हैं।
लोकसभा में बुधवार को को रेल मंत्री मलिकार्जुन खडगे द्वारा पेश किये गये अंतरिम रेल बजट में रेल सुरक्षा को पहली प्राथमिकता करार देते हुए दावा किया है कि रेलवे ने सुरक्षा को और सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं और कई अन्य कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंनें पिछले पांच वर्षों के दौरान रेलवे द्वारा उठाए गये कदमों में कहा कि 5400 मानव रहित समपार समाप्त किए गए और 2310 समपारों पर चौकीदार की तैनाती करने के अलावा 3090 समपारों को बंद करके ऊपरी या निचले सड़क पुलों के निर्माण करया गया है। उन्होंने रेलवे द्वारा उठाए गये महत्वपूर्ण छह कदमों के बारे में सदन में कहा कि संरक्षा और सुरक्षा की दृष्टि से फील्ड परीक्षण पूरा करने के बाद भारतीय रेलवे पर स्वदेश निर्मित गाड़ी टक्कर रोधी प्रणाली (टीसीएएस) को शामिल करने की योजना तैयार है। जबकि गाड़ी के पहुंचने से पूर्व सड़क उपयोगकतार्ओं को चेतावनी देने हेतु दृश्य-श्रव्य माध्यम से उन्नत सुरक्षा प्रणाली की व्यवस्था की गई है। वहीं ट्रेनों की टक्कर से होने वाली दुर्घटना को रोकने की दिशा में उच्च प्रभाव भार वहन करने वाले सक्षम ‘क्रैशवर्दी’ संरचनात्मक डिजाइन का विकास किया गया है। इसके अलावा उन्होंने सभी बिजली एवं डीजल चालित गाड़ियों में गाड़ी चालक की चौकसी एवं निगरानी करने एवं गाड़ी की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सतर्कता नियंत्रक उपकरण (वीसीडी) का प्रावधान की जानकारी भी दी। रेलमंत्री ने दो राजधानी एक्सप्रेस गाड़ियों में प्रयोगात्मक रूप से लगाए गये कॉम्प्रिहेंसिव फायर और स्मोक डिटेक्शन सिस्टम को भी इसके लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। हालांकि बिजली यात्री डिब्बों में आग रोधी सामग्रियों का उपयोग करने, बिजली सर्किट के लिए मल्टी टियर सुरक्षा, वातानुकूलित डिब्बे, गार्ड-सह-लगेज ब्रेकवेन, पेंट्री कार और इंजनों में पोर्टेबल अग्निशामक का प्रावधान करने के अलावा पेंट्री कारों में एलपीजी के स्थान पर बिजली इंडक्शन आधारित कुकिंग उपकरणों का प्रावधान करने का भी दावा किया गया है। इसी तरह पार्सल यान और गार्ड-सह-लगेज ब्रेक यानों में विस्फोटक एवं ज्वलनशील सामग्री के प्रति गहन जांच करने के जारी निर्देश से रेल संरक्षा और सुरक्षा को पुख्ता करने का दावा किया गया। पिछले साल रेल बजट भाषण के दौरान तत्कालीन रेल मंत्री पवन बंसल ने भी रेल संरक्षा और सुरक्षा योजनाओं पर आने वाले दस साल का खाका भी खींच दिया था। सवाल इस बात का है कि सुरक्षा और संरक्षा से जुड़े इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार कितनी गंभीर है? जब देश में रेल संरक्षा और सुरक्षा की बात आती है तो सरकार आर्थिक तंगी का रोना भी रोने से पीछे नहीं रहती, लेकिन वादों की झड़ी लगाने में सरकार को कोई परहेज नहीं है।
12Feb-2014

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