रविवार, 1 सितंबर 2013

कानून बनने के इंतजार में राज्यों के 94 विधेयक!

पिछले पांच सालों में केंद्र को अनुमोदन हेतु राज्यों से मिले 234 बिल
ओ.पी. पाल

संसद में जहां अभी 104 विधेयक कानून बनने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं केंद्र के पास राज्यों से अनुमोदित होकर आने वाले ऐसे सैकड़ो विधेयक लंबित हैं जो पिछले पांच सालों से राज्यों में कानून का दर्जा हासिल करने  के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की खाक छानने को मजबूर हैं।
देश के विभिन्न राज्यों सरकार द्वारा विधानसभाओं में पारित ऐसे विधेयकों की संख्या भी केंद्र सरकार के पास लगातार बढ़ती जा रही है, जिन्हें राज्य में काननू का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार और और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी का बेसब्री से इंतजार है। राज्य सरकारों से केंद्र की जांच पड़ताल और राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए पिछले पांच साल में केंद्र को करीब 234 विधेयक मिले थे, जिन्हें विधानसभाओं या राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद संबन्धित केंद्रीय मंत्रालय और विभागों को जांच-पड़ताल के बाद अंतिम मुहर लगने के लिए राष्ट्रपति के समक्ष भेजा जाता है। इनमें कई ऐसे महत्वपूर्ण बिल होते हैं जिनकी केंद्र में जांच पड़ताल में होने वाले विलंब के कारण राज्यों को कभी-कभी नाजुक स्थिति के दौर से गुजरना पड़ता है।
हालांकि गृह मंत्रालय का दावा है कि फिलहाल राज्यों से केंद्र को पिछले पांच सालों में मिले ज्यादातर विधेयकों को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन अभी भी केंद्र सरकार के पास 94 विधेयक लंबित हैं। मंत्रालय ने यह भी माना है कि इस मौजूदा वर्ष 2013 में केंद्र को अनुमोदन के लिए 19 विधेयक प्राप्त हुए, जिन पर अभी कोई विचार नहीं किया गया है, इनमें छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा पारित छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्रय (संशोधन) विधेयक-2013 भी शामिल है। केंद्र सरकार को वर्ष 2012 में मिले 45 विधेयकों में भी छत्तीसगढ़ का जमाककर्ताओं का हित संरक्षण विधेयक तथा हरियाणा का दि हरियाणा श्री दुर्गामाता श्राइन विधेयक अभी तक लंबित है। इसी प्रकार वर्ष 20011 में 52 विधेयकों में छत्तीसगढ़ के एक मात्र किराया नियंत्रण विधेयक को अंतिम रूप दे दिया गया। इसमें मध्य प्रदेश के दो विधेयकों में मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक लंबित है, जबकि मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय विधेयक को केंद्र का अनुमोदन मिल चुका है।
मध्य प्रदेश के चार छग के तीन विधेयक लंबित
केंद्र सरकार को वर्ष 2010 में मध्य प्रदेश से छह विधेयक मिले थे, जिनमें तीन को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस प्रकार केंद्र के पाले में मध्य प्रदेश के इस वर्ष के शेष तीन मध्य प्रदेश स्टाम्प विधेयक-2009, मध्य प्रदेश आतंकवादी एवं उच्छेदक गतिविधियों तथा संगठित अपराध निवारण विधेयक-2010 तथा मध्य प्रदेश विधेयक कपास बीज, विक्रय का विनियमन तथा विक्रय मूल्य निर्धारण विधेयक लंबित है, जबकि एक विधेयक वर्ष 2011 का लंबित है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के पिछले तीन सालों में आए सभी विधेयक लंबित पड़े हुए हैं। जब कि हरियाणा का एक विधेयक अभी केंद्र के अनुमोदन की बाट जोहने को मजबूर है।
01Sep-2013

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें