रविवार, 23 फ़रवरी 2014

अगली सरकार पर बोझ डाल गई यूपीए!

लंबित बिलों की संख्या में इजाफा
पन्द्रहवीं लोकसभा में 181 विधेयक हुए पारित
ओ.पी.पाल

आजाद भारत के संसदीय इतिहास में पन्द्रहवीं लोकसभा का कार्यकाल अपने आप में अनूठा ही रहा। तमाम अप्रत्याशित घटनाओं के साथ ही इस सत्र को काम कम और हंगामे के लिए ज्यादा याद किया जाएगा। हालांकि, इसी लोकसभा ने लोकपाल विधेयक, राष्टÑीय खाद्य सुरक्षा विधेयक, तेलंगाना विधेयक,भूमि अधिग्रहण विधेयक, निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा कानून समेत 181 विधेयकों को पारित किया है, लेकिन संसद में लंबित विधेयकों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि के साथ ही कई ऐसे विधायी कार्यो का बोझ अगली सरकार के भरोसे छोड़ दिया गया है। यह कहना गलत न होगा कि जाते जाते यूपीए सरकार ने 16वीं लोकसभा की नई सरकार के लिए कड़ी चुनौती छोड़कर जा रही है।
आगामी आम चुनाव में 16वीं लोकसभा के गठन का जिम्मा किस दल की सरकार पर होगा यह तो अभी भविष्य के गर्भ में ही है, लेकिन यूपीए-2 की सरकार ने 15वीं लोकसभा में अनूठे रिकार्ड दर्ज किये और इस लोकसभा का कामकाज हंगामे की भेंट ज्यादा चढ़ता रहा। इस दौरान कई संसदीय सत्र ऐसे रहे जिनमें लगातार प्रश्नकाल तक नहीं हो सका, विधायी कार्य तो दूर की बात रही। दिलचस्प बात है कि 15वीं लोकसभा से पहले संसद में लंबित बिलों की संख्या 80 के करीब थी, जो इस अंतिम सत्र के खत्म होने तक बढ़कर 126 से ज्यादा हो गई है। वहीं ऐसे अनेक महत्वपूर्ण विधायी कार्य भी लंबित छोड़ दिये गये, जिन्हें सत्रों के दौरान हंगामे के कारण निपटाया नहीं जा सका। यूपीए-2 के कार्यकाल में संसद में 181 विधेयकों को पारित किया गया, जिनमें कांग्रेसनीत यूपीए सरकार लोकपाल विधेयक, राष्टÑीय खाद्य सुरक्षा विधेयक, तेलंगाना विधेयक, भूमि अधिग्रहण विधेयक, निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा कानून, महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) विधेयक-2012, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण विधेयक-2012, दण्ड विधि (संशोधन) विधेयक-2013 के अलावा हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास विधेयक-2013,उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार विधेयक-2013, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण विधेयक-2010, कंपनी विधेयक-2012 में संशोधन जैसे पारित बिलों को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानकर चल रही है। 15वीं लोकसभा के कार्यकाल के अंतिम दिन तक संसद में लंबित बिलों की 126 विधेयकों में से 72 ऐसे विधेयक हैं जो लोकसभा में लंबित हैं और लोकसभा भंग होने के बाद उनका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा, जबकि शेष राज्यसभा में लंबित विधेयक अपनी
निरंतरता में बने रहेंगे। बहरहाल 15वीं लोकसभा अपना पांच साल का कार्यकाल तो पूरा कर रही है, लेकिन इसमें विधायी कामकाज को दिए जाने वाले समय में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई जो संसदीय इतिहास के पिछले छह दशक से अधिक के समय में माननीयों के कारण संसद की कार्यवाही में गिरावट अपने निम्नतम स्तर पर पहुंची।
372 गैरसरकारी बिल हुए पेश
लोकसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार पिछले पांच साल में लोकसभा में गैर-सरकारी सदस्यों के 372 विधेयक पुर:स्थापित किए गए। जबकि महत्वपूर्ण विषयों पर 10 गैर-सरकारी सदस्यों के संकल्प भी प्रस्तुत किए गए। इस सदन में सांसदों द्वारा प्रश्नकाल के बाद और उस दिन की बैठक समाप्त होने के समय तत्काल निपटाये जाने वाले लोक महत्व के 3316 मामले भी उठाए गए। नियम 377 के अधीन 4019 मामले उठाने के साथ 37 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा हुई। वहीं प्रधानमंत्री समेत विभिन्न मंत्रियों ने अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर 598 वक्तव्य दिए।
652 रिपोर्ट पेश
लोक सभा की स्थायी समितियों ने 652 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। समितियों की कार्य प्रणाली में परिवर्तन किये गये। पहले संसदीय समितियों के दौरों के समय स्थानीय सांसदों को उनकी बैठकों में आमंत्रित नहीं किया जाता था। उनके योगदान के महत्व को समझते हुए अब उन्हें आमंत्रित किया जाता है।
23Feb-2014

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