बुधवार, 4 सितंबर 2013

विपक्ष के कड़े तेवरों से बढ़ी सरकार की मुश्किलें!

कोलगेट की गुम फाइलों पर सरकार-विपक्ष के बीच टकराव शुरू
ओ.पी.पाल

संसद के मानसून सत्र का विस्तार सरकार के लिए मुश्किल बनता नजर आ रहा है, जिसमें कोयला घोटाले की गुम फाइलों और अन्य मुद्दों को लेकर सरकार तथा विपक्ष के बीच टकराव बढ़ने की नौबत आ गई है और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए कड़े तेवर अपनाने शुरू कर दिये हैं। ऐसे में सरकार के लंबित पड़े विधायी कार्यो को पूरा कराने की मंशा पर ग्रहण लगने की संभावना अधिक बनी हुई हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से कुछ विधेयक ऐसे थे, जिन्हें पारित करने के विरोध से विपक्षी राजनीतिक दलों की सियासत पर भी जनता के बीच संदेह की स्थिति पैदा होने का डर था, लिहाजा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक और भूमि अधिग्रहण विधेयक समेत कुछ ऐसे विधेयकों पर विपक्षी दलों को सरकार के समर्थन की मजबूरी भी माना जा रहा है। विपक्ष के संसद में नरम रवैये के सहारे ही सरकार ने मानसून सत्र का विस्तार कर पांच दिन की अवधि और बढ़ाई, लेकिन सरकार का यह फैसला शायद उसके लिए मुश्किल भरा साबित हो रहा है। इस अतिरिक्त पांच दिनों में पहले दो दिन की कार्यवाही में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने जिस प्रकार से कांग्रेसनीत यूपीए सरकार पर दबाव बनाना शुरू किया और संसदीय बोर्ड की बैठक में भी भाजपा ने सरकार को घेरने के लिए जिस प्रकार के निर्णय लिये और पीएम से सवालों के जवाब न आने तक संसद की कार्यवाही न चलने देने की रणनीति बनाई है उसका असर मंगलवार को कोयला घोटाले की गुम फाइलों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान देने के बावजूद साफ नजर आया। मसलन प्रधानमंत्री के कोलगेट की गुम फाइलों पर दिये गये बयान से पूरी असंतुष्ट भाजपा ऐसी बिफरी, कि संसद की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के कड़े तेवरों से जाहिर है कि अगले तीन दिनों की कार्यवाही में यदि यूपीए सरकार ने विपक्ष की आशंकाओं का समाधान न किया तो संसद की कार्यवाही का पटरी पर आना असंभव है। इसका मतलब साफ है कि जिस मकसद से सरकार ने मानसून सत्र की कार्यवाही को एक सप्ताह का विस्तार दिया था उसमें उसके ज्यादा से ज्यादा विधायी कार्यो को निपटाने की मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
ऐसे बढ़ी सरकार और विपक्ष की तल्खी
राज्यसभा में कोलगेट की गुम फाइलों को लेकर प्रधानमंत्री के बयान के बाद भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद और कानून मंत्री कपिल सिब्बल के बीच जिस प्रकार की तीखी नोंक-झोंक हुई उससे सरकार और विपक्ष में टकराव कम होने की संभावनाएं क्षीण होती दिख रही हैं। रविशंकर और कपिल सिब्बल की इस तल्खी के बीच संसदीय कार्य मंत्री राजीव शुक्ला पर विपक्ष पर भड़कते नजर आए। इसी प्रकार की घटना लोकसभा में उस दोहराई गई, जब प्रधानमंत्री इसी मुद्दे पर बयान देते ही सदन से बाहर चले गये, जबकि प्रतिपक्ष नेता सुषमा स्वराज व भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कुछ कहने के लिए हाथ उठाया। इसके बावजूद पीठ से भाजपा के इन नेताओं को बोलने की अनुमति देना तो दूर प्रतिपक्ष नेता सुषमा स्वराज का उनकी सीट पर लगा माइक तक बंद कर दिया गया। इन दोनों घटनाओं को लेकर प्रमुख विपक्षी भाजपा यूपीए सरकार से कहीं ज्यादा खफा नजर आया और खासकर लोकसभा की घटना को भाजपा का अपमान करार देते हुए भाजपा ने सरकार को घेरने की रणनीति पर कड़ा रूख अपनाने का ऐलान कर दिया।
पीएम का वॉक आउट था?
