बुधवार, 18 सितंबर 2013

मुस्लिमों की नाराजगी दूर करने में जुटे मुलायम!

मुजफ्फरनगर दंगों से बदले गणित ने चुनावी रणनीति बदलने को किया मजबूर
ओ.पी. पाल

मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के कारण समाजवादी पार्टी से नाराज मुस्लिमों पर जहां अन्य राजनीतिक दल झपटा मारने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं मुस्लिमों की नाराजगी को दूर करने की चुनौती के बीच सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने सियासी कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। मुलायम सिंह किसी भी कीमत में मुस्लिमों को नाराज नहीं देखना चाहते।
दंगों से आहत होकर बागपत लोकसभा सीट से सपा के उम्मीदवार सोमपाल शास्त्री ने टिकट वापस कर दिया तो सपा ने उसका भी तोड़ मुस्लिम कार्ड के जरिए निकाला है और वहां शास्त्री के स्थान पर अगले ही दिन सिवाल खास से विधायक गुलाम मुहम्मद को लोकसभा चुनाव का टिकट थमा दिया। वहीं सपा प्रमुख ने मुजफ्फरनगर दंगों के बाद मुस्लिमों में सपा के प्रति दूर तक फैली नाराजगी की नब्ज को पहचानने का प्रयास किया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम नेता के रूप में हैसियत रखने वाले कांग्रेसी सांसद रशीद मसूद के भतीजे और सहारनपुर की मुजफ्फराबाद से विधायक रह चुके इमरान मसूद को अपनी पार्टी में शामिल करके सपा को मुसलमानों का हितैषी होने का संदेश दिया है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि रशीद मसूद पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में सपा छोड़कर कांग्रेस में चले गये थे। इसके बावजूद सपा मुखिया का प्रयास है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समीकरण को किसी भी तरह से टूटने से बचाया जाए। हालांकिे दंगों के जख्म इतने गहरे नजर आ रहे हैं कि इन्हें भरना सपा के लिए एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है। सपा के सूत्रों की माने तो सपा प्रमुख पश्चिम उत्तर प्रदेश में पहले से घोषित लोकसभा के उम्मीदवारों में फेरबदल करके मुस्लिम कार्ड चलाने की तैयारी में है। यही नहीं जब दंगों के दर्द सुनने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर आए तो कैराना की बसपा सांसद श्रीमती तब्बसुम हसन उनके साथ नजर आई और अटकले लगाई जा रही है कि कैराना सीट से वह आगामी चुनाव सपा के टिकट से ही लड़ सकती हैं।
मोदी के ऐलान का भी हुआ असर
दरअसल में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद सूबे के पश्चिमी जिलों के जातीय समीकरण तेजी के साथ बदल जाने से हर राजनैतिक दलों को अपनी रणनीति में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उसी का नतीजा है कि दंगों के बाद जाट और मुस्लिम मतों के बंटवारे ने सपा को भी नए सिरे से अपनी चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए विवश किया और बागपत लोकसभा सीट पर रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह के सामने जाट प्रत्याशी के हट जाने के बाद मुस्लिम प्रत्याशी को तरजीह देने के लिए मजबूर कर दिया। सपा के सूत्रों ने यह भी माना है कि भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बने राजनीतिक हालातों को भी ध्यान में रखकर मुस्लिमों की नाराजगी को दूर करके उनका विश्वास हासिल करने हेतु सपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ अन्य प्रत्याशियों को बदलकर मुस्लिम उम्मीदवारों को तरजीह देने के लिए मंथन कर रही है।
18Sep-2013

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