सोमवार, 2 सितंबर 2013

संसद में सरकार को घेरने को तैयारी\राज्यसभा में आसान नहीं सरकार की राह!

मानसून सत्र: अंतिम सप्ताह में विपक्ष के पास मुद्दों का ढेर
ओ.पी. पाल  

संसद के मानसून सत्र में विधायी कार्यो को निपटाने के मकसद से केंद्र सरकार ने एक सप्ताह का विस्तार तो करा लिया है, लेकिन यह अंतिम सप्ताह सरकार के सामने मुश्किलों से भरा होगा। इसका कारण विपक्ष के पाले में सरकार को घेरने के लिए मुद्दों की भरमार है, जिसमें सोमवार को सरकार पेट्रालियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि पर संसद में हंगामे के आसार हैं, जबकि भाजपा कोलगेट की गुम फाइलों पर सरकार को घेरने का पहले ही ऐलान कर चुकी है।
कांग्रेसनीत यूपीए सरकार लोकसभा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक तथा भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित कराने में सफल रही, लेकिन उच्च सदन में उसे इनके लिए संकट का भी सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने पिछले सप्ताह ही ऐलान किया था कि वह कोलगेट की गुम फाइलों का मुद्दा अंतिम सप्ताह में संसद में उठाने जा रही है। इसी बीच रूपये की गिरती कीमत तथा बिगड़ती अर्थव्यवस्था के चलते अचानक पेट्रोल व डीजल के दामों में हुई वृद्धि विपक्षी दलों के मुद्दे में शामिल हो गया है जिसे लेकर सरकार के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है। वामदल और तृणमूल कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल संसद के दोनों सदनों में सोमवार को तेल की कीमतों के मुद्दे का उठा सकते हैं। सरकार को घेरने के लिए विपक्ष के पास अन्य कई मुद्दे भी हैं, लेकिन सरकार भी आक्रामकता के साथ संसद में विपक्ष के हमलों से निपटने की रणनीति के साथ सदन में आएगी। सरकार चाहती है कि जिन विधायी कार्यो को संसद में हंगामे और अवकाश के कारण पूरा नहीं किया जा सका है उसे इस अतिरिक्त अवधि में पूरा कर लिया जाए। यही कारण है कि सरकार ने इस सप्ताह के लिए शेष बचे सभी विधायी कार्यो को सूचीबद्ध किया है, लेकिन उधर विपक्ष भी सरकार को घेरने के लिए तैयार है ऐसे में मानसून सत्र का अंतिम सप्ताह की कार्यवाही किस करवट राह बनाएगी, इसके संकेत सोमवार से ही मिल जाएंगे।
सोमवार को 13 विधेयक
संसद के मानसून सत्र में सोमवार दो सितंबर की कार्यवाही के लिए 13 विधेयकों को शामिल किया गया है, जिसमें राज्यसभा में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक समेत पांच विधेयक है, जिन्हें पेश किया जाना है। वहीं लोकसभा में आठ विधेयक पेश होंगे। राज्यसभा में जहां खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा तय है, वहीं लोकसभा में आरटीआई संशोधन विधेयक पर चर्चा चर्चा कराई जाएगी और सरकार की प्राथमिकता इन दोनों विधेयकों को सोमवार को पारित कराने की मंशा है। इसके अलावा राज्यसभा में लोकसभा में पारित हो चुके राज्यपाल (उपलब्धियां, भत्ते और विशेषाधिकार) संशोधन विधेयक, संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश संशोधन विधेयक को भी राज्यसभा में चर्चा व पारित करने के लिए रखा गया है। जबकि लोकसभा में राज्यसभा में पारित हो चुके राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक को भी चर्चा व पारित कराने के लिए प्रमुखता से सोमवार की कार्यवाही में शामिल किया गया है।
राज्यसभा में आसान नहीं सरकार की राह!
खाद्य सुरक्षा विधेयक पर चर्चा आज
ओ.पी. पाल

आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे राजनीतिक दलों की सियासत के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाने वाला राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लोकसभा में पिछले सप्ताह ही पारित हो चुका है, जिस पर राज्यसभा की मुहर लगवाने के लिए भी सरकार सोमवार को सदन में चर्चा कराएगी।
गत 26 अगस्त को लोकसभा से पारित खाद्य सुरक्षा विधेयक विचार और पारित करने के प्रस्ताव के लिए राज्यसभा के पाले में आ गया है, जिसे दो सितंबर सोमवार की कार्यसूची में प्राथमिकता के साथ शामिल भी किया गया है। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि सदन में विभिन्न मुद्दों को लेकर व्यवधान भी हुआ तो दोपहर बाद सरकार का प्रयास होगा कि खाद्य सुरक्षा विधेयक को चर्चा के लिए पेश कर दिया जाए और चर्चा के बाद लोकसभा की तरह ही आने वाले संशोधनों से निपटते हुए विधेयक को पारित कराया जाए। हालांकि राज्यसभा में सरकार के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को पारित करना इतना आसान नहीं है जैसा लोकसभा में था। मसलन राज्यसभा में कांग्रेसनीत यूपीए गठबंधन अल्पमत में है, फिर भी ज्यादातर विपक्षी दल केंद्र सरकार को संशोधनों को शामिल करने की शर्त पर पारित कराने का भरोसा दे चुके हैं। हालांकि विपक्षी दलों का यह भरोसा लोकसभा में उस समय टूटता नजर आया था, जब विपक्षी दलों द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को सत्तापक्ष ने बहुमत के आधार पर दरकिनार कर दिया था, जिसमें कुछ संशोधनों पर मत विभाजन में विपक्षी दलों के सरकार को दिये गये भरोसे की भूल का अहसास भी हुआ था, जिसका असर उच्च सदन में सामने आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। उच्च सदन में विपक्षी दल का पलड़ा भारी होने की वजह से सत्तापक्ष को सतर्कता के साथ सकारात्मक रूख अपनाने की जरूरत पड़ेगी, ताकि इस विधेयक को पारित कराने के संकल्प को पूरा कर सके। यही कारण है कि राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार विपक्षी दलों के सुझावों और संशोधनों पर सहमति जता चुकी। विपक्षी दलों के इस साथ सहमति और भरोसे को उच्च सदन में कायम रखना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा, अन्यथा सरकार की प्राथमिकता वाले खाद्य सुरक्षा बिल उच्च सदन में विपक्षी दलों के ग्रहण का शिकार होकर लटका ही रह जाएगा।
अध्यादेश निरमोदन
उच्च सदन में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को विचार और पारित करने के प्रस्ताव से पहले राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को निरनुमोदन करने का परिनियत संकल्प किया जाएगा, जिसे प्रतिपक्ष के नेता अरूण जेटली के साथ प्रकाश जावडेकर, राम जेठमलानी, रविशंकर प्रसाद, एम.पी अच्युतन, डा. वी. मैत्रेयन, व डी. राजा पेश करेंगे। गौरतलब है कि गत 5 जुलाई को राष्ट्पति  द्वारा यह अध्यादेश जारी किया था।
02Sept-2013

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