बुधवार, 25 सितंबर 2013

किंगफिशर ने उड़ान भरने को फिर फड़फड़ाए पंख!

ओ.पी.पाल 
भारी कर्ज में डूबी निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस ने पिछले एक साल से बंद अपनी विमान सेवा शुरू करने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के समक्ष एक-एक करके तीन पुनरुद्धार की नई योजना सौंपी है। मसलन एयरलाइंस के स्वामी विजय माल्या ने हिम्मत नहीं हारी और किंगफिशर को फिर से जमीन से आसमान पर लाने के लिए पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिये हैं।
कंपनी के मालिक विजय माल्या ने इस कार्यवाही के बाद उम्मीद जताई है कि अगले तीन माह के भीतर उनके विमान फिर से उड़ान भर सकेंगे। विजय माल्या ने कंपनी की एजीएम में कहा है किंगफिशर एयरलाइंस को दोबारा शुरू करने के लिए निवेशकों से बातचीत जारी है और 90 दिनों के अंदर फैसले की उम्मीद है। विजय माल्या के अनुसार डीजीसीए को किंगफिशर एयरलाइंस के तीन रिवाइवल प्लान सौंप चुकी हैं। वहीं कंपनी ने किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों को बकाया वेतन देने की भी तैयारी कर ली है। किंगफिशर एयरलाइंस का परिचालन दोबारा शुरू करने के लिए कंपनी ने विमानन नियामक डीजीसीए को पुनरुद्धार की नई योजना सौंपी है। एयरलाइंस के सीईओ संजय अग्रवाल का कहना है कि डीजीसीए को पहले ही कंपनी भरोसा दिला चुकी है कि नई योजना में किंगफिशर कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने की योजना तैयार कर चुकी है। अग्रवाल ने कहा कि एयरलाइंस की फंडिंग और परिचालन की योजना डीजीसीए को सौंपी जा चुकी हैं। किंगफिशर नई योजना में केवल पांच एयरबस ए-320 और दो टर्बोप्रोप एटीआर विमानों से परिचालन करने पर विचार कर रही है, जिसके बाद धीरे-धीरे विमानों की संख्या को बढ़ाया जाएगा। कंपनी ने डीजीसीए से अनुरोध किया है कि उसे अपनी विमान सेवाएं जल्द बहाल करने की अनुमति दी जाए। गौरतलब है कि उद्योगपति विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस अपने गठन के बाद से लगातार घाटे में रही है। अपनी देनदारियां चुकता नहीं कर पाने के कारण इसकी विमान सेवा पिछले साल एक अक्टूबर से बंद पड़ी हैं। वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों की हड़ताल और उसके बाद डीजीसीए द्वारा लाइसेंस स्थगित कर दिए जाने के बाद से कंपनी बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी है। किंगफिशर का लाइसेंस 31 दिसम्बर को समाप्त हो गया था। डीजीसीए ने इसका नवीकरण करने से इनकार कर दिया, क्योंकि कंपनी की ओर से पेश सुधार योजना को लेकर नियामक आश्वस्त नहीं हो पाए थे। कपंनी के पास विमान सेवा दोबारा शुरू करने के लिए परमिट के वास्ते दो वर्षो के अदंर आवेदन करने की सुविधा होने के कारण उसने डीजीसीए से नई सुधार योजना के साथ अपनी रिपोर्ट सौंपी है जिनके अध्ययन के बाद डीजीसीए से जल्द ही किंगफिशर को उड़ाने शुरू करने की अनुमति मिलने की उम्मीद है।

आखिर बच जाएगी लालू व रशीद मसूद की कुर्सी!
कैबिनेट ने दी जनप्रतिधित्व संशोधन पर अध्यादेश को मंजूरी

हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
इसी महीने बहुचर्चित चारा घोटाले में राजद प्रमुख लालू यादव को सजा सुनाई जानी है, वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रशीद मसूद को स्वास्थ्य मामलों में आयोग्यों को सीटें आबंटित करने के मामले में अदालत से दोषी करार दिया जा चुका है। इस कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दोनों नेताओं की संसद सदस्यता खतरे में थी, लेकिन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने के लिए मंगलवार को जन प्रतिनिधित्व (दूसरा संशोधन) विधेयक 2013 पर अध्यादेश लाने की मंजूरी दे दी है।
केंद्र सरकार की इस मंजूरी के बाद अब अपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए सांसदों एवं विधायकों की कुर्सी अब नहीं जा सकेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंगलवार को इस विधेयक से संबंधित एक अध्यादेश को मंजूरी दे देकर नेताओं को राहत देने की पहल की है। गौरतलब है कि सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को पलटने के लिए हाल ही में जन प्रतिनिधित्व (दूसरा संशोधन) विधेयक 2013 को राज्यसभा में पेश किया था लेकिन यह विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए सरकार संसद में विधेयक पारित करवाने में नाकाम रही थी। ऐसे में आपराधिक मामलों में दोषी करार दिए गए और दो साल या इससे अधिक की सजा पाने वाले सांसदों और विधायकों पर तुरंत अयोग्य घोषित किए जाने का खतरा मंडरा रहा था। गौरतलब है कि 30 सितंबर को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सजा का निर्णय आना है तो वहीं सीबीआई अदालत अगले कांग्रेस सांसद रशीद मसूद की सजा की घोषणा करेगा। लेकिन सरकार ने इन दोनों सांसदों की कुर्सी को बचाने की पहल कर ही दी है। गौरतलब है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को बदलने के लिए जिसमें सजा पाने की दशा में किसी सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द हो सकती है पर जनप्रतिनिधित्व विधेयक में संशोधन को संसद के मानसून सत्र में पारित नहीं करा सकी थी। इस संशोधन विधेयक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने के लिए सजायाफ्ता जनप्रतिनिधि के भत्ते पर रोक और मतदान में हिस्सा न लेने वाले प्रावधान शामिल किये गये थे।
मतदान व भत्ता लेने से रहेंगे वंचित
सरकार अदालत के आदेश से पहले लोकप्रतिनिधित्व संशोधन को अध्यादेश के जरिए लागू कराने की पहल कर चुकी है, जिसके लागू होते ही सरकार द्वारा विधेयक में किये गये दो संशोधनों के अनुरूप इन नेताओं को सजा होने पर भी सदस्यता से हाथ नहीं धोना पड़ेगा। इसके बदले इस संशोधन के प्रावधानों के अनुसार सजा पाने की स्थिति में केवल कोई भी सांसद या विधायक को भत्ते और सदन में मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा लेने से वंचित रखा जाएगा।
25Sept-2013

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