शनिवार, 21 सितंबर 2013

80 सांसद व विधायक पर दर्ज हैं मामले!

मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर जारी है सियासत का खेल
हरिभूमि ब्यूरो

मुजफ्फरनगर दंगों के जिम्मेदार माने जाने वाले भाजपा, बसपा, कांग्रेस व भाकियू नेताओं समेत 16 लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के आरोप में उत्तर प्रदेश की कार्रवाई के तहत वारंट जारी किये गये हैं, जिनमें से भाजपा विधायक सुरेश राणा को लखनऊ में गिरफ्तार भी कर लिया गया। जबकि देश में इस तरह के कम से कम 80 सांसदों व विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं, जिनके खिलाफ ऐसे मामले दर्ज होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
राजनीतिक दलों और चुनाव सुधार में जुटी गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच ने देश के विभिन्न राज्यों के उन सांसदों और विधायकों या अन्य जनप्रतिधियों का अध्ययन किया है, जिनके खिलाफ लगातार धार्मिक स्थानों का विनाश, धार्मिक समूहों (आईपीसी 153ए) के बीच भावनाएं भडका कर सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने के मामले दर्ज हैं। ऐसे 80 सांसदों व विधायकों के खिलाफ आईपीसी 153ए के तहत मामले दर्ज हैं, जिनमें 13 भाजपा, सात सपा, छह कांग्रेस, छह बसपा, दो शिवसेना व दो एमएनएस के नेता शामिल है। जहां तक राज्यों का सवाल हैं इनमें सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश है जहां 25 नेताओं पर ऐसे मामले दर्ज हैं, इनमें चार लोकसभा सांसद, एक राज्यसभा सांसद व सात विधायक शामिल हैं। जिसके बाद आठ तमिलनाडु, सात कर्नाटक, छह महाराष्ट्र, चार मध्यप्रदेश, तीन-तीन ओडिसा व पंजाब के अलावा दो पश्चिमी बंगाल के मामले हैं। देशभर में सांसदों और विधायकों पर ये मामले वर्ष 2008 से मौजूदा समय तक के हैँ लेकिन इनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाही नहीं की। जबकि मुजफ्फरगर दंगों में इस तरह के आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी करके गिरफ्तारी अभियान शुरू किया गया है।
 केंद्रीय मंत्री रहमान खान कल जाएंगे मुजफ्फरनगर
मुजफ्फरनगर दंगों में पीड़ितों का दर्द सुनने के बहाने सियासी खेल अभी थमा नहीं है। दंगों की जांच के नाम पर गुरूवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का दल हिंसा प्रभावित इलाके में हैं। अब 22 सितंबर को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान मुजफ्फरनगर जा रहे हैं जो दंगे से प्रभावित अल्पसंख्यक वर्ग के पीड़ितों के लिए राहत की घोषणा करेंगे।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि 22 सितंबर को संबन्धित मामलों के मंत्री के. रहमान खान मुजफ्फरनगर दौरे पर जाएंगे, जहां वे विस्थापित अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के शिविरों में जाकर उनकी समस्याएं भी सुनेंगे। सूत्रों के अनुसार के. रहमान खान अपने मंत्रालय की योजनाओं के आधार पर पीड़ितों के लिए किसी राहत की घोषणा भी कर सकते हैं। इससे पहले गुरूवार को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का एक दल मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ितों के बयान दर्ज करने के लिए वहां पहले से ही मौजूद है। सूत्रों के अनुसार मुजफ्फरनगर दंगों के पीड़ितों के नाम पर सियासी दौरे जारी हैं, लेकिन इस इलाके में सत्तापक्ष के अलावा किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। इस संबन्ध में मुजफ्फरनगर के एसएसपी प्रवीण कुमार से हरिभूमि ने फोन पर बातचीत करने का भी प्रयास किया, लेकिन उसके जनसंपर्क अधिकारी ने लखनऊ में भाजपा विधायक सुरेश राणा की गिरफ्तारी के सिलसिले में एसएसपी के मिटिंग में व्यवस्त होने का हवाला देते हुए बातचीत कराने से इंकार कर दिया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि केंद्र या यूपी के सत्ताधारी नेताओं को इस इलाके में जाने के लिए कोई रोकटोक नहीं है, लेकिन जो दल सत्ता में नहीं उनके नेताओं को सीमा से पहले ही गिरफ्तार करके वापसी करने का सिलसिला जारी है। सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, स्वयं यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस प्रभावित इलाके का दौरा कर चुके है, लेकिन केंद्रीय नागर विमानन मंत्री चौधरी अजित सिंह, जदयू नेता अली अनवर अंसारी, भाजपा नेता कलराज मिश्र, उमा भारती, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी जैसे नेताओं को रास्ते में ही रोककर गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में राजनीतिक दलों ने सत्तापक्ष पर आरोप प्रत्यारोप लगाने में भी कोई परहेज नहीं किया। यहां तक सवाल उठाए कि राहुल गांधी के पास कौन सा मंत्रालय था जिन्हें दंगाग्रस्त क्षेत्र में जाने की इजाजत दी गई।
21Sep-2013

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