सोमवार, 30 सितंबर 2013

मुजफ्फरनगर की घटना से भी नहीं लिया सबक!

खेडा गांव की पंचायत में बवाल से तनाव का मामला
संगीत सोम पर रासुका से तिलमिलाए ग्रामीण
ओ.पी.पाल
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ के खेड़ा गांव में सरधना के भाजपा विधायक संगीत सोम पर रासुका तामिल करने से तिलमिलाए समर्थकों और पुलिस के बीच हुआ बवाल से लगता है कि मुजफ्फरनगर दंगों से भड़की यह चिंगारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अभी ठंडी होने वाली नहीं है। मेरठ के खेड़ा गांव की पंचायत के तार भी सीधे मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े हुए हैं। संगीत सोम पर रासुका के विरोध में खेड़ा गांव की पंचायत में बवाल के पीछे यूपी सरकार और प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने मुजफ्फरनगर की घटना से भी शायद सबक नहीं लिया और ऐसी ही गलती मेरठ में तनाव का कारण बन गई है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सरधना क्षेत्र के खेड़ा गांव में राजपूत चौबीसी और अन्य संगठनों के साथ भाजपा विधायक संगीत सोम के समर्थक ग्रामीणों की  पंचायत के दौरान उमड़े जनसैलाब के गुस्से को थामने में प्रशासनिक और पुलिस के आला अफसर थामने में ठीक उसी तरह नाकाम हुए जिस प्रकार से मुजफ्फनगर की घटना सरकार और प्रशासन की गलती का सबब बनकर उभरी थी। यही नहीं स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी मुजफ्फरनगर की घटना के पीछे प्रशासनिक भूल को स्वीकार किया था। मुजफ्फरनगर दंगे को भड़काने के आरोप में नेताओं की गिरफ्तारियों की कार्यवाही से हालांकि पहले ही आशंका थी कि इस प्रकार की कार्यवाही से स्थिति और बिगड़ सकती है और खेड़ा गांव की घटना से फिर से सपा सरकार और उसके अफसरों की नाकामियों को उजागर कर दिया। मेरठ के पडोसी जिले मुजफ्फरनगर की घटना में सरकार की ओर से आरोपियों की गिरफ्तारी तक तो कोई ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं हुई, लेकिन भाजपा विधायकों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाने से समर्थकों में सरकार और प्रशासन के प्रति गुस्सा है। इस घटना में पंचायत के मंच से अधिकारियों ने मेरठ के अधिकारियों ने मांग पत्र लेने से इंकार कर दिया, तो मुजफ्फरनगर दंगे से पहले हुई पंचायतों में अफसरों पर ज्ञापन लेने पर गाज गिरी थी, लेकिन दोनों पंचायतों की स्थिति के अंतर को खेड़ा गांव की पंचायत में प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी समझ नहीं पाये और बवाल हो गया, जो अफसरों को भारी पड़ा और सरकार की ओर से गाज गिरने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
सरकार पर भी उठे सवाल
मेरठ के सरधना इलाके की राजपूत चौबीसी के खेड़ा गांव में सर्वजातीय महापंचायत में जब अधिकारियों ने संगीत सोम पर लगी रासुका हटाने की मांग वाले ज्ञापन लेने से ही इंकार कर दिया तो ग्रामीण भड़क उठे और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। सूत्रों के अनुसार दूसरी ओर मुजफ्फरनगर व दिल्ली के कुछ मौलानाओं को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विशेष विमान से लखनऊ बुलाया था, जहां सीएम अखिलेश यादव व सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें हालात सामान्य करने की दिशा में उठाए गए सरकारी कदमों की जानकारी दी। इस बुलाए में भी मेरठ के एक चर्चित मौलाना पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं, जिसका कारण था कि मुजफ्फरनगर के दंगे से पूर्व निषेधाज्ञा को तोड़कर हुई मुसलिमों की पंचायत में इसी मौलाना नजीर ने तकरीर दी थी, जिसके प्रति भी एक समुदाय के लोगों में सरकार की एक तरफा कार्यवाही पर सवालिया निशान उठाये जा रहे हैं, क्योंकि आज तक इस मौलाना की गिरफ्तारी नहीं हुई, बल्कि सरकार उन्हें न्यौता देकर सुझाव हासिल कर रही है। यहां भी सवाल खड़े हुए हैं किे उत्तर प्रदेश सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा से निपटने और शांति बनाए रखने के लिए एक ही समुदाय के लोगों को क्यों बुलाया, क्या दूसरे समुदाय के लोगों को सरकार धर्मनिरपेक्ष नहीं मानती। ऐसे सवाल सपा सरकार पर खड़े किये जा रहे हैं।
जेल नियमों का उल्लंघन?
सूत्रों के अनुसार भाजपा विधायक संगीत सोम पर लगी रासुका को हटाने की मांग पर सर्वजातीय पंचायत को रोकने के के लिए यूपी सरकार भी प्रयास में थी,इसके लिए सरकार को जेल में बंद संगीत सोम का भी सहारा लेना पड़ा, भले ही इसमें जेल नियमों का उल्लंघन क्यों न हुआ हो। सूत्रों के अनुसार संगीत सोम पर रासुका लगी है से ही इस पंचायत को रोकने के लिए पंचायत के आयोजकों से मेरठ प्रशासन ने दूरभाष के जरिए जेल से ही बात कराई है। ऐसे में यह सवाल अत्यंत गंभीर है कि संगीत सोम से फोन पर किस तरह बात की गई? क्या वह जेल में मोबाइल में इस्तेमाल कर रहे हैं? या फिर जेल का फोन का प्रयोग किया गया? यदि मोबाइल से बात कराई है तो क्या यह जेल नियमों का उल्लंघन नहीं है?
30Sept-2013

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