सोमवार, 24 जून 2019

बजट से पूर्व अध्यादेशों को कानून में बदलने में जुटी सरकार


आज लोकसभा में पेश होंगे तीन अध्यादेशों से जुड़े विधेयक
राज्यसभा में आएगा राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यावाद प्रस्ताव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के बजट सत्र में आम बजट आगामी पांच जुलाई को पेश किया जाएगा। मोदी-2 सरकार बजट से पहले पिछले कार्यकाल के दौरान उन दस अध्यादेशों को कानून बनाने के प्रयास में है, जिन महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद की मंजूरी न मिलने के कारण अध्यादेश जारी करके कानून लागू करना पड़ा था। इसी मकसद से लोकसभा में तीन तलाक के बाद कल सोमवार को तीन अध्यादेशों से संबन्धित विधेयकों को पेश किया जाएगा। जबकि राज्यसभा में पहले ही दिन सभी दस अध्यादेश सदन के पटल पर रखे जा चुके हैं।
सत्रहवीं लोकसभा के गठन के बाद बजट सत्र के रूप में संसद के पहले सत्र में कल सोमवार को दूसरे सप्ताह की कार्यवाही शुरू होगी। 26 जुलाई तक चलने वाले इस संसद सत्र में मोदी सरकार बजट पेश करने और राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव से पहले उन दस अध्यादेशों का कानून में बदलने के लिए विधेयक पेश करके उन्हें अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है। यही कारण है कि पिछले सप्ताह शुक्रवार को लोकसभा में विपक्षी दलों के विरोध के बाद मतविभाजन के बाद तीन तलाक संबन्धी अध्यादेश को कानून बनाने के मकसद से मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक पेश किया जा चुका है। सोमवार को लोकसभा की शुरू होने वाली बैठक में केंद्र सरकार के एजेंडे के तहत कार्यसूची में तीन अध्यादेशों से जुड़े जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक और विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) विधेयक पेश करना शामिल है। गौरतलब है कि लोकसभा में सरकार के बहुमत होने के कारण सभी अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पारित होना कोई मुश्किल नहीं है, लेकिन राज्यसभा में सरकार के लिए इन अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए विधेयक पारित कराना बेहद कठिन राह होगी। उधर राज्यसभा में सोमवार को जगतप्रकाश नड्डा राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश करेंगे, जिस पर चर्चा शुरू होने की उम्मीद भी है।
आसान नहीं चुनौती से पार पाना
केंद्र सरकार द्वारा 16वीं लोकसभा के दौरान इनमें से ज्यादातर विधेयकों को लोकसभा में पारित करा लिया गया था, लेकिन राज्यसभा में अल्पमत में होने के कारण विपक्षी दलों के विरोध के बीच सरकार इन महत्वपूर्ण विधेयकों को पास नहीं करा पाई थी, जो स्वत: ही निष्प्रभावी हो गये थे। देश और जनहित में महत्वपूर्ण कानून होने के कारण केंद्र सरकार ने इसी साल फरवरी और मार्च में इन कानूनों को अध्यादेश के रूप में लागू करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंजूरी दी थी, जिन्हें राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद लागू कर दिया गया था। अब सरकार के सामने मौजूदा संसद सत्र में मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) अध्यादेश, कंपनी (संशोधन) अध्यादेश, आधार और अन्य कानून (संशोधन) अध्यादेश, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश, नयी दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अध्यादेश, होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) अध्यादेश, केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण)अध्यादेश, अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी अध्यादेश तथा जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश को कानून में बदलने की बड़ी चुनौती होगी।
समितियों के सदस्यों के निर्वाचन प्रस्ताव
लोकसभा में सोमवार को संसदीय कार्यमंत्री प्रहृलाद जोशी लोकसभा की 30 अप्रैल 2020 तक के कार्यकाल वाली प्राक्कलन समिति में तीन सदस्यों और लोक लेखा समिति के 15 सदस्यों के निर्वाचन हेतु भी एक प्रस्ताव पेश करेंगे। इसी प्रकार सरकारी उपक्रम संबन्धी समिति के 15 सदस्यों, अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबन्धी समित के 20 सदस्यों, अन्य पिछड़े वर्गो के कल्याण संबन्धी समिति के 20 सदस्यों के निर्वाचन हेतु भी प्रस्ताव किया जाएगा। इन समितियों में राज्यसभा से भी उच्च सदन के तय सदस्यों के निर्वाचन हेतु सिफारिश की जाएगी।
24June-2019

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