रविवार, 2 फ़रवरी 2014

राग दरबार: राजनीति के कालीदास

राग दरबार
राजनीति के कालीदास
महाभारत काल में जिस डाल को कालीदास काट रहा था उसी पर वह बैठा था। इस युग में भी कुछ ऐसी कहावतें चरितार्थ होती दिख रही है। आंदोलनों के आदि केजरीवाल के लिए तो यह कहावत सटीक ही बैठाई जा सकती है। मसलन दिल्ली के मुख्यमंत्री की जिस कुर्सी पर केजरीवाल बैठे हैं उसमें एक खंभा कांग्रेस का है, जिस पर हमले करके केजरीवाल काटने में लगा हुआ है। मीडिया को भी चौथा खम्भा कहा जाता है जिस पर केजरीवाल खेमें के हमले जारी हैं अर्थात उसे भी काटने में लगा हुआ है। इसी अहंकार को प्रदर्शित करते केजरीवाल ने यह कहकर हमले किये हैँ कि वह न समझे कि आप उसकी वजह से दिल्ली की सत्ता में है। ऐसे में इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता कि जिस डाल को काटने के लिए कोई भी कालीदास उसी पर बैठा हो तो डाल कटने पर उसका नीचे गिरना तो तय ही है ना?
थाली में छेंद
राजनीति में कोई दोस्त व दुश्मन नहीं होता इस सच्चाई को तो सभी जानते हैं। आजकल लोकसभा चुनाव की राजनीति में एक-दूसरे दल पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी रंग पकड़ रहा है। ऐसे में एक ऐसा दल के लिए यह कहावत ठीक बैठती है ,जो सत्ता का सुख भोगने में किधर भी जाते रहे हैं यानि जिधर देखी परांत उसी के साथ बिताई रात वाली कहावत पर चर्चाओं में है। यानि जिस थाली में खाओ उसी में छेंद करने वाली कहावत राजनीति में आम है। इसी दल के प्रमुख ने भाजपा को दंगा पार्टी, सपा को गुंडा पार्टी और बसपा को लूट पार्टी की नई परिभाषा देकर थाली में छेंद करने वाली परंपरा को यह परिभाषा देकर अंजाम दिया, जिनके साथ सत्ता का भोग किया।
02Feb-2014

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