गुरुवार, 5 सितंबर 2013

विपक्ष पर दबाव बनाने की जुगत में सरकार!


डिनर डिप्लोमैसी भी नहीं तोड़ पाई गतिरोध
ओ.पी.पाल 
संसद में कोलगेट की गुम फाइलों को लेकर बने गतिरोध को तोड़ने के लिए यूपीए सरकार का नेतृत्व कर रही कांग्रेस की जब डिनर डिप्लोमैसी भी गतिरोध नहीं तोड़ पाई तो कांग्रेस ने गुजरात के आईपीएस अधिकारी बनजारा के पत्र को आधार बनाकर विपक्ष को घेरने की मुहिम शुरू कर दी, ताकि विपक्ष पर दबाव बनाकर वह शेष विधायी कार्यो को संसद में मानसून सत्र के शेष दिनों में पूरा कराया जा सके।
संसद के दोनों सदनों में प्रमुख विपक्षी दल के कोलगेट की गुम फाइलों पर प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण पर चर्चा की मांग को लेकर सरकार पर बोले गये हमले में कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों के साथ प्रमुख विपक्षी दल पर हल्ला बोल की जो नीति बनाई है वह इसी रणनीति का संकेत है कि विपक्षी दल के जवाब में सरकार संसद में अपने सभी सरकारी कामकाज को निपटा सके। बुधवार को भी संसद के दोनों सदनों में जहां प्रमुख विपक्षी दल भाजपा सदस्यों ने कोलगेट के मुद्दे पर हंगामा करके सरकार पर हमला बोला, तो वहीं कांग्रेस ने बनजारा के पत्र पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की मांग कर डाली। उच्च सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष एकदम आमने सामने नारेबाजी के साथ नोंकझोंक करते नजर आए। इसका नतीजा यही माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निवास पर मंगलवार की रात भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली की भोज बैठक में भी टकराव समाप्त करने के लिए कोई निष्कर्ष नहीं निकला। माना जा रहा है कि इसका रास्ता कांग्रेस के हाथ आसानी से लग गया और उसने बुधवार को विपक्ष के हमले का जवाब देने के लिए आईपीएस अधिकारी बंजारा के त्यागपत्र को मुद्दा बनाकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस्तीफे की मांग पर हंगामा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। संसद के सदनों में ही नहीं संसद परिसर में भी कांग्रेस की प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने गुजरात के आईपीएस अधिकारी पर भाजपा को जमकर कोसा तो वहीं भाजपा के बलबीर पुंज ने भी कांग्रेस पर कोलगेट में जनता के 1.84 लाख करोड़ रुपये हजम करने का आरोप लगा दिया। इस दौरान दोनों पार्टी के दिग्गज नेता एक ही साथ संसद परिसर में संवाददाताओं से बातकर रहे थे, जहां दोनों नेता आपस में नोंकझोंक करने से भी परहेज नहीं कर सके।
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर बेचैन दिखे जयराम रमेश
लोकसभा में पारित हो चुके भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार विधेयक-2013 बुधवार को उच्च सदन में पेश करने और उसे पारित कराने के प्रस्ताव के लिए प्राथमिकता पर था, लेकिन सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध तथा अन्य दलों के मुद्दों पर बरपते रहे हंगामे के कारण केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश उसे चाह कर भी पेश नहीं कर पाये। खासकर दोपहर बारह बजे जब आसन ने उन्हें बिल पेश करने के लिए पुकारा तो उन्हें अपनी सीट से उठने तक का मौका नहीं दिया। हंगामे के कारण यह स्थिति करीब साढ़े चार बजे तक बनी रही। सदन के बार-बार स्थगन के बावजूद जयराम रमेश सदन में ही डटे रहे और लगभग सभी दलों से भूमि अधिग्रहण बिल की प्रति दिखाते हुए बात करते देखे गये। रमेश अधिकारी दीर्घा में बैठे अधिकारियों से भी बिल में किये गये प्रावधानों की जानकारी लेकर सदन में सदस्यों को दिखाकर उन्हें समझाने का प्रयास करते रहे। माना जा रहा है उनकी यह बेचैनी विधेयक को सदन में पेश न हो पाने के कारण थी। मसलन वे सदन की कार्यवाही के स्थगन होने या हंगामा होने पर गुस्से में भी नजर आए, जिसका अहसास बिल की प्रतियां अपनी सीट पर पटकने से किया जा सकता था। बार-बार जयराम रमेश संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला से भी बात करके हंगामे को शांत करने का समाधान तलाशने की गुजारिश भी करते दिखाई दिये। आखिर जब सदन में संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ आए और कहीं जाकर पांच बजे बाद सदन में माहौल को सुचारू किया जा सका तो उनकी जान में जान आई और बिल पेश करने के मंसूबा पूरा कर पाये।
05Sep-2013

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