पिछले नौ
माह में गिरा तीन चौथाई से ज्यादा जल स्तर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में
मानसून की दस्तक के बावजूद करीब देश के आधे राज्य सूखे की चपेट में हैं, इसका कारण
लगातार गिरते भूजल स्तर है। देश में पिछले नौ माह में लगातार जल स्तर में तीन
चौथाई से भी ज्यादा की गिरावट सामने आई है।
देश जहां
मौसम विभाग मानसून शुरू होने का दावा कर रहा है, वहीं जलशक्ति मंत्रालय के जारी
आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पिछले नौ माह में देश के प्रमुख 91 जलाशयों
के जल स्तर में तीन चौथाई से भी ज्यादा की गिरावट आई है। मंत्रालय के अनुसार
गुरुवार 13 जून 2019 को इन 91 प्रमुख जलाशयों में 29.189 बीसीएम यानि अरब घन जल
संग्रह दर्ज किया गया है। जबकि 13 सितंबर 2018 को इन प्रमुख जलाशयों में जल संग्रह
121.655 बीसीएम (अरब घन मीटर) था, जिसके बाद लगातार गिरता आ रहा है। मंत्रालय के
अनुसार पिछले एक सप्ताह में ही एक प्रतिशत की गिरावट आई है यानि मौजूदा जल स्तर इन
जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 18 प्रतिशत है। जबकि इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता
161.993 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता
257.812 बीसीएम का लगभग 63 प्रतिशत है। इन जलाशयों के संग्रह की निगरानी करने वाले
केंद्रीय जल आयोग की माने तो देश के इन 91 प्रमुख जलाशयों में जल का स्तर पिछले 10
साल के औसत से भी कम हो चुका है, जिसमें ज्यादातर जलाशय दक्षिण और पश्चिम भारत के
शामिल हैं। इन जलाशयों में लगातार गिरते जल स्तर से देश में जल संकट गहराने से
इंकार नहीं किया जा सकता। इसका सीधा प्रभाव इनमें से 37 जलाशय से पैदा की जा रही
60 मेगावाट से ज्यादा की पनबिजली पर भी पड़ना तय है।
केंद्र सरकार के सामने चुनौती
केंद्र
सरकार देश के जल संकट से निपटने के लिए लगातार विभिन्न राज्यों में कुएं और तालाब खोदने,
भूजल स्तर को सुधारने जैसी परियोजनाओं को पटरी पर उतारने का दावा करती आ रही है,
जिसमें मराठवाड़ा, विदर्भ, बुंदेलखंड और पश्चिमी राजस्थान जैसे कई इलाकों के साथ देश
के करीब डेढ दर्जन राज्यों में जल की कमी को लेकर सरकार चिंतित है और कई प्रमुख
शहरों में पीने के पानी की कमी साने आने लगी तो कई राज्यों में सिंचाई के लिए जल
संकट की स्थिति बनी हुई है। इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान
और कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु सबसे ज्यादा सूखे की चपेट में बताए जा रहे हैं।
जलशक्ति मंत्रालय के अनुसार सरकार जल संपदा के संरक्षण के लिए अनेक परियोजनाएं
बनाई है, जिनमें भूमि जल प्रबंधन के तहत जल संचय करने, भूमि जल पुनर्भरण को बढ़ाने और
जल उपयोग दक्षता में सुधार के अलावा जल संरक्षण के लिए जन जागरूकता के दायरे को
बढ़ाना शामिल है। मंत्रालय के अनुसार देश में बढ़ते इस जल संकट का कारण भूमि जल संसाधनों
के अतिदोहन, अस्थायी सिंचाई और जल गुणवत्ता गिरने से भूजल आपूर्ति से बढ़े खतरे देश
में बढ़ते इस जल संकट का कारण बन रहे हैं।
सभी राज्यों में गिरा जल स्तर
केन्द्रीय
जल आयोग की निगरानी में इन प्रमुख जलाशयों की मौजूदा स्थिति पर नजर डाली जाए तो
ज्यादातर जलाशयों में क्षमता से कम जल स्तर दर्ज किया गया है। उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल
प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान में 40 फीसदी जल है, तो पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा,
पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा के 15 जलाशयों में 18 प्रतिशत जल रह गया है। जबकि पश्चिमी
क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र में 27 जलाशयों में मात्र 10 प्रतिशत, मध्य क्षेत्र
में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ राज्यों के एक दर्जन जलाशयों
में 24 प्रतिशत, दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु
के 31 जलाशयों में मात्र 11 प्रतिशत जल रह गया है। मंत्रालय के अनुसार हालांकि राजस्थान,
झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना,
कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु उन राज्यों में शामिल हैं, जहां पिछले साल की तुलना में
ज्यादा जल स्तर की गिरावट आई है।
14June-2019
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