रविवार, 2 फ़रवरी 2014

चुनाव आयोग ने जारी किया दिशानिर्देशों का मसौदा!


चुनाव सुधार की दिशा में राजनीतिक दलों से एक सप्ताह के भीतर मांगी राय
चुनावी खर्च का दायरा नहीं चढ़ सका परवान
ओ.पी. पाल

देश में चुनाव सुधारों को अंतिम रूप देने के इरादे से विधि आयोग के साथ चुनाव आयोग की हुई बैठक में माथापच्ची के बावजूद चुनावी खर्च का दायरा बढ़ाने की बात परवान नहीं चढ़ सकी। हां इस बैठक में अदालत के निर्देशों के अनुपालन में चुनाव आयोग ने एक दिशानिर्देश का मसौदा तैयार कर लिया। सभी राष्ट्रीय और क्षेत्री राजनीतिक दलों की एक सप्ताह के भीतर राय मांगी गई है।
चुनाव आयोग की विधि आयोग के साथ शनिवार को यहां कंस्टीट्यूशन क्ल्ब में हुई बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में विधि आयोग के पूर्व चेयरमैन जस्टिस बीपी जीवन रेड्डी रहे। इस बैठक में चुनाव सुधार के लिए आयोग द्वारा बनाई गई दिशानिर्देर्शिका और योजनाओं पर लंबी माथापच्ची हुई, जिसके दौरान चुनाव खर्च का दायरा बढ़ाने की भी बात आई। चुनाव खर्च के मुद्दे के बजाए इस बैठक में राजनीतिक में अपराध और चुनावी घोषणा पत्र में लुभावने वादों के अलावा झूठे शपथपत्र देने वाले या आपराधिक दोष सिद्ध होने के मामले पर जनप्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराए जाने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन कराने पर ज्यादा जोर रहा। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि चुनाव आयोग के दिशानिदेर्शों का यह मसौदा लागू होते ही चुनाव आदर्श आचार संहिता का हिस्सा बन जाएगा, जिसका राजनीतिक दलों को पालन करना होगा।
मसौदे में ऐसे होंगे प्रावधान
चुनाव आयोग ने इस बैठक में विचार विमर्श के बाद सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के प्रमुखों, अध्यक्षों और महामंत्रियों को आयोग के प्रधान सचिव अजय कुमार ने चुनाव सुधार के लिए तैयार दिशानिर्देशों का मसौदा भेजा है। इस मसौदे पर दलों को सात फरवरी तक अपनी राय भेजनी हैं, ताकि जल्द से जल्द चुनाव सुधारों के मानकों को लागू किया जा सके। चुनाव आयोग के मसौदे में किये गये प्रावधानों के अनुसार सभी राजनीतिक दलों को ऐसे वादे करने से परहेज करना चाहिए, जिससे चुनाव प्रक्रिया दूषित होती हो। मसौदे के अनुसार दलों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादों के पीछे तर्क और उनके वित्त पोषण के तरीके बताने होंगे। चुनाव आयोग ने घोषणा पत्र के बारे में जारी मसौदा दिशानिदेर्शों में यह बात कही है। आयोग ने यह मसौदा उच्चतम न्यायालय द्वारा उसे दिये गये निर्देश के मद्देनजर जारी किया। इसके तहत पार्टियों और चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को केवल ऐसे कल्याणकारी वादों को अपने घोषणापत्र में शामिल करने की अनुमति दी जायेगी, जिन्हें संविधान के राज्य नीति के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल किया गया है। आयोग ने इस मसौदे में यह भी कहा कि घोषणापत्र आदर्श आचार संहिता के अन्य प्रावधानों के पूरी तरह से अनुरूप होना चाहिए। इसमें कहा गया है कि पारदर्शिता के हित में,समान अवसर देने के लिए और वादों की विश्वसनीयता के मकसद से आयोग यह आशा करता है कि घोषणा पत्र में वादों के पीछे के तर्क प्रतिबिंबित होंगे तथा इन्हें पूरा करने के लिए वित्त्त पोषण के तरीके भी बताए जाएंगे।
18 का होते ही बनेगा मतदाता
चुनाव आयोग की गाइड लाइन में यह भी कहा गया है कि जब भी कोई भी किशोर 18 साल की उम्र पूरा करेगा तो उसे तुरंत वोटर बनने का हक मिलेगा यानि इसके लिए एक जनवरी की समय सीमा का इंतजार नहीं होगा। आयोग ने सरकार से वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए इस सीमा को खत्म करने को कहा है क्योंकि इसकी वजह से कई युवा वोट नहीं दे पाते। चुनाव आयोग के दिशानिदेर्शों के मुताबिक किसी वर्ष में होने वाले चुनाव में जिस व्यक्ति की उम्र 18 साल हो जाती है उसे वोट देने का अधिकार है।
02Feb-2014

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