स्वच्छता
की दृष्टि से ट्रेनों में बायो-टॉयलेट योजना का होगा विस्तार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय
रेलवे के कायाकल्प की दिशा में रेलवे की चल रही परियोजनाओं में रेलवे का ऊर्जा
दक्षता और ऊर्जा संरक्षण पर फोकस रहेगा,जो रेलवे का ‘गेम चेंजर’ साबित होगा। वहीं
पिछले पांच साल के दौरान रेलगाड़ियों में जैव शौचालयों के इस्तेमाल के कारण स्वच्छता
अभियान के तहत खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों
में बायो-टॉयलेट योजना को निरंतर जारी रखा जाएगा।
राष्ट्रीय
रेल संग्रहालय में गुरुवार को रेल मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के
उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में रेलवे बोर्ड के सदस्य (रोलिंग स्टॉक) राजेश अग्रवाल
ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि रेलवे बड़े पैमाने पर पर्यावरण की निरंतरता के प्रति
अत्यंत कटिबद्ध है। पिछली सरकार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में देशभर
में चले स्वच्छता अभियान के नतीजे भारतीय रेल में स्प्ष्ट नजर आए हैं, जिसके तहत रेलगाड़ियों
में जैव-शौचालयों के इस्तेमाल से पूरे देश में रेल पटरियां बदबू मुक्त हुई है। इस
अभियान को रेलवे अपने समस्त नेटवर्क में आगे भी निरंतर प्रयासरत रहेगा और खासकर
लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में बायो-टॉयलेट योजना को आगे भी जारी रखा जाएगा।
अग्रवाल ने कहा कि रेलवे ने हरित पर्यावरण और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए
तेज गति से विद्युतीकरण सुनिश्चित करने और रेलवे के परिसरों में सोलर पैनल लगाने जैसे
अनेक कदम उठाए हैं और ‘रेलवे की ओर उन्मुख हों’ अभियान के तहत लॉजिस्टिक्स ढुलाई लागत
में काफी कमी लाने के साथ पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित किया जाएगा। इस मौके पर
बोर्ड के सदस्य (स्टाफ) एस.एन. अग्रवाल, सदस्य (सामग्री प्रबंधन) वी.पी. पाठक, सदस्य
(एसएंडटी) एन. काशीनाथ के अलावा ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) के महानिदेशक डॉ.
अजय माथुर और वरिष्ठ रेलवे के अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
रेलवे ने हासिल की उपलब्धियां
रेलवे
बोर्ड के सदस्य अग्रवाल ने समरोह में कहा कि ऊर्जा के नवीकरण स्रोतों का उपयोग और इसके
ऊर्जा मिश्रण में वैकल्पित ईंधनों का उपयोग करते हुए रेलवे के हरित भवन की पहल के कार्यक्रम
के रूप में 8 उत्पादन इकाइयों और 12 प्रमुख कार्यशालाओं को आईएफओ 14001 प्रमाणित किया
गया है। 38 डीजल शेड, 8 इलेक्ट्रिक लोको शेड, 3 एमईएमयू/डीईएमयू कार शेड, 2 इंजीनियरिंग
कार्यशालाएं और एक स्टोर डिपो को भी प्रमाणित किया जा चुका है। कई स्टेशनों पर सैनेट्री
नेपकिन वैंडिंग मशीनें और इनसिनेरेटर भी लगाए जा रहे हैं। कार्बन सिंक बढ़ाने के लिए
रेलवे की खाली पड़ी भूमि पर पेड़ लगाने के लिए राज्यों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर
किए गए हैं। 20 माइक्रोन से कम मोटी प्लास्टिक की पैकिंग पर प्रतिबंध लगाया गया है।
128 स्टेशनों पर प्लास्टिक की बोतलें तोड़ने वाली 166 मशीनें लगाई गई हैं। वाटर रिसाइकिलिंग
संयंत्रों और वर्षा के पानी के संचयन के अलावा अनेक पुराने और बेकार जल निकायों को
दोबारा ठीक किया गया है। आईआरसीटीसी को स्टेशनों पर वाटर वैंडिंग मशीनें लगाने के लिए
अधिकृत किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे 2030 तक ताजे पानी की खपत में
20 प्रतिशत कमी करने और आधार वर्ष 2005 की तुलना में कार्बन उत्सर्जन 32 प्रतिशत तक
कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
07June-2019
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