लोकसभा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोलगेट की गुम फाइलों पर बयान देते की जिस प्रकार तेज कदमों से सदन से बाहर गये तो उस पर विपक्षी दलों ने टिप्पणी तक करने से परहेज नहीं किया। भाजपा ने तो प्रधानमंत्री के इस तरह सदन से बाहर जाने को विपक्ष के जवाबों से बचने का बहाना बताया। वहीं माकपा सीताराम येचुरी ने पीएम के बयान पर संदेह व्यक्त करते हुए यहां तक कह दिया कि जैसे पीएम लोकसभा से बयान देते हुए उठकर बाहर गये तो उनकी पार्टी ने ही नहीं अन्य दलों ने भी यह समझा कि विपक्ष के सवालों के जवाब से वह सदन से वॉक आउट कर गये?
हंगामे की भेंट चढ़ी संसद की कार्यवाही
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
बहुर्चित कोयला घोटाले की गुम फाइलों को लेकर मंगलवार को संसद के दोनों सदनों की बैठकों में विपक्ष का जमकर हंगामा हुआ। इस मुद्दे के साथ तेलंगाना और अन्य मुद्दों पर हंगामे के कारण बार-बार सदन की कार्यवही स्थगित होती रही। इस हंगामे के कारण संसद में कामकाज लगभग ठप ही रहा।
राज्यसभा की मंगलवार को जैसे ही सदन की कार्यवाही हुई तो भाजपा के एम वेंकैया नायडू ने यह मुद्दा उठाते हुए कोलगेट की गुम फाइलों पर सदन में आकर बयान देने की मांग की। वहीं प्रतिपक्ष नेता अरूण जेटली और अन्नाद्रमुक के वी. मैत्रेयन ने इसी दिन की कार्यवाही के दौरान कोलगेट घोटाले की गुम फाइलों पर बयान देने की मांग की। इस पर सदन में हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष का तर्क था कि पीएम बुधवार को जी-20 की बैठक में हिस्सा लेने के लिए रवाना हो जाएंगे, इसलिए उनका बयान आज ही होना चाहिए। इसी बीच तेदेपा सदस्य भी पृथक तेलंगाना के फैसले का विरोध करते नजर आए और सदन में हंगामा शुरू हो गया। सदन में हंगामा होते देख सभापति हामिद अंसारी ने सदन की कार्यवाही को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। फिर से बैठक शुरू होने पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने बताया कि प्रधानमंत्री शून्यकाल के बाद सदन में बयान देंगे। लेकिन सदन में हंगामें के कारण एक फिर सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। शून्यकाल के बाद करीब साढे बारह बजे पीएम सदन में आए और बयान दिया, जिस पर प्रतिपक्ष के नेता अरूण जेटली और अन्नाद्रमुक के वी. मैत्रेयन ने पीएम से कुछ स्पष्टीकरण मांगते हुए सवाल किये, लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच झडपें शुरू हो गई, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई। दो बजे बाद कानून मंत्री कपिल सिब्बल और भाजपा के रविशंकर प्रसाद के बीच तीखी झडपों के कारण तीन मिनट बाद ही 15 मिनट और फिर तीन बजे तक कार्यवाही स्थगित कर दी गई। हालांकि शून्यकाल में पीएम के बयान से पहले कुछ सदस्यों ने जनहित के मुद्दे भी उठाए थे। उधर लोकसभा में भी कोयला घोटाले की गुम फाइलों पर सदन की कार्यवाही के दौरान हंगामा होता रहा। शुरूआत में सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित हुई, बाद में विपक्ष की मांग पर पीएम के बयान के बाद सरकार के प्रति बढ़ी भाजपा की नाराजगी और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का बोलने का मौका न देने के कारण सदन में हंगामा हुआ। वहीं लोकसभा से सोमवार को जिन नौ सदस्यों को हंगामा करने पर निलंबित कर दिया गया था, वे मंगलवार को सदन में बैठे नजर आए तो उन्हें मार्शल की सहायता से जबरन सदन से बाहर निकाला गया।
