रविवार, 1 सितंबर 2013

रार, तकरार और प्रतिकार में गुम हुई पीएम की सफाई!

मनमोहन सिंह  ने संसद में आपा खोया
ओ.पी. पाल
शांत स्वभाव वाले व्यक्तित्व के साथ हमेशा खामोश नजर आने वाले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शायद अपने नौ साल के शासन में पहली बार संसद में आपा खोया। प्रधानमंत्री के छलके इस दर्द के पीछे रूपये की गिरती कीमत या देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को सुधार न पाने का गुस्सा था? या फिर विपक्ष के चौतरफा हमलों की भड़ास, कहना मुश्किल है,लेकिन उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया कि खामोशी में भी एक ताकत छिपी होती है।
राज्यसभा में शुक्रवार को विपक्ष की मांग पर रूपये की गिरती कीमत और मौजूदा अर्थव्यवस्था पर बयान पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए जैसे ही संक्षिप्त चर्चा के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जवाब देने के लिए खड़े हुए उन्होंने प्रतिपक्ष नेता अरुण जेटली पर सीधा हमला बोला। आक्रामक मूड में नजर आए पीएम ने पिछले नौ साल की यूपीए सरकार के कार्यकाल के रिकार्ड का हवाला देते हुए सदन में प्रमुख विपक्षी दल के आचरण पर उंगली उठाई। उच्चसदन में विपक्ष की नेता की ओर देखते हुए उन्होंने कातर भाव से कहा, दुनियाभर में कोई ऐसा जनतंत्र नहीं है जहां विपक्ष सदन में प्रधानमंत्री को चोर करार देता हो। प्रधानमंत्री चोर है..प्रधानमंत्री चोर है जैसे नारे लगते हों। प्रधानमंत्री के यह कहते ही भाजपा सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। भारी विरोध के बीच अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री पर पलटवार करने में कतई देर नहीं की। कांग्रेसनीत सरकार पर तीखा कटाक्ष करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री से मुखातिब हो कर कहा, प्रधानमंत्री जी दुनिया के किसी देश में ऐसा भी नहीं देखा जहां सांसदों की खरीद-फरोख्त करके कोई प्रधानमंत्री सदन में विश्वास मत हासिल करता हो। सदन में इस दौरान सत्ता व विपक्ष के सदस्यों में तीखी नोंकझोंक भी हुई। किसी तरह सदन में छायी शांति के बाद प्रधानमंत्री ने लगातार कमजोर होते रुपए पर अपना जवाब दिया। विपक्ष के नेता अरुण जेटली और उपनेता रविशंकर के सवालों पर प्रधानमंत्री ने भारी गुस्से और क्षोभ में रुपया गिरने और खराब होती अर्थव्यवस्था को संसद के कामकाज में रोजाना आते व्यवधानों को जोड़ा। विदेशों में भारत की खराब हो रही साख के लिए प्रमुख विपक्षी दल पर ही ठीकरा फोड़ने का प्रयास किया गया। प्रधानमंत्री ने गर्म तेवरों के बीच संसद नहीं चलने देने के लिए विपक्ष को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि विपक्ष ने अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन नहीं किया। विपक्ष पर सियासी हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन के सुचारु रूप से न चलने के कारण विदेशी निवेशकों का भरोसा टूटा है।
इन्होंने मांगा था स्पष्टीकरण
प्रधानमंत्री के बयान पर संक्षिप्त चर्चा में प्रतिपक्ष नेता अरूण जेटली के अलावा भाकपा के डी.राजा, विपक्ष के उपनेता रविशंकर प्रसाद, तृणमूल के सुखेन्दु शेखर राय, माकपा के सीताराम येचुरी, सपा के रामगोपाल यादव, बसपा के सतीश मिश्रा तथा शिरोमणी अकाली दल के नरेश गुजराल ने प्रधानमंत्री के बयान को नाकाफी बताते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास किया और प्रधानमंत्री से किये गये सवालों पर स्पष्टीकरण की मांग की। जद-यू के एनके सिंह ही एक ऐसे सांसद थे, जिन्होंने सरकार के उपायों के कसीदे पढ़े।
• 12.25 बजे-प्रधानमंत्री उच्च सदन में पहुंचे
• 12.26 बजे-सभापति असान पर आये
• 12.30 बजे-प्रधानमंत्री ने 15 मिनट तक बयान दिया
• 12.45 बजे-प्रतिपक्ष नेता अरूण जेटली ने चर्चा शुरू की
• 1.15 बजे-प्रधानमंत्री ने चर्चा का जवाब शुरू किया
• 1.45 बजे-प्रधानमंत्री का जवाब खत्म और सदन की कार्यवाही 2.30 बजे तक स्थगित
30Aug-2013

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