शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

दो दिनों में संसद के बाधित कार्यवाही से 15 करोड़ बर्बाद!

संसद दूसरे दिन भी ठप
ओ.पी.पाल
संसद सत्र के दूसरे दिन भी दोनों सदनों में तेलंगाना मुद्दा हावी रहा, जिसके शोर में संसद की दूसरे दिन की कार्यवाही पटरी पर नहीं चढ़ सकी। सत्र के दूसरे दिन तेलंगाना के विरोध में भी जहां आंध्र प्रदेश बचाओ के नारे लगे, वहीं तमिलनाडु के मछुआरों को बचाओ की नारेबाजी भी दोनों सदनों में सुनाई दी। इस हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
दो दिनों में संसद के बाधित कार्यवाही से 15 करोड़ बर्बाद हो गए। लोकसभा में विस्तारित सत्र के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को लोकसभा और राज्यसभा में सुबह कार्यवाही शुरू होते ही तेलंगाना के पक्ष और विपक्ष में नारेबाजी शुरू हो गई, तो वहीं र्शीलंका द्वारा तमिल मछुआरों का उत्पीड़न, 1984 के सिख विरोधी दंगे, पथरीबल फर्जी मुठभेड़ कांड तथा अरुणाचल के छात्र की पिछले दिनों दिल्ली में हुई मौत के मामले छाए रहे।
संसद में 137 सांसदों के तीसरे मोर्चे ने किया नाक में दम
कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के खिलाफ अब मुख्य विपक्षी दल भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ही नहीं तीसरी ताकत के रूप में उभर रहे 11 दलों के 137 सांसदों ने भी दोनों सदनों में नाक में दम किया हुआ है। रही सही कसर पूरा कर रहे कांग्रेस के अपने ही सांसद। आंध्रप्रदेश बंटवारे के खिलाफ संसद में सबसे उग्र तेवर अख्तियार कर रहे कांग्रेसी सांसद विपक्षी दलों से भी एक कदम आगे दिखाई दे रहे हैं। संसद के शीतकालीन के विस्तारित सत्र की शुरूआत में ही औपचारिक रूप से तीसरे मोर्चे की धुरि पर 11 दलों के नेता एक जगह बैठे। जिसका असर अब संसद की कार्यवाही पर दिखने लगा है। गुरुवार को दोनों सदनों में तीसरे मोर्चे के सांसदों ने भी जमकर बवाल काटा। तीसरे मोर्चे की रणनीति साफ है, संसद में कांग्रेसनीत यूपीए के खिलाफ और संसद के बाहर भाजपानीत एनडीए के खिलाफ खंभ ठोंकने की तैयारी है। भाजपा से जदयू की ‘कुट्टी’ के बाद केंद्र मे राजग संयोजक की भूमिका शरद यादव के हाथ से जाती रही थी। वे तीसरे मोर्चे की रचना में फिर से मुख्य किरदार की भूमिका में नजर आ रहे हैं। इस विकल्प में वामदलों ने अपनी भूमिका निभाकर इस कदम को गति दी है। संसद भवन में बैठक करके जिस प्रकार की इन दलों ने साझा रणनीति बनाने की बात कही है उससे जाहिर है कि संसद के दोनों सदनों में सरकार के एजेंडे पर दोहरे विरोध का असर दिखने लगा है। गौरतलब है कि आम चुनाव में जाने से पहले 15वीं लोकसभा का यह आखिरी संसद सत्र है, जिसके शेष 10 दिन बचे हैं।
सरकार को घेरने की रणनीति
शरद यादव ने कहा, 30 अक्टूबर 2013 की सांप्रदायिकता विरोध सम्मेलन के बाद तीसरे मोर्चे के गठन की तैयारी का यह पहला कदम है। सभी दलों के साझा कार्यक्रम और साझा रणनीति होगी। संसद के एजेंडे में भ्रष्टाचार रोधी बिलों पर माकपा के सीताराम येचुरी ने चुटकी लेते हुए कहा, 5 सालों तक भ्रष्टाचार में लिप्त रही यूपीए सरकार चुनाव मे जाने से पहले ही भ्रष्टाचार संबन्धी विधेयकों की याद क्यों आई? उन्होंने साफ कर दिया कि भ्रष्टाचार पर रोक लगाने वाले बिलों को किसी भी कीमत पर पास नहीं होने दिया जाएगा।
11 दल और 137 सांसद
तीसरे मोर्चे की तैयारी में जुटे इन ग्यारह दलों के दोनों सदनों में फिलहाल 137 सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी के सर्वाधिक 31 सदस्य हैं, जबकि जद-यू के 28, माकपा के 27, बीजद के 20, एडीएमके के 16, भाकपा के छह, आल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के तीन, असमगण परिषद व आरएसपी के दो-दो तथा जद-एस व झारखंड के विकास मोर्चा के एक-एक सदस्य शामिल हैं। हालांकि इन दलों का यह भी दावा है कि यह तो शुरूआत है। संसद का सत्र खत्म होने के बाद संसद के बाहर इसमें अभी गैर कांग्रेसी और भाजपाई दलों के अलावा क्षेत्रीय दलों को जोड़ने की मुहिम चलाई जाएगी।
अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस 

तेलंगाना मुद्दे पर लोकसभा में सरकार की मुश्किलें उस समय बढ़ी, जब दो सांसदों कांग्रेस के सब्बम हरि और तेदेपा के वेणुगोपाल रेड्डी ने मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस दिया। दिए। तेलंगाना सहित कई अन्य मुद्दों पर विभिन्न दलों के भारी हंगामे से सदन में व्यवस्था नहीं बनने के चलते अध्यक्ष मीरा कुमार सदन के विचारार्थ पेश नहीं कर पायीं।
07Feb-2014

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