राज्यसभा से फिर निलंबित तेदपा सदस्य
राज्यसभा में मंगलवार को भी तेलंगाना राजय के फैसले के विरोध करते आ रहे तेदपा के सीएम रमेश व वाईएस चौधरी ने जब शून्यकाल के दौरान अपनी बात रखने की मांग की और उन्हें समय न मिलने से नाराज दोनों सदस्य आसन के करीब आ गये, जिन्हें उपसभापति पीजे कुरियन ने नियम 255 की कार्यवाही के तहत पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया। सदन में यह तीसरा अवसर था जब इन सदस्यों को पूरे दिन की कार्यवाही से निलंबित किया गया है।
रास में उठा साइबर सुरक्षा का मुद्दा
भाजपा के सांसद तरूण विजय ने ईमेल खातों और अन्य प्रोफाइलों की अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी द्वारा जासूसी किए जाने और डीआरडीओ की वेबसाइट पर हाल ही में हुए साइबर हमले पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसे खतरों से निपटने के लिए साइबर सुरक्षा संबंधी उपकरणों की कमी दूर करने के लिए केंद्र सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा सदस्य तरूण विजय ने अमेरिका की सुरक्षा एजेंसी द्वारा ईमेल खातों और अन्य प्रोफाइलों की जासूसी किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि अमेरिकी एजेंसी ने ब्राजील के राष्ट्रपति के ईमेल खाते की भी जासूसी की जिसका हाल ही में खुलासा हुआ। उन्होंने कहा कि भारतीयों के ईमेल खातों की भी जासूसी की जा रही है। तरूण विजय ने कहा कि देश में साइबर जासूसी को रोकने के लिए जरूरी साइबर सुरक्षा संबंधी उपकरणों की कमी है जिसे दूर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय रक्षा एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की वेबसाइट पर भी साइबर हमले का भी जिक्र किया और यहां तक हैरानी जताई कि जम्मू कश्मीर के पुंछ और राजौरी में मौजूद रक्षा प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी गूगल के नक्शों पर कैसे उपलब्ध है।
सांसदों से अंगदान करने की अपील
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने संसद सदस्यों से अंगदान करने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे कई लोगों का जीवन बचाया जा सकेगा। शून्यकाल में ओ ब्रायन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि अंगदान के मामले में अन्य देशों की तुलना में भारत का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में हर साल करीब 3 लाख लोगों को गुर्दे के प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है। लेकिन दानदाताओं के अभाव के चलते गुर्दा नहीं मिल पाता। ओ ब्रायन ने कहा कि एक मानव शरीर के 34 अंग ऐसे होते हैं जो जरूरत पड़ने पर दूसरों को जीवनदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल देश में 25,000 अंग प्रत्यारोपण की जरूरत थी लेकिन केवल 126 अंग प्रत्यारोपण ही हो पाए। ओ ब्रायन ने संसद सदस्यों से अपील की है कि अगर हम अंग दान करते हैं तो कई लोगों का जीवन बचाया जा सकेगा। इसके अलावा मानव अंगों के अवैध कारोबार पर भी रोक लग सकेगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में अंग दान करने के लिए फिल्म अभिनेता कमल हासन जागरूकता फैला रहे हैं और पश्चिम बंगाल में भी इस दिशा में सकारात्मक पहल हुई है।
04Sept-2013

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