रविवार, 8 सितंबर 2013

खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण बिल पर उत्साहित है सरकार!




मानसून सत्र के अंतिम दिनों में हुआ विधायी कार्य  
ओ.पी.पाल

संसद के मानसून सत्र में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक व भूमि अधिग्रहण विधेयक जैसे कई विधेयकों को भले ही विपक्ष के साथ भाईचारे की नीति से पारित कराने में सफल रही हो, लेकिन इन प्राथमिकता वाले विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल जाने से कांग्रेसनीत पूरी तरह उत्साहित है।
गत पांच अगस्त से सात सितंबर तक चले संसद के मानसून सत्र में दो दर्जन से ज्यादा विधेयकों पर मुहर लगी है, जिसमें खासकर सत्र के अंतिम दिनों में विपक्ष को अपने सभी मुद्दों की भड़ास निकालने का मौका देकर जिस प्रकार से गतिरोध टूटा है उसमें सरकार ने सभी बिलों पर विपक्ष का समर्थन भी हासिल किया। तभी तो कांग्रेस नेता एवं केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ ताल ठोककर कह रहे हैं कि सरकार के लिए संसद का यह मानसून सत्र बेहद सफल रहा जिसमें वह ऐतिहासिक खाद्य सुरक्षा एवं भूमि अधिग्रहण विधेयक के अलावा पेंशन विधेयक, लोक प्रतिनिधित्व संशोधन विधिमान्यकरण विधेयक और राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय विधेयक जैसे विधेयकों को पारित कराने में कामयाब हुई है। हालांकि उन्होंने विपक्ष के समर्थन को नकारा नहीं है, वहीं विपक्ष को भी यह कहने का मौका मिल गया कि यदि विपक्षी दल सरकार के साथ सहयोग का रास्ता अख्तियार न करती तो सरकार संसद में एक भी विधेयक को पारित नहीं करा सकती थी। कुछ भी आगामी चुनाव के लिए गेम चेंजर मानकर चल रही कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार खासकर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण विधेयकों पर मिली संसद की मंजूरी को अपना ऐतिहासिक कदम मानकर चल रही है। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि महीने भर चले सत्र में मौलिक कार्य हुआ है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में अंतिम दिन सदस्यों ने चार महत्वपूर्ण विधेयक एक ही दिन में पारित कर दिये। उन्होंने हालांकि इस बात से इंकार किया कि उच्च अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में संविधान संशोधन विधेयक को लेकर कोई गडबडी हुई।
राज्यसभा से आगे बढ़ी लोकसभा
संसद के संपन्न हुए मानसून सत्र के पहले पखवाड़े में राज्यसभा में हंगामे के बावजूद जब आधा दर्जन विधेयक पारित हो चुके थे तो लोकसभा में एक विधेयक पारित होने का खाता भी नहीं खुल सका था। लेकिन दूसरे पखवाड़े में लोकसभा में दनादन विधेयकों पर मुहर लगती गई और राज्यसभा में विधायी कार्यो की गति धीमी होती चली गई। नतीजन इस सत्र के दौरान लोकसभा में 16 और राज्यसभा में नौ विधेयकों पारित हुए।
सजायाफ्ता नेता पर रोक बरकरार रहेगी संसद में पारित लोक प्रतिनिधित्व (दूसरा संशोधन एवं विधिमान्यकरण) विधेयक को दोनों सदनों में पारित कर दिया गया, जिसके तहत जेल में रहते हुए कोई भी नेता अब चुनाव लड़ सकेगा। इस विधेयक के लागू होते ही सुप्रीम का वह ओदश को निरस्त हो जाएगा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जेल या हिरासत में रहने वाले नेता के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई थी, लेकिन इस विधेयक दूसरे हिस्से को सरकार ने संसदीय समिति के हवाले कर दिया है जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश बरकरार रहेगा, जिसमें दो साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर किसी भी विधायक या सांसद को अयोग्य करार दिया जाएगा। इस विधेयक में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निरस्त करने के लिए ऐसे जनप्रतिनिधियों को मतदान व भत्ते से वंचित करने वाला संशोधन करने का प्रस्ताव किया था।
पारित हुए महत्वपूर्ण विधेयक
-राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक
-भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्वासन विधेयक
-पथ विक्रेता (जीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनिमय) विधेयक
-भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण आयोग विधेयक
-राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय विधेयक
-हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास विधेयक
-पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण विधेयक
-संसदीय और विधानसभा निर्वाचन-क्षेत्रों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व का पुन: समायोजन (दूसरा) विधेयक
-वक्फ संशोधन विधेयक
-पुनर्वास व पुनर्स्थापन में पारदर्शिता विधेयक
-संविधान (120वां संशोधन) विधेयक, ( गड़बड़ी से लोस में अटका)
-राज्यपाल (उपलब्धियां, भत्ते और विशेषाधिकार संशोधन) विधेयक
-आरटीआई संशोधन विधेयक(राज्यसभा से संसदीय समिति के हवाले)
-न्यायिक नियुक्तियां  आयोग विधेयक (राज्यसभा से संसदीय समिति के हवाले)
08Sept-2013